1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 05 Dec 2025 11:24:50 AM IST
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Bihar Assembly : बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पांचवें और अंतिम दिन ग्रामीण विकास विभाग के बजट 2025-26 पर चर्चा के दौरान सत्ता और विपक्ष के बीच जबरदस्त बहस देखने को मिली। लंच ब्रेक के बाद ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने विभाग का विस्तृत बजट प्रस्ताव सदन में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सरकार गांवों के विकास के लिए व्यापक योजनाओं पर काम कर रही है और अगले वित्तीय वर्ष में रोजगार, आधारभूत संरचना, सड़क निर्माण व जीविका समूहों को मजबूत बनाने पर विशेष फोकस रहेगा।
मंत्री श्रवण कुमार ने अपने प्रस्ताव में मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, नाली-गली योजना, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति, शौचालय निर्माण तथा जीविका दीदियों के लिए नए अवसरों के विस्तार की बात रखी। उन्होंने कहा कि जीविका समूहों की भूमिका बिहार के ग्रामीण ताने-बाने में बेहद महत्वपूर्ण है और आने वाले वर्ष में इनके माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से और भी सशक्त बनाने का लक्ष्य है।
RJD ने बजट को बताया ठेकेदार-प्रमुख, बुलडोजर संस्कृति पर साधा निशाना
मंत्री के प्रस्ताव के तुरंत बाद विपक्ष की ओर से राजद विधायक आलोक महेता ने तीखा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बजट भले ही कागज पर "ग्रामीण विकास" के लिए हो, लेकिन इसकी असल संरचना ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने वाली है। उनके अनुसार, सड़क निर्माण और अन्य योजनाओं की निविदाओं में बड़े ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है, जबकि वास्तविक ग्रामीण जरूरतें पीछे छूट रही हैं।
आलोक महेता ने सरकार पर आरोप लगाया कि “यह बजट ठेकेदारों के इशारे पर बना है। इसमें गांवों की असली जरूरतें शामिल नहीं हैं। बुलडोजर संस्कृति बिहार की जमीन पर गलत है। यह विकास का मॉडल नहीं, बल्कि पराजतंत्र का तरीका है।” उन्होंने कहा कि सरकार “बुलडोजर मॉडल” से प्रशासन चलाने की कोशिश कर रही है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।
जीविका समूहों के मुद्दे पर भी उठे सवाल
राजद विधायक ने जीविका के मुद्दे पर भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि जीविका समूहों को केवल राजनीतिक प्रचार का साधन बनाया जा रहा है, जबकि उन्हें वास्तविक आर्थिक सहायता और दीर्घकालिक योजनाओं की जरूरत है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जीविका दीदियों के लिए घोषित कई योजनाओं का जमीनी स्तर पर लाभ नहीं पहुंच रहा है। “सरकार सिर्फ कागजों पर महिलाओं के सशक्तिकरण की बात कर रही है, जबकि असल स्थिति यह है कि जीविका समूहों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है,” महेता ने कहा।
बुलडोजर संस्कृति पर कड़ा हमला
आलोक महेता ने विशेष रूप से “बुलडोजर संस्कृति” पर निशाना साधते हुए कहा कि यह चलन बिहार के लिए किसी भी तरह से उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के कुछ राज्यों में अपनाई गई इस नीति को बिहार में लागू करने की कोशिशें गलत दिशा में ले जाने वाली हैं।
सत्र में शोर-शराबे के बीच जारी रही चर्चा
हालांकि विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा, लेकिन सदन की कार्यवाही बीच-बीच में शोरगुल से बाधित भी हुई। फिर भी मंत्री ने अपनी बात पूरी की और आश्वस्त किया कि बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। ग्रामीण विकास बजट पर अंतिम निर्णय सत्र की कार्यवाही समाप्त होने से पहले लिया जाना है। विपक्ष और सत्ता पक्ष की इस तीखी मुठभेड़ के बाद यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में ग्रामीण विकास की नीतियों पर बिहार की राजनीति और गरमाएगी।