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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 18 Jun 2025 09:17:04 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो
Bihar News: बिहार की सियासत में एक बार फिर से हलचल मच गई है। दानापुर की पूर्व विधायक आशा सिन्हा के खिलाफ पटना की विशेष अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी किया है, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे समेत तीन लोगों पर मंदिर निर्माण से जुड़े विवाद में सिविल कोर्ट में मुकदमा दर्ज हुआ है।
आशा सिन्हा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट
दानापुर विधानसभा क्षेत्र से BJP की पूर्व विधायक आशा सिन्हा पर 2015 के एक मामले में कड़ा एक्शन लिया गया है। उन पर आरोप है कि 7 अक्टूबर 2015 को विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए सरकारी आदेश की अवहेलना कर वाहन जुलूस निकाला था। इस मामले में आशा सिन्हा जमानत पर थीं, लेकिन वे बार-बार कोर्ट में पेश नहीं हुईं। 13 मई 2025 को अदालत ने उन्हें सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया था, जिसकी अनदेखी करने पर मंगलवार को उनकी जमानत रद्द कर दी गई और गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है।
पटना की विशेष अदालत ने आशा सिन्हा के बेल बॉन्ड को खारिज करते हुए पुलिस को उनकी गिरफ्तारी के निर्देश दिए हैं। यह मामला अब स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि आशा सिन्हा दानापुर में एक प्रमुख चेहरा रही हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हो सकती है, जबकि पुलिस और प्रशासन का कहना है कि यह पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया का पालन है। इस घटना ने दानापुर में BJP कार्यकर्ताओं के बीच बेचैनी पैदा कर दी है।
अश्विनी चौबे पर मंदिर विवाद में मुकदमा
दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री और BJP के फायरब्रांड नेता अश्विनी चौबे एक अलग विवाद में फंस गए हैं। मामला रामायण रिसर्च काउंसिल से जुड़ा है, जो बखरी में मां जानकी की प्रतिमा और मंदिर निर्माण की देखरेख कर रहा है। आरोप है कि इस परियोजना के प्रचार में पुनौरा मंदिर की तस्वीरों का इस्तेमाल कर लोगों को गुमराह किया गया। बखरी के निवासी राजीव कुमार ने इस मामले को लेकर स्थानीय सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया है।
मुकदमे में रामायण रिसर्च काउंसिल के संरक्षक अश्विनी चौबे, अध्यक्ष कुमार सुशांत और बिहार प्रभारी बब्बन सिंह को आरोपी बनाया गया है। शिकायतकर्ता का दावा है कि तस्वीरों के दुरुपयोग से धार्मिक भावनाएं आहत हुईं और लोगों में भ्रम फैला। अश्विनी चौबे, जो बक्सर से सांसद और बिहार BJP के दिग्गज नेता हैं, इस मामले में अभी कोई बयान नहीं दे पाए हैं। हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि यह मुकदमा राजनीति से प्रेरित है और चौबे की छवि को धूमिल करने की साजिश है।
इन दोनों घटनाओं ने बिहार की राजनीति में तूफान ला दिया है। आशा सिन्हा का मामला आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ा होने के कारण BJP की संगठनात्मक अनुशासन पर सवाल उठा रहा है, जबकि अश्विनी चौबे का मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा होने के कारण संवेदनशील हो गया है। विपक्षी दल, खासकर RJD और कांग्रेस, इन मामलों को BJP के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
पुलिस और कोर्ट की कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं। आशा सिन्हा के मामले में पुलिस उनकी तलाश में जुट गई है, और जल्द ही उनकी गिरफ्तारी की संभावना है। वहीं, अश्विनी चौबे के मामले में कोर्ट की अगली सुनवाई पर सबकी निगाहें हैं। देखना दिलचस्प होगा कि अब इन मामलों में आगे क्या होता है। ये दोनों मामले बिहार में BJP के लिए चुनौती बन सकते हैं, खासकर तब जब 2025 विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।