कन्हैया के कांग्रेस में आते ही पप्पू यादव राहुल का गुणगान क्यों करने लगे? बड़े डील की है तैयारी

कन्हैया के कांग्रेस में आते ही पप्पू यादव राहुल का गुणगान क्यों करने लगे? बड़े डील की है तैयारी

PATNA : जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव के जेल से बाहर आने के साथ ही सियासी गलियारे में लगातार यह चर्चा हो रही है कि पप्पू यादव की पार्टी का कांग्रेस में विलय हो जायेगा. पप्पू यादव आज अपनी पार्टी के कोर कमेटी के नेताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक भी कर रहे हैं. पिछले दिनों वामपंथी युवा नेता कन्हैया कुमार ने कांग्रेस का दामन थामा था. कांग्रेस का दामन थामने के बाद कन्हैया लगातार इनसाइड प्लानिंग में लगे हुए हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कन्हैया ने पप्पू यादव को कांग्रेस के करीब लाने में बड़ी भूमिका अदा की है. पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन भी इसमें अहम रोल निभा रही हैं. लेकिन पप्पू भविष्य को लेकर क्या फैसला करेंगे. आज कोर कमेटी की बैठक के बाद हो जाएगा. 


पप्पू यादव जब जेल से बाहर आए, उस वक्त यह चर्चा रही कि वह विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि कांग्रेस ने विधानसभा की दोनों सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. इसमें उम्मीदवारों में ना तो पप्पू यादव शामिल है और ना ही उनकी पार्टी का कोई नेता. ऐसे में अब जान अधिकार पार्टी मौजूदा स्थिति की नए सिरे से समीक्षा कर रही है.


जाप के सूत्रों के मुताबिक पप्पू यादव आज शाम अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर सकते हैं. पार्टी इस बात को लेकर कहीं ना कहीं नाराज है कि कांग्रेस एक तरफ से विलेज ऐसे प्रस्ताव पर ऑफर दे रही है. तो दूसरी तरफ उसने बिना पप्पू यादव को भरोसे मिलिए दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी. ऐसे में अब जन अधिकार पार्टी भी विधानसभा उपचुनाव में अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कोर कमेटी की बैठक के बाद देख कर सकती है.


दरअसल पप्पू यादव बिहार कांग्रेस के नेताओं से कोई बातचीत नहीं करना चाहते. उनका मकसद है कि राष्ट्रीय नेताओं से बात कर कोई बड़ा डील किया जाए. पिछले दिनों पप्पू यादव जब दरभंगा के डीएमसीएच में अपना इलाज करा रहे थे. तो उनकी पत्नी और कांग्रेस नेता रंजीत रंजन भी मुलाकात करने पहुंची थी. रंजीत रंजन ने इस मुलाकात में पप्पू के सामने कांग्रेस से डील का फार्मूला डिस्कस किया था. लेकिन अभी भी कई मसलों पर पेंच फंसा हुआ है.


कन्हैया कुमार भी पप्पू यादव के करीबी माने जाते हैं. पप्पू यादव से उनकी मुलाकात होती रहती है. ऐसे में पर्दे के पीछे इस पूरी प्लानिंग को अंजाम देने में कन्हैया भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. आरजेडी ने जिस तरह बिहार में कांग्रेस से अलग जाकर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की और महागठबंधन संकट में आया. उसके बाद कांग्रेस अब खुद अपने पैरों पर राज्य के अंदर खड़ा होना चाहती है. ऐसे में उसे 2 चेहरों का साथ मिल जाए तो काम आसान हो जाएगा.


कन्हैया कुमार जैसा युवा चेहरा पहले ही कांग्रेस के साथ है और अगर पप्पू कांग्रेस के साथ आते हैं तो यादव वोट बैंक में सेंधमारी भी आसान हो जाएगी. लेकिन जो चीजें सियासी गलियारे के चर्चाओं में आसान दिख रही हैं. उसको जमीन पर उतारना भी इतना आसान नहीं होगा. फिलहाल इंतजार इस बात का है कि पप्पू यादव उपचुनाव को लेकर किस तरह के फैसले का एलान करते हैं.