पटना महावीर मंदिर पर हनुमानगढ़ी अयोध्या ने ठोका दावा, आचार्य किशोर कुणाल ने बताया बेबुनियाद

पटना महावीर मंदिर पर हनुमानगढ़ी अयोध्या ने ठोका दावा, आचार्य किशोर कुणाल ने बताया बेबुनियाद

PATNA : श्रद्धालुओं की आस्था और अपने प्रबंधन को लेकर देशभर में चर्चित हो चुके पटना के महावीर मंदिर पर अब हनुमानगढ़ी अयोध्या ने अपना दावा ठोक दिया है। पटना महावीर मंदिर पर मालिकाना हक को लेकर हनुमानगढ़ी की तरफ से पिछले एक महीने से जगह-जगह हस्ताक्षर अभियान चलाया गया और अब उस हस्ताक्षर अभियान को आधार बनाकर बिहार धार्मिक न्यास परिषद को पत्र भेजा गया है। इस पत्र में दावा किया गया है कि मंदिर पर मालिकाना हक हनुमानगढ़ी अयोध्या का है। पटना महावीर मंदिर को इस दावे के साथ विवाद में फंसाने का प्रयास किया जा रहा है। हनुमान गढ़ी अयोध्या के इस दावे पर बिहार धार्मिक न्यास परिषद ने प्रतिक्रिया दी है। न्यास परिषद के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन के मुताबिक अयोध्या के हनुमानगढ़ी द्वारा पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर पर अपना दावा जताने के संबंध में रजिस्टर्ड पोस्ट से कुछ कागजात भेजे गए हैं। इस संबंध में हनुमान मंदिर ट्रस्ट को नोटिस भेजा जाएगा और दोनों पक्षों को सुनने के बाद पर्षद इस पर कोई निर्णय लेगा। 


उधर हनुमानगढ़ी अयोध्या की तरफ से किए गए दावे को महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने खारिज किया है। आचार्य कुणाल ने कहा है कि महावीर मंदिर न्यास समिति की तरफ से बिहार धार्मिक न्यास परिषद को सभी दस्तावेज जून महीने के आखिर में ही उपलब्ध करा दिए गए थे। आचार्य किशोर कुणाल ने कहा है कि इस बात की भनक उनको जून महीने में ही लग गई थी कि हनुमानगढ़ी अयोध्या पटना के महावीर मंदिर पर दावा ठोक सकता है लिहाजा उन्होंने सभी दस्तावेज पर्षद में उपलब्ध करा दिए। बुधवार को हनुमानगढ़ी की तरफ से महावीर मंदिर पर अपना दावा धार्मिक न्यास परिषद में पेश किया गया है। आचार्य किशोर कुणाल ने कहा है कि पटना उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 1948 में ही निर्णय देते हुए महावीर मंदिर को सार्वजनिक मंदिर घोषित किया था। 


दरअसल पटना के महावीर मंदिर पर हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत श्रीप्रेमदास ने हनुमानगढ़ी के पुजारी के जरिए मंदिर के स्वामित्व पर दावा किया है। हनुमानगढ़ी समेत कई दूसरे धर्म स्थलों से महावीर मंदिर प्रबंधन द्वारा मंदिर में पुजारी की नियुक्ति किए जाते रहे हैं लेकिन अब तक इस तरह का कोई विवाद सामने नहीं आया था। एक तरफ हनुमानगढ़ी का दावा है कि मंदिर का पुजारी होने के नाते उस पर दावा बनता है वहीं दूसरी तरफ से महावीर मंदिर के नियमों के मुताबिक के पुजारी इस मंदिर का सर्वे सर्वा नहीं होता, जिसे मालिकाना हक दिया जाए। महावीर मंदिर न्यास समिति के मुताबिक यहां पुजारियों की नियुक्ति समय-समय पर होती है। अब महावीर मंदिर पर मालिकाना हक को लेकर बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद क्या रुख अपनाता है देखना दिलचस्प होगा।