Bihar Govt School PTM: बिहार के स्कूलों में PTM के मामले में ये जिले अव्वल, ग्रामीण अभिभावकों ने दिखाई कहीं बेहतर भागीदारी

Bihar Govt School PTM: बिहार में 70% से अधिक सरकारी स्कूलों में हुई PTM में शिवहर 100%, वैशाली 99% और बेगूसराय 86% के साथ अव्वल। पटना 20%, गया-मुजफ्फरपुर 23% पर सिमटे..

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 03 Dec 2025 08:53:17 AM IST

Bihar Govt School PTM

प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar Govt School PTM: बिहार शिक्षा विभाग की मासिक पैरेंट-टीचर मीटिंग के ताजा आंकड़ों ने एक कड़वा सच उजागर किया है। शनिवार को राज्य के 70% से अधिक सरकारी स्कूलों में हुई PTM में ग्रामीण जिलों ने अभिभावकों की शानदार उपस्थिति दर्ज कराई, जबकि शहरी जिले औसत से काफी नीचे रहे।


शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिलों में शामिल हैं शिवहर 100%, वैशाली 99%, बेगूसराय 86%। जबकि निचले पायदान पर रहे जिलों में शामिल रहे पटना मात्र 20%, गया 23%, मुजफ्फरपुर 23%। शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि यह अंतर आर्थिक-सामाजिक स्थिति और उपलब्ध विकल्पों से सीधे जुड़ा है। पटना जैसे महानगरों में अधिकांश मध्यम वर्ग के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। सरकारी स्कूलों में मुख्यतः अति गरीब परिवारों के बच्चे ही आते हैं, जिनके अभिभावक अक्सर दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। एक दिन की मजदूरी गंवाना उनके लिए भारी पड़ता है।


ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति उलट है। वहां निजी स्कूलों की संख्या कम होने से लगभग सभी बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़ते हैं। घर पर रहने वाली माताएं आसानी से PTM में शामिल हो लेती हैं। मिड-डे मील भी एक बड़ा आकर्षण बना हुआ है, यह कई बच्चों के लिए दिन का पहला पौष्टिक भोजन होता है। राज्य में कुल अभिभावक उपस्थिति अभी 30-45% के बीच ही है। शिक्षा विभाग अब इसे बढ़ाने के लिए नया कदम उठाने जा रहा है। हर PTM में कक्षा-वार व्यक्तिगत बातचीत की व्यवस्था की जाएगी, ताकि शिक्षक प्रत्येक बच्चे की प्रगति रिपोर्ट निजी तौर पर साझा कर सकें।


अधिकारी ने स्वीकार किया कि सबसे बड़ी चुनौती पहली पीढ़ी के साक्षर बच्चों के अभिभावकों को समझाना है जो खुद अशिक्षित हैं। इसके लिए निरंतर जागरूकता अभियान और शिक्षकों को प्रोत्साहन देने की योजना बनाई जा रही है। शिक्षा विभाग का मानना है कि जब तक ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अभिभावकों की भागीदारी 70-80% तक नहीं पहुंच जाती, सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता सुधार की असली शुरुआत नहीं हो सकती। अगली PTM में सुधार की पूरी उम्मीद है।