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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 29 Aug 2025 09:04:18 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: राजधानी पटना एक बार फिर वैश्विक प्रदूषण की सूची में शामिल हो गया है, स्विस एजेंसी आईक्यूएयर की ताजा रिपोर्ट ने इसे 37वें स्थान पर रखा है। गांधी मैदान के एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में द क्लाइमेट एजेंडा, इन्वायरोकैटालिस्ट्स और आईआईटी (बीएचयू) ने संयुक्त रूप से दो महत्वपूर्ण शोध पत्र प्रस्तुत किए, जिनमें शहर की वायु गुणवत्ता, ट्रैफिक समस्याओं और सार्वजनिक परिवहन की संभावनाओं पर गहरा विश्लेषण किया गया। यह अध्ययन न केवल पटना की बढ़ती प्रदूषण समस्या को उजागर करता है, बल्कि स्मार्ट परिवहन और हरित गतिशीलता के जरिए इसे हल करने के रास्ते भी सुझाता है। बिहार की ईवी नीति 2023 का मूल्यांकन करते हुए यह साफ है कि शहर को अब पारंपरिक परिवहन से आगे बढ़कर टिकाऊ समाधानों की जरूरत है।
रिपोर्ट में सामने आया कि पटना में बढ़ती वाहनों की संख्या और सीमित सार्वजनिक परिवहन सुविधाएं प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हैं। आईआईटी (बीएचयू) के सहायक प्रोफेसर डॉ. अभिषेक मुद्गल ने बताया कि स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट, मजबूत बस कॉरिडोर और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने से न केवल हवा की गुणवत्ता सुधरेगी, बल्कि रोजमर्रा के ट्रैफिक जाम की समस्या भी कम होगी। उन्होंने जोर दिया कि अगर पटना ने समय पर ये कदम नहीं उठाए तो प्रदूषण का स्तर और खतरनाक हो सकता है। बिहार की राजधानी तेजी से बढ़ रही है और इसके साथ ही वाहनों का उत्सर्जन शहर की हवा को जहरीला बना रहा है।
कार्यक्रम में पटना की मेयर सीता साहू ने भी हिस्सा लिया और शहर को स्वच्छ और हरित बनाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा, “हम विशेषज्ञों और समुदाय के साथ मिलकर तेज आवागमन और स्वच्छ हवा के लिए काम करेंगे।” अध्ययन में सुझाव दिया गया कि साइकिल ट्रैक, इलेक्ट्रिक बसें और साझा परिवहन को बढ़ावा देना जरूरी है। इसके लिए न केवल सरकारी नीतियों को लागू करना होगा बल्कि नागरिकों को भी निजी वाहनों का कम इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना होगा। मेयर ने कहा कि यह अध्ययन शहर के लिए एक रोडमैप की तरह है जो भविष्य में टिकाऊ विकास की दिशा दिखाता है।
पटना के लिए अब समय है कि वह प्रदूषण के 37वें स्थान से बाहर निकलने की दिशा में कदम उठाए। स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम, स्वच्छ ऊर्जा आधारित वाहन और जागरूकता अभियान इस बदलाव के तीन मुख्य आधार हो सकते हैं। नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, यदि सरकार और लोग साथ मिलकर काम करें तो पटना न केवल स्वच्छ हवा का शहर बन सकता है बल्कि एक हरित और टिकाऊ भविष्य की ओर भी बढ़ सकता है।