सरकार बनते ही एक्शन में आई NDA, स्पीकर को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाने की तैयारी

सरकार बनते ही एक्शन में आई NDA, स्पीकर को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाने की तैयारी

PATNA : नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। नीतीश कुमार के साथ भाजपा के दो दिग्गज नेता सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने भी डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। इस दौरान जेपी नड्डा समेत भाजपा के और भी नेता मौजूद रहे। नीतीश कुमार ने इस दौरान कहा कि महागठबंधन के साथ रहना अब मुश्किल हो गया था। उन्होंने कहा कि आरजेडी हर काम का क्रेडिट ले रही थी। सरकारी नौकरी देने में सिर्फ अपना नाम ले रहे थे। ऐसे में अब सरकार बनते ही RJD के खिलाफ पहला एक्शन लिया गया है।  अब स्पीकर को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये हटाने की तैयारी हो गई है।


दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को उनके पदमुक्त किए जाने को ले एनडीए के विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र रविवार को विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया गया। इस पर विधानसभा सचिव को विधिक निर्णय लेना है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार अगर विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा नहीं देते हैं तो सदन में विधायकों की वोटिंग के बाद उन्हें पदमुक्त किए जाने की परंपरा है। विधानसभा अध्यक्ष के हटने के बाद एनडीए अपने स्तर से नए विधानसभा अध्यक्ष को चुनेगा। 


मिली जानकारी के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष को पद से हटाने के लिये बीजेपी के नन्दकिशोर यादव ने विधानसभा सचिव को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया हैं। आरजेडी नेता अवध बिहारी चौधरी अगर स्पीकर पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो उन्हें बहुमत से हटाया जाएगा। स्पीकर के खिलाफ नोटिस देने वाले प्रस्ताव में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व डिप्टी सीएम बीजेपी के तारकिशोर प्रसाद, जेडीयू के विनय कुमार चौधरी, रत्नेश सदा समेत कई और विधायकों के भी हस्ताक्षर हैं। 


मालूम हो कि, एनडीए गठबंधन के पास 128 विधायक हैं तो विपक्षी महागठबंधन के पास 114 विधायक हैं। स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ 128 विधायकों के होने से उनका हटना तय है। नीतीश के साथ जो पार्टियां हैं उनमें सबसे ज्यादा विधायक बीजेपी के पास है।  बीजेपी के 78 विधायक हैं।  वहीं जेडीयू के पास 45 विधायक हैं। वहीं, जीतन राम मांझी की पार्टी हम के 4 विधायकों का समर्थन नीतीश कुमार के पास है। इन सबके अलावा एक निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह का भी समर्थन नीतीश कुमार के पास है।  इन सबों की तादाद 128 होती है। जबकि महागठबंधन के पास संख्या बल 114 की है। 


आपको बताते चलें कि, सिवान से विधायक अवध बिहारी चौधरी के पास चार दशक का सियासी अनुभव है। जमीन से जुड़े हुए नेता हैं और सियासी संघर्ष से अपनी राजनीतिक जगह बनाई है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के अवध बिहार करीबी माने जाते हैं। इसके अलावा उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव से भी उनके करीबी संबंध रहे हैं।


अवध बिहार चौधरी जनता दल के टिकट पर पहली बार 1985 में सिवान सीट से विधायक बने, लेकिन लालू प्रसाद यादव ने जब आरजेडी का गठन किया तो उनके साथ हो गए। इसके बाद लगातार साल 2005 तक सिवान से विधायक रहे। इस दौरान वो लालू यादव से लेकर राबड़ी देवी तक की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री रहे है और अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी को संभाला।


अवध बिहारी चौधरी ने 2014 लोकसभा चुनाव के बाद आरजेडी को छोड़कर जेडीयू का दामन थाम लिया था। ऐसे में जेडीयू ने विधानसभा उपचुनाव के दौरान सिवान सीट से अवध बिहारी चौधरी का टिकट देने के बजाय बबलू चौहान को दिया गया तो उन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लड़ गए। इसके बाद 2017 में जेडीयू छोड़कर फिर से आरजेडी का दामन थाम लिया। ऐसे में आरजेडी ने साल 2020 में सिवान सीट से प्रत्याशी बनाया तो जीत दर्ज कर एक बार विधायक बनने में कामयाब रहे।