Bihar News: बिहार की 100 साल पुरानी इस ऐतिहासिक धर्मशाला को होगा कायाकल्प, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

Bihar News: बिहारशरीफ की सौ साल पुरानी श्री बिहार धर्मशाला का होगा जीर्णोद्धार, यात्रियों और पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाओं से संपन्न नया स्वरूप तैयार, जरूरतमंदों और छात्रों के लिए रियायती और मुफ्त आवास भी उपलब्ध होगा।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sat, 29 Nov 2025 05:52:26 PM IST

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प्रतिकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar News: बिहारशरीफ में स्थित 100 साल पुरानी ऐतिहासिक धर्मशाला 'श्री बिहार धर्मशाला' का जीर्णोद्धार किया जाएगा। नवीनीकरण के बाद धर्मशाला में यात्रियों और पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे बिहारशरीफ में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।


भरावपर स्थित इस धर्मशाला का निर्माण वर्ष 1925 में हुआ था। धर्मशाला के सचिव मृत्युंजय नाथ गोपाल के अनुसार, उस समय यहां बीबी लाइट रेलवे लाइन और प्रमुख सरकारी बस स्टैंड भी मौजूद थे। पुराने समय में धर्मशाला में कुल 19 कमरे थे और यह 47 डिसमिल में फैली हुई थी। कानूनी विवाद के कारण इनमें से 10 डिसमिल भूमि पर कार्य अभी रोक में है।


पुराने समय में दूर-दराज़ से रोजगार के लिए आने वाले लोग महीनेभर मात्र 10 रुपये में ठहरते थे। बाद के वर्षों में किराया बढ़कर 125 रुपये प्रति माह तक पहुंच गया। भवन निर्माण से जुड़ी आपत्तियों के बाद पुरानी धर्मशाला को खाली करा दिया गया था। 


धार्मिक न्यास के अधीन होने के कारण इसके पदेन अध्यक्ष एसडीओ हैं। अध्यक्षता में जी-4 श्रेणी का प्रपोजल भेजा गया है, और स्वीकृति मिलने पर अगले वर्ष भूमि पूजन की संभावना जताई गई है। न्यास के अध्यक्ष रणवीर नंदन ने भरोसा दिलाया कि इस ऐतिहासिक धरोहर को नए स्वरूप में संवारने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।


सचिव ने बताया कि नवीनीकरण के बाद धर्मशाला में 100 कमरे, ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर पर लगभग 50 दुकानें, सेकंड फ्लोर पर यात्रियों के लिए 50 कमरे, थर्ड फ्लोर पर आधुनिक मैरिज हॉल, और चौथी मंजिल पर पुस्तकालय एवं योगा हाल का निर्माण होगा।


किराया तय नहीं हुआ है, लेकिन समिति ने निर्णय लिया है कि जरूरतमंदों, मरीजों और साधु-संतों के लिए मुफ्त आवास और छात्रों के लिए रियायती दर पर कमरे उपलब्ध कराए जाएंगे। इस परियोजना पर कुल पांच करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। सचिव ने आशा व्यक्त की कि भरावपर की यह ऐतिहासिक धरोहर अब आधुनिकता और परंपरा के संगम के रूप में फिर से जीवंत होने जा रही है।