1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 05 Dec 2025 08:44:17 AM IST
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Train Coach Colors : भारत में यात्रा के लिए ट्रेन का महत्व किसी परिचय का मोहताज नहीं है। देश की बड़ी आबादी के लिए ट्रेन यात्रा न सिर्फ किफायती होती है, बल्कि लंबी दूरी के सफर के लिए यह सबसे भरोसेमंद विकल्प भी है। खासकर मुंबई में लोकल ट्रेन को लोग ‘लाइफलाइन’ मानते हैं। ट्रेन का सफर अन्य परिवहन साधनों से अलग होता है। ट्रेन से यात्रा करते समय रास्ते के विभिन्न गांव, शहर, नदी-नाले और प्राकृतिक नजारे देखने को मिलते हैं, जो यात्रा के अनुभव को और खास बना देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि ज्यादातर ट्रेनों के डिब्बों का रंग नीला होता है, जबकि कई बार लाल, हरे या भुरे रंग के भी डिब्बे देखने को मिलते हैं? क्या यह सिर्फ सजावट का हिस्सा है, या इसके पीछे कोई विशेष कारण है?
दरअसल, ट्रेन के डिब्बों के रंग उनके प्रकार, गति और विशेषताओं को दर्शाते हैं। यह रंग यात्रियों को आसानी से यह समझने में मदद करते हैं कि कौन सा डिब्बा किस तरह की सुविधा प्रदान करता है। सबसे आम नीले रंग के डिब्बे होते हैं, जो आमतौर पर ICF (Integral Coach Factory) कोच होते हैं। ये मध्यम गति की ट्रेनों के लिए डिजाइन किए गए हैं और अधिकांश सामान्य और स्लीपर क्लास के यात्रियों के लिए होते हैं।
वहीं, लाल रंग के डिब्बे LHB (Linke Hofmann Busch) कोच होते हैं। ये कोच आधुनिक तकनीक से बनाए गए हैं और तेज गति वाली ट्रेनों के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। LHB कोचों की बनावट मजबूत होती है और ये अधिक आरामदायक होते हैं। इसके अलावा हरे रंग के डिब्बे गरीब रथ ट्रेनों के लिए रखे जाते हैं, जो कि किफायती और सरल यात्रा के लिए डिजाइन किए गए हैं। वहीं, भूरा रंग मीटर गेज ट्रेनों के डिब्बों के लिए होता है, जो छोटे पैमाने की ट्रेनों में उपयोग में आते हैं।
ट्रेन डिब्बों के रंगों के अलावा उन पर लगी रंगीन पट्टियों का भी विशेष महत्व है। शायद आपने देखा होगा कि कुछ कोच पर पीली पट्टी लगी होती है, तो कुछ पर सफेद, लाल या हरी पट्टियाँ। इन पट्टियों का मतलब भी यात्रियों के लिए अलग-अलग सुविधाओं और श्रेणियों को स्पष्ट करता है।
पीली पट्टी वाले डिब्बे विशेष रूप से विकलांग यात्रियों और चिकित्सा सहायता की जरूरत वाले यात्रियों के लिए रिजर्व किए जाते हैं। सफेद पट्टी वाली कोच सामान्य जनरल कोच को दर्शाती हैं और इनमें कोई विशेष आरक्षण नहीं होता। लाल पट्टी वाले डिब्बे प्रथम श्रेणी (First Class) यात्रियों के लिए होते हैं, जहां यात्रियों को अधिक आराम और सुविधाएँ मिलती हैं। वहीं, हरी पट्टियाँ महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में दिखाई देती हैं, ताकि महिला यात्री सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा कर सकें।
इस तरह, ट्रेन के डिब्बों के रंग और पट्टियाँ केवल सजावट नहीं हैं, बल्कि यात्रियों को उनके यात्रा विकल्प और सुविधा के बारे में जानकारी देने का एक महत्वपूर्ण तरीका हैं। यह व्यवस्था विशेष रूप से लंबी दूरी की ट्रेनों और भीड़-भाड़ वाले समय में यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करने में मदद करती है। यात्रियों के लिए यह जानकारी जानना बेहद जरूरी है, ताकि वे सफर के दौरान सही डिब्बा चुन सकें और उनकी यात्रा आरामदायक रहे। उदाहरण के लिए, यदि किसी यात्री को तेज गति वाली ट्रेन में आरामदायक सीट चाहिए तो वह लाल रंग के LHB कोच में यात्रा करेगा। वहीं, जिन यात्रियों को सस्ती यात्रा करनी है, वे हरे या नीले कोच का विकल्प चुन सकते हैं।
इसके अलावा, यह व्यवस्था रेलवे प्रशासन के लिए भी महत्वपूर्ण है। ट्रेन में डिब्बों के रंग और पट्टियों की जानकारी रेलवे स्टाफ और यात्रियों को आसानी से पहचानने में मदद करती है, जिससे ट्रेन संचालन में सुव्यवस्था बनी रहती है। यह नियम विशेष रूप से भीड़भाड़ वाले समय और अलग-अलग श्रेणी की ट्रेनों में यात्रियों को सही जगह पर बैठाने में कारगर साबित होता है। तो अगली बार जब आप ट्रेन के डिब्बे पर नजर डालें, तो केवल रंग को सजावट समझकर न देखें। नीला, लाल, हरा या भूरा—हर रंग के पीछे एक खास उद्देश्य छुपा है। साथ ही, पट्टियों का रंग भी यात्रियों के लिए विशेष सुविधाओं को दर्शाता है। यह छोटी-सी जानकारी आपके सफर को और सुविधाजनक और समझदारी भरा बना सकती है।
नोट: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी विभिन्न रिपोर्ट्स और रेलवे के सामान्य नियमों के आधार पर तैयार की गई है। फर्स्ट बिहार इस जानकारी की पुष्टि नहीं करता।