1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 05 Dec 2025 12:06:21 PM IST
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Bihar Assembly Winter Session : बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आज पांचवे और अंतिम दिन अपने चरम पर पहुंचा। हालांकि पूरे सत्र में राजनीतिक बहस और मुद्दों की गर्माहट बनी रही, लेकिन आज का दिन सदन में विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। दिन की शुरुआत होते ही सदन में हल्की चहल-पहल और उत्सुकता का माहौल था, क्योंकि सभी सदस्य अंतिम दिन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए तैयार थे। लेकिन जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, सदन का माहौल अचानक थोड़ा गरम हो गया, जब जेडीयू के सबसे उम्रदराज विधायक विजेंद्र यादव ने अपनी बात रखनी शुरू की।
विजेंद्र यादव ने अपने संबोधन में बिहार के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब बिहार के विभागन के समय यह कहावत प्रचलित थी कि “अब बिहार में क्या है लालू, आलू और बालु।” यह बयान सदन में हल्की हंसी और साथ ही गंभीर विचारों को जन्म देने वाला था। लेकिन उन्होंने तुरंत जोड़ते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने जो विकास की राह चुनी है, वह अब इस तरह की बातें करने की जरूरत नहीं बचती। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी और बिहार की जनता विकास और सामाजिक सुधार की दिशा में आगे बढ़ रही है।
विजेंद्र यादव ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी मंशा किसी राजनीतिक विवाद या चारा घोटाले जैसी पुरानी घटनाओं को फिर से उभारने की नहीं है। उनका उद्देश्य केवल बिहार के विकास और नेतृत्व की प्रशंसा करना था। उन्होंने सदन में मौजूद सभी विधायकों से अपील की कि वे व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर बिहार के हित में चर्चा करें।
लेकिन इस दौरान राजद के कुछ विधायक उनके बयान से भड़क गए। विशेष रूप से उनकी यह टिप्पणी कि "नीतीश कुमार के नेतृत्व में अब चारा घोटाले जैसी घटनाओं की चर्चा नहीं होती", राजद के कुछ विधायकों को नागवार गुजरी। उन्होंने अपने स्थानों से खड़े होकर विरोध जताना शुरू किया। सदन में अचानक हंगामा हो गया और विपक्ष के विधायकों ने जोर से नारे लगाने शुरू कर दिए। यह दृश्य सदन की गरिमा और शांति के लिए असामान्य था।
सदन के स्पीकर ने तुरंत हस्तक्षेप किया और सभी राजद के विधायकों को आदेश दिया कि वे अपनी जगह पर वापस बैठें। स्पीकर की कड़ी चेतावनी और आदेश के बाद सभी विरोधी विधायक अपनी-अपनी सीटों पर बैठ गए, जिससे सदन का माहौल शांत हुआ और कार्यवाही फिर से सुचारू रूप से चलने लगी।
इसके बाद विजेंद्र यादव ने अपने संबोधन को समाप्त किया और सदन ने शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन की कार्यवाही पूरी की। इस सत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें बजट, ग्रामीण विकास, आधार सेवाओं के विस्तार और विधानमंडल के नए नियमावली पर भी विचार-विमर्श शामिल था। इसके साथ ही सदन ने नए विधायकों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम और पारदर्शिता बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा की।
शीतकालीन सत्र के इस अंतिम दिन यह स्पष्ट हुआ कि बिहार विधानमंडल में राजनीतिक बहसें गहन और कभी-कभी गरम होती हैं। लेकिन साथ ही यह भी देखा गया कि अध्यक्ष और स्पीकर की सख्त प्रशासनिक भूमिका सदन की गरिमा और कार्यवाही को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। विजेंद्र यादव का संबोधन और राजद विधायकों का विरोध इस बात का प्रतीक था कि बिहार की राजनीति में पुराने और नए मुद्दों के बीच संतुलन बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
सत्र के समापन के साथ ही यह भी संकेत मिलते हैं कि आने वाले समय में बिहार की राजनीति में विकास और भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों पर केंद्रित बहसें प्रमुख रहेंगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विकास के प्रयासों और विपक्ष के आलोचनाओं के बीच संतुलन बनाना ही बिहार की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करेगा।
इस प्रकार, आज का अंतिम दिन न केवल राजनीतिक नाटकीयता का साक्षी बना, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बिहार विधानसभा में सख्त अनुशासन और नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए अनिवार्य है। शीतकालीन सत्र का समापन इस बात का संदेश देता है कि बिहार की राजनीति में विकास और लोकतांत्रिक बहस दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है, और भविष्य में यह संतुलन ही राज्य के सामाजिक और आर्थिक उन्नति की दिशा तय करेगा।