1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 30 Nov 2025 07:52:05 AM IST
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Bihar teacher recruitment : बिहार में शिक्षा विभाग ने अब तक हुई शिक्षक नियुक्तियों की व्यापक और गहन जांच का फैसला किया है। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के माध्यम से तीन चरणों—TRE 1, TRE 2 और TRE 3—में हुई नियुक्तियों के बाद विभाग ने सभी चयनित शिक्षकों के शैक्षणिक, प्रशिक्षण और अनुभव प्रमाणपत्रों का सत्यापन अनिवार्य कर दिया है।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक सज्जन कुमार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और संबंधित अधिकारियों को पत्र जारी कर एक महीने के भीतर जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। यदि किसी शिक्षक के दस्तावेज में फर्जीवाड़ा पाया जाता है, तो उनकी नियुक्ति रद्द करने के साथ-साथ अब तक प्राप्त वेतन की वसूली भी की जाएगी।
तीन चरणों में हुई लगभग 2.68 लाख शिक्षक नियुक्तियाँ
राज्य में प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अब तक लगभग 2.68 लाख शिक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है।
TRE 1: 1,02,000 शिक्षक
TRE 2: 69,500 शिक्षक
TRE 3: 51,389 शिक्षक
सभी प्रमाणपत्रों की होगी कड़ी जांच
नए आदेश के अनुसार, शिक्षकों के निम्न दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। इसमें शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्र (B.Ed, D.El.Ed, BSc आदि, शिक्षक प्रशिक्षण प्रमाणपत्र,अनुभव प्रमाणपत्र, जाति, निवास और आय प्रमाणपत्र दिव्यांगता प्रमाणपत्र (यदि लागू हो) अन्य आवश्यक दस्तावेज। अब DEO को हर एक अभ्यर्थी के दस्तावेजों का सत्यापन कर रिपोर्ट एक महीने में विभाग को भेजना होगा।
फर्जी प्रमाणपत्र पाए जाने पर कार्रवाई
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि जाली या गलत प्रमाणपत्र पाए जाने पर तत्काल नियुक्ति रद्द होगी।अब तक प्राप्त वेतन वापस वसूला जाएगा।इसके साथ ही फर्जीवाड़े के मामलों में कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम राज्य में योग्य और पारदर्शी शिक्षक नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। पहले भी सामने आए थे फर्जीवाड़े के मामले थे। इसके बाद अब यह निर्णय लिया गया है।
बताते चलें कि,कुछ जिलों में दिव्यांग प्रमाणपत्र और निवास प्रमाणपत्र में धोखाधड़ी की घटनाएं हुई थीं। RTI से प्राप्त जानकारी में कई बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों ने बिहार का फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनाकर नियुक्ति प्राप्त की। कुछ मामलों में दिव्यांग श्रेणी के शिक्षकों के दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई गई।इन फर्जीवाड़ों को रोकने के लिए विभाग ने अब सख्त सत्यापन अभियान शुरू किया है।
आपको बताते चलें कि बिहार राज्य विद्यालय शिक्षक नियमावली 2023 के अनुसार नियुक्ति प्राधिकारी को सभी दस्तावेजों का सत्यापन करना अनिवार्य है। कार्य हित में औपबंधिक नियुक्ति दी जा सकती है, लेकिन अंतिम नियुक्ति तभी वैध मानी जाएगी जब सभी प्रमाणपत्रों का तहसील और संबंधित विभाग से सत्यापन पूरा हो। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने जिलों को चेतावनी दी है कि जांच में लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई होगी। रिपोर्ट समय पर न भेजने वाले अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
राज्य सरकार का मानना है कि बड़े पैमाने पर हुई शिक्षक नियुक्तियों के बीच कुछ प्रतिशत गड़बड़ी पूरे तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है। इसलिए सभी नियुक्तियों का दोबारा सत्यापन शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा। बिहार में 2.68 लाख शिक्षकों की नियुक्तियों के बाद अब दस्तावेज सत्यापन का यह अभियान राज्य का सबसे बड़ा और व्यापक सत्यापन अभियान माना जा रहा है। फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियों को अब कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, जबकि योग्य शिक्षकों के लिए यह कदम पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करेगा।