Bihar Kendriya Vidyalaya : बिहार को शिक्षा का बड़ा तोहफ़ा, 16 जिलों में खुलेंगे 19 नए केंद्रीय विद्यालय; राज्य में अब 72 केवी

केंद्र सरकार ने बिहार के 16 जिलों में 19 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने की मंजूरी दे दी है। नए स्कूलों के शुरू होने से राज्य में केवी की संख्या 53 से बढ़कर 72 हो जाएगी, जिससे शिक्षा ढांचा मजबूत होगा।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 03 Dec 2025 10:33:34 AM IST

Bihar Kendriya Vidyalaya : बिहार को शिक्षा का बड़ा तोहफ़ा, 16 जिलों में खुलेंगे 19 नए केंद्रीय विद्यालय; राज्य में अब 72 केवी

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Bihar Kendriya Vidyalaya : केंद्र सरकार ने आखिरकार वह बड़ा फैसला ले लिया है जिसकी प्रतीक्षा बिहार महीनों से कर रहा था। राज्य के 16 जिलों में 19 नए केंद्रीय विद्यालय (KV) खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी देकर केंद्र ने यह साफ कर दिया है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा और गति देने का समय आ गया है। यह फैसला न सिर्फ राज्य की शिक्षा सियासत को नई रोशनी देगा बल्कि स्कूली ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव भी लेकर आएगा।


राज्य सरकार के प्रस्ताव को लगभग पूरी मंजूरी

बिहार की नीतीश सरकार ने 14 जिलों में 17 नए केंद्रीय विद्यालयों के लिए जमीन चिह्नित कर केंद्र को प्रस्ताव भेजा था। केंद्र ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए इसे लगभग पूरी तरह स्वीकार कर लिया। इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन सुरक्षा बलों — आईटीबीपी (ITBP) और एसएसबी (SSB) — ने क्रमशः कटिहार और सीतामढ़ी में एक-एक केवी खोलने की मांग की थी। केंद्र ने इन दोनों प्रस्तावों को भी हरी झंडी दे दी है। यह निर्णय यह दर्शाता है कि सुरक्षा बल भी अपने जवानों और स्थानीय लोगों की शिक्षा को लेकर उतने ही संवेदनशील हैं जितना कि राज्य और केंद्र सरकारें।


बिहार में केंद्रीय विद्यालयों की संख्या पहुँचेगी 72

वर्तमान में बिहार में 53 केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। नए 19 विद्यालय शुरू होने के बाद यह संख्या बढ़कर 72 हो जाएगी। किसी भी राज्य में एक साथ इतने विद्यालयों की स्थापना शिक्षा ढांचे को मजबूत करने की दिशा में बेहद बड़ा कदम माना जाता है।


केंद्रीय विद्यालयों की खासियत यह है कि इनमें गुणवत्ता आधारित शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर का एक समान पाठ्यक्रम, उन्नत संसाधन और अनुभवी शिक्षकों की उपलब्धता रहती है। अब बिहार के अधिक जिलों में बच्चों को इसका लाभ बिना किसी अतिरिक्त प्रतिस्पर्धा के मिलेगा।


राज्य सरकार ने दिया पूरा सहयोग

केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता जमीन की होती है, जिसे बिहार सरकार ने निःशुल्क उपलब्ध कराया है। साथ ही, विद्यालयों के संचालन शुरू होने तक के लिए अस्थायी भवन भी चिन्हित कर दिए गए हैं। यह रुख बताता है कि शिक्षा के मुद्दे पर राज्य सरकार केंद्र के साथ तालमेल से काम करने के लिए पूरी तरह तैयार है। केंद्र और राज्य के बीच यह तालमेल आने वाले समय में शिक्षा से जुड़े किसी भी राजनीतिक भ्रम को दूर करेगा।


वे जिले जिन्हें पहली बार मिलेगा केंद्रीय विद्यालय

बिहार में कुछ ऐसे जिले थे जहां अब तक एक भी केंद्रीय विद्यालय नहीं था, जैसे —मधुबनी,शेखपुरा,कैमूर,अरवल, मधेपुरा अब इन जिलों में नए विद्यालय खुलने से वहां के छात्रों को भी राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा तक आसानी से पहुंच मिल सकेगी। ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में यह बदलाव शिक्षा के अंतर को कम करने का काम करेगा।


किस जिले में कहाँ खुलेगा केवी?

केंद्र द्वारा मंजूर किए गए 19 नए केंद्रीय विद्यालयों का जिलोंवार वितरण इस प्रकार है—पटना – 2 नए विद्यालय (संख्या अब 5 से बढ़कर 7), नालंदा – 2 विद्यालय, मधुबनी – 2 विद्यालय, मुंगेर – 1, पूर्णिया – 1, मुजफ्फरपुर – 1, भोजपुर – 1, गया – 1, भागलपुर – 1, कैमूर – 1, मधेपुरा – 1, शेखपुरा – 1 दरभंगा – 1, अरवल – 1,कटिहार (ITBP कैंप) – 1, सीतामढ़ी (SSB कैंप) – 1 यह सूची बताती है कि नए विद्यालय सिर्फ बड़े शहरों में नहीं बल्कि पिछड़े और सीमावर्ती इलाकों में भी खोले जा रहे हैं, जिससे शिक्षा का दायरा और प्रभाव दोनों व्यापक होंगे।


पटना को मिलेगी बड़ी राहत

राजधानी पटना में पहले से पाँच केंद्रीय विद्यालय हैं, लेकिन लगातार बढ़ती आबादी, प्रवासी परिवारों और सरकारी कर्मचारियों की संख्या को देखते हुए यह अपर्याप्त माना जा रहा था। अब दो नए विद्यालय खुलने के बाद कुल संख्या सात हो जाएगी, जिससे शहर में दाखिले का दबाव काफी कम होगा।


राज्य में शिक्षा का नया अध्याय

नए केंद्रीय विद्यालयों की मंजूरी बिहार के लिए सिर्फ एक सरकारी घोषणा नहीं, बल्कि शिक्षा सुधार का एक बड़ा अवसर है। इससे लाखों विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षण वातावरण मिलेगा। इसके अलावा, नए विद्यालयों से रोजगार, स्थानीय स्तर पर विकास और शिक्षा के प्रति सकारात्मक माहौल भी बनेगा। केंद्र और राज्य सरकारों का यह संयुक्त प्रयास आने वाले वर्षों में बिहार की शिक्षा व्यवस्था की नई पहचान गढ़ सकता है।