सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के साइड इफेक्ट का मामला : जांच कमेटी बनाने की मांग

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के साइड इफेक्ट का मामला : जांच कमेटी बनाने की मांग

DELHI : कोरोना वैक्सीन कोविशिल्ड के साइड इफेक्ट का मामला बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक याचिका दाखिल कर जोखिम कारकों की जांच करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों का पैनल बनाने की मांग की गई है। इसके साथ ही जनता के स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर जरूरी निर्देश जारी करने की भी मांग याचिकाकर्ता की तरफ से की गई है।


दरअसल, कोविशिल्ड बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने यूके की कोर्ट में चल रहे एक मामले में दाखिल अदालती दस्तावेज में यह स्वीकार किया है कि उसके कोविड-19 के टीके से टीएसएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी टीएसएस शरीर में खून के थक्के और कम प्लेटलेट काउंट का कारण हो सकता है।


इस कंपनी को यूके में मुकदमें का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से विकसित उसके टीके से गंभीर साइड इफेक्ट और मौतों का आरोप लगाया गया है। अप्रैल, 2021 में वैक्सीन लेने के बाद ब्रेम हम्रेज के शिकार हुए जेमी स्कॉट नाम के एक शख्स ने इस मामले में केस दर्ज कराया था।


कोविशिल्ड को लेकर इस तरह की खबर सामने आने के बाद अब भारत में भी इसकी जांच की मांग उठने लगी है। सुप्रीम कोर्ट में वकील विशाल तिवारी ने एक याचिका दाखिल कर कोरोना वैक्सीन कोविशिल्ड जोखिम कारकों की जांच करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों का पैनल बनाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि भारत में कोविशिल्ड की 175 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। कोविड-19 के बाद भारत में दिल का दौरा पड़ने और अचानक बेहोशी से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी हुई है।


याचिका में यह भी कहा गया है कि कोविशिल्ड के डेवलपर्स की तरफ से यूके की अदालत में दायर किए गए दस्तावेजों के बाद हम कोविशिल्ड वैक्सीन के जोखिम और खतरनाक नतीजों पर सोंचने के लिए विवश हैं।


याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि सर्वोच्च अदालत के सेवानिवृत जज के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया जाए और कोविशिल्ड के दुष्प्रभावों की जांच हो। साथ ही यह भी कहा गया है कि कमेटी में एम्स, दिल्ली के निदेशक और एक्सपर्ट को सदस्य के तौर पर शामिल किया जाए। याचिकाकर्ता ने ऐसे मामलों के लिए एक 'वैक्सीन क्षति भुगतान प्रणाली' स्थापित करने की मांग भी की गई है।