नीतीश सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा, बिहार वापस आने वाले मजदूरों को ट्रेन का किराया खुद देना होगा

नीतीश सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा, बिहार वापस आने वाले मजदूरों को ट्रेन का किराया खुद देना होगा

PATNA : कोरोना के बीच देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे बिहारी मजदूरों पर बिहार सरकार की गाज गिरी है. बिहार सरकार ने आज एलान कर दिया है कि बिहार वापस लौटने वाले मजदूरों को ट्रेन का किराया खुद देना होगा. बड़ा सवाल ये है कि पैसे-पैसे के लिए तरसते मजदूर कहां से ट्रेन के किराये जुटा पायेंगे.

बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव का एलान

बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मीडिया से बात की. इस दौरान उनसे सवाल पूछा गया कि जो कोई भी ट्रेन से बिहार वापस लौट रहा है उसका खर्च कौन वहन करेगा. प्रत्यय अमृत ने कहा कि बिहार वापस लौटने वाले लोगों को ट्रेन का खर्च खुद ही वहन करना होगा. 

बिहार सरकार की ये घोषणा बेहद हैरान करने वाली है. सरकार खुद कह चुकी है कि उससे देश के अलग अलग हिस्सों में फंसे 25 लाख से ज्यादा बिहारियों ने खाने-पीने का सामान इंतजाम करने के लिए एक हजार रूपये मांगे हैं. सवाल ये है कि जो लोग खाने के लिए एक हजार रूपये मांग रहे हैं वे ट्रेन का किराया कहां से वहन कर पायेंगे. बिहार सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है.


रेलवे बोली- हम यात्रियों से नहीं सरकार से लेगें पैसा

उधर रेलवे ने स्पेशल ट्रेन का किराया यात्रियों से लेने से इंकार कर दिया है. रेलवे के एक पदाधिकारी ने बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन राज्य सरकारों के आग्रह पर किया जा रहा है. रेलवे के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे उन ट्रेनों में यात्रा करने वालों से पैसा वसूला जा सके. लिहाजा रेलवे उनका खर्च राज्य सरकारों से लेगी. जिस भी राज्य के लोग वापस लौट रहे हैं उसी राज्य सरकार को बिल भेजा जायेगा.

ऐसे तय होगा किराया

रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रेनों से आने वाले लोगों से स्लीपर श्रेणी का किराया, सुपर फास्ट चार्ज और भोजन-पानी के 40 रूपये लिये जायेंगे. ट्रेन में सफर करने वाले सभी यात्रियों का कुल खर्च जोडा जायेगा और बिल राज्य सरकार को भेजा जायेगा.