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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 10 Nov 2025 03:55:43 PM IST
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Economic Offences Unit Bihar : थाईलैंड सीमा के पास स्थित कुख्यात “KK पार्क” में नौकरी के लालच में फंसे और जबरन साइबर ठगी में शामिल किए गए 270 भारतीयों में से आठ बिहार के मूल निवासियों को विशेष टीम की सहायता से सुरक्षित रूप से पटना लाया गया है। आर्थिक अपराध इकाई, बिहार, पटना की जांच में सामने आया कि इन लोगों को डाटा एंट्री की नौकरी का झांसा देकर म्यावाड़ी स्थित इस गिरोह के ठिकाने पर ले जाया गया और वहां उन्हें फेसबुक आईडी हैक कर विदेशी नागरिकों को क्रिप्टो निवेश के जाल में फंसाने जैसे साइबर अपराध करने के लिए मजबूर किया गया।
केंद्र व राज्य की संयुक्त पहल
म्यांमार में आयुर्विक्रमिक कार्रवाई के बाद वहाँ फंसे विदेशी नागरिकों को निकालने की कार्रवाई में म्यांमार आर्मी की छापेमारी निर्णायक साबित हुई। छापेमारी के बाद कई देशों के नागरिक थाईलैंड पहुंचे, जहां थाई आर्मी और संबंधित एजेंसियों ने सत्यापन के पश्चात् 270 भारतीयों को नई दिल्ली के लिए भेजा। प्रारंभिक पूछताछ के बाद भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र (I4C) के निर्देशानुसार आर्थिक अपराध इकाई, बिहार की टीम को दिल्ली/नोएडा भेजा गया ताकि बिहार के आठ व्यक्तियों को उनके परिजनों के सुपुर्द करने व आगे की जांच के लिए पटना लाया जा सके।
बिहार के आठ मुक्त कराए गए व्यक्तियों की पहचान:
आर्थिक अपराध इकाई के रिकॉर्ड के अनुसार 08 बिहार निवासी हैं — प्रशांत कुमार पटेल (गोपालगंज), सागर कुमार (गया), मो. राजिक (मधुबनी), आरिफ अली (सीतामढ़ी), आदित्य कुमार झा (अररिया), मो. फैजान आलम (सीतामढ़ी), आदित्य (सुप्पी, सीतामढ़ी) तथा आसिफ शेख (मधुबनी)। इन सभी का विधिवत् पूछताछ के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया गया है और संबंधित जिलों के साइबर थानों को आगे की जांच के निर्देश भेजे गए हैं। सभी आठ व्यक्ति 13 नवंबर, 2025 को संबंधित जिला साइबर थानों में उपस्थित होकर और अधिक विस्तृत पूछताछ के लिए बुलाए गए हैं।
कैसे फंसे युवक/युवतियाँ — गिरोह की कार्यप्रणाली:
पूछताछ के दौरान सभी पीड़ितों ने बताया कि उन्हें भारत में कुछ एजेंटों ने विदेश में डाटा एंट्री की नौकरी दिलाने का झांसा दिया। थाईलैंड के बैंकॉक एयरपोर्ट पर इन एजेंटों द्वारा गिरोह के सहयोगियों के साथ समन्वय कर उन्हें रिसीव किया जाता और फिर थाईलैंड—म्यांमार सीमा के पास स्थित नदी पार कराकर म्यावाड़ी के KK पार्क ले जाया जाता। वहां पंहुचने के बाद उन्हें कड़ी निगरानी में रखा जाता और जबरन साइबर ठगी तथा क्रिप्टो निवेश के जाल में फंसाने का काम कराया जाता। सूत्रों के अनुसार वहां विदेशी पुरुष एवं महिलाएं भी एआई-जनित प्रोफाइल और हैक की गई फेसबुक आईडी का प्रयोग कर अमेरिका और कनाडा के लक्षित लोगों को फ़ंसाने का कार्य करती थीं।
वेतन, कमीशन और दबाव:
पीड़ितों ने बताया कि उन्हें मासिक 30,000 थाई बहात का वेतन दिया जाता था और प्रत्येक सफल ठगी पर उन्हें लगभग 3 प्रतिशत कमीशन मिलता था। साथ ही, यदि कोई लक्ष्य पूरा नहीं करता या विरोध करता तो शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता। कई पीड़ितों ने कहा कि शिकायत या काम न करने पर गिरोह द्वारा चार लाख रुपये जैसा महजरा (जुर्माना) भी थोप दिया जाता था। KK पार्क में अनुमानित 2,000 के आसपास विभिन्न देशों के नागरिक जबरन रोके गये थे और साइबर ठगी के काम में लगाए गए थे।
कब और कैसे मुक्ति मिली:
स्थानीय म्यांमार फोर्सेस की छापेमारी के दौरान अनेक फंसे हुए लोगों को मुक्त कराया गया और उन्हें सुरक्षित निकाल कर थाईलैंड भेजा गया। थाईलैंड में वैधता व सत्यापन के बाद 270 भारतीयों को विशेष विमान से नई दिल्ली लाया गया, जहां से उन्हें संबंधित राज्यों की टीमों को सौंपा गया। बिहार के आठ लोगों की जिम्मेदारी आर्थिक अपराध इकाई, बिहार को सौंपी गई तथा पटना में उनकी विधिवत पूछताछ की गई।
आगे की कार्रवाई:
आर्थिक अपराध इकाई, बिहार ने सभी संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों व साइबर थानाध्यक्षों को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं कि वे पीड़ितों से विस्तार से पूछताछ कर उन एजेंटों/बिचौलियों की पहचान करॉफत करें और इस गिरोह से जुड़े नेटवर्क के विरुद्ध आवश्यक कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ ही पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय स्तर पर समन्वय करने का भी निर्देश दिया गया है।
सार्वजनिक चेतावनी व सन्देश:
आर्थिक अपराध इकाई, बिहार पटना की साइबर अपराध प्रभाग ने आम जनता से अपील की है कि नौकरी के लालच में किसी भी अज्ञात एजेंट या बिचौलिए के चक्कर में न पड़ें। विदेश में नौकरी का प्रस्ताव मिलने पर संबंधित स्थान, संस्था, काम की प्रकृति, और वहां की कानूनी व सुरक्षा स्थितियों की पूरी तरह जाँच-पड़ताल किए बिना किसी भी निर्णय पर न पहुँचे। सोशल मीडिया व अनजान व्यक्तियों के कहने पर ऐसे कदम न उठाएँ।
KK पार्क से मुक्ति पाए गए भारतीयों की यह घटना एक चेतावनी है कि आधुनिक तकनीक व सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों को शोषित किया जा रहा है। प्रशासनिक कदमों के साथ सामुदायिक जागरूकता और सतर्कता ही भविष्य में ऐसे जाल से युवाओं को बचा सकती है।