1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 01 Sep 2025 07:47:14 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार की राजधानी पटना से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां बाढ़ राहत की राशी को मृत लोगों के खाते में भेज दिया गया है। दरअसल, यह मामला पटना से सटे बख्तियारपुर दियारा की है। प्रखंड की हरदासपुर दियारा, कालादियारा, रूपस महाजी, चिरैया रूपस और रामनगर सतभैया पंचायत के बाढ़ पीड़ितों के बैंक खाते में सात-सात हजार रुपये आए हैं, जिनमें कई लाभार्थियों स्वर्गवास हो गए है।
दरअसल, मृतकों के बैंक खाते अब भी चालू हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने अधिकारियों को इस मामले से अवगत करा दिया है। हरदासपुर दियारा के मुखिया मनोज कुमार ने बताया कि उनके पंचायत में बाढ प्रभावितों की सूची में लगभग सौ लोग ऐसे हैं जो पंचायत के निवासी नहीं है। जबकि आठ से दस लोगों का निधन हो चुका है। उन्होंने आरोप लागया है कि बाढ़ पीड़ितों की सूची के लिए न तो अनुश्रवण समिति की राय ली गई और न ही किसी मुखिया से पारिवारिक जानकारी मांगी गई।
मुखिया का कहना है कि मृतकों की सूची जनप्रतिनिधियों ने सीओ को दी थी। इसके बावजूद जिला मुख्यालय के कर्मियों की लापरवाही से मृतकों के खाते में राशि भेजी गई है। उनका आरोप है कि रूपस महाजी के कई वार्डों में पति-पत्नी के खाते में भी बाढ़ सहायता राशि आई है।
बता दें कि इस मामले का खुलासा तब हुआ जब मृतकों के खाते में बाढ़ सहायता की राशि आई। हरदासपुर दियारा निवासी राम बालक राय, दीना राय,कैलाश राय,राम किशुन राय अलखदेव राय का निधन वर्ष 2024 से पहले हो चुकी है। लेकिन उनके बैंक खाते में बाढ़ सहायता की राशि 7-7 हजार रुपये भेजी गई। ऐसे ही अन्य चार पंचायतों के सैकड़ों मृतकों के खाते में बाढ़ राहत की राशि आई है।
हदरासपुर के मुखिया मनोज कुमार ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों की सूची के बारे में न तो अनुश्रवण समिति की राय ली गई और न ही किसी मुखिया से पारिवारिक जानकारी मांगी गई। हमारे पंचायत में मृतकों और नहीं रहने वालों के खाते में बाढ़ राहत की राशि आई है। इसकी जानकारी अधिकारियों को दी है।
बख्तियारपुर के सीओ ने कहा कि मुखिया से मृतकों के बैंक खाते में बाढ़ सहायता राशि भेजने की शिकायत मिली है। कुछ ऐसे भी परिवार है जिसमें पति-पत्नी दोनों के खाते में राशि जमा हुई है। इसकी जांच कराई जाएगी। जांचोपरांत राशि लौटने की कार्रवाई होगी। साथ ही मुखिया और अन्य जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि राहत राशि वितरण से पहले पंचायत स्तर पर सत्यापन अनिवार्य किया जाए, और अनुश्रवण समिति की संलिप्तता को अनिवार्य बनाया जाए। इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सकेगा।