जहरीली शराब से मौत के बाद सरकार पर सवाल: सुशील मोदी बोले-छिपाये जा रहे मौत के आंकड़े, पुलिस के डर से बिना पोस्टमार्टम के जलाये जा रहे शव

जहरीली शराब से मौत के बाद सरकार पर सवाल: सुशील मोदी बोले-छिपाये जा रहे मौत के आंकड़े, पुलिस के डर से बिना पोस्टमार्टम के जलाये जा रहे शव

PATNA: बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब कांड से सरकार पर गंभीर सवाल खडे हो गये हैं. सवाल ये उठ रहा है कि 4 महीने पहले सारण में जहरीली शराब से कम से कम 72 लोगों की मौत के बाद सरकार ने क्या किया. अगर सरकार चेती रहती को पूर्वी चंपारण में ऐसी घटना नहीं होती।


बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने सरकार पर जहरीली शराब से मौत का आंकडा छिपाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि छपरा के बाद अब पूर्वी चम्पारण में जहरीली शराब पीने से 22 लोगों की जान गई है.  दो दर्जन से ज्यादा बीमार लोगों का इलाज चल रहा है,जिनमें से कई की आँखों की रोशना जा चुकी है, लेकिन बिहार सरकार मौत के  आँकड़े छिपाने में लगी है.


सुशील मोदी ने कहा है कि जहरीली शराब से मौत को छिपाने के लिए सरकार बहाने गढ़ रही है.  सरकार मौत का कारण डायरिया या अज्ञात बीमारी बता रही है. स्थिति ये है कि पुलिस के डर से बिना पोस्टमार्टम के भुटन मांझी सहित कई मृतकों के शव जला दिये गए हैं. खास बात ये भी है कि मृतकों में अधिकतर दलित और पिछड़ी जातियों के थे. 


सुशील मोदी ने कहा कि छपरा में जहरीली शराब से सौ से ज्यादा लोगों की मौत के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार पर आँकड़े छिपाने का आरोप लगाया था.  अब पूर्वी चपारण में भी यही हो रहा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जहरीली शराब पीने से मरने वालों के आश्रितों को अनुग्रह राशि देने की अनुशंसा की थी, लेकिन अब तक उसका पालन नहीं हुआ.


सुशील मोदी ने कहा कि छपरा जहरीली शराब कांड के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि वे सर्वदलीय बैठक बुलाकर जहरीली शराब से मरने वालों के आश्रितों को मुआवजा देने पर विचार करेंगे. लेकिन उसके बाद सीएम अपनी बात को भूल गये. सुशील मोदी ने कहा है कि जहरीली शराब से मरने वालों के आश्रितों को 4-4 लाख रुपये मुआवजा देने की स्पष्ट नीति बनाने के लिए मुख्यमंत्री को सर्वदलीय बैठक जल्द बुलानी चाहिए. 


 उन्होंने कहा कि पटना हाई कोर्ट ने जहरीली शराब पीने से बीमार होने वालों की चिकित्सा के लिए मानक प्रक्रिया (SOP) तय करने को कहा था, लेकिन राज्य सरकार यह भी नहीं बना सकी. सुशील मोदी ने कहा कि यदि सरकार ने हाई कोर्ट के निर्देश और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अनुशंसाओं को गंभीरता से लिया होता तो पीड़ितों और उनके परिवारों को कठिन समय में बड़ी राहत मिलती.