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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 06 Dec 2025 10:00:31 AM IST
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Delhi- Kathmandu railway : बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित रक्सौल से नेपाल की राजधानी काठमांडू तक रेल कनेक्टिविटी का सपना अब हकीकत के करीब पहुंच गया है। इसके लिए लिंक रेल लाइन के निर्माण का groundwork इसी महीने पूरा होने वाला है। कोंकण रेलवे द्वारा इस परियोजना का भूमि सर्वेक्षण कार्य लगभग समाप्त हो चुका है और अधिकारियों की जानकारी के अनुसार, इस महीने पूरी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। इसके बाद जनवरी 2026 में इस प्रोजेक्ट का डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार किया जाएगा और लाइन बिछाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी।
भूमि सर्वेक्षण का काम और डीपीआर की तैयारी
कोंकण रेलवे ने रक्सौल-काठमांडू लिंक रेल लाइन के सर्वेक्षण में 80 प्रतिशत से अधिक काम पूरा कर लिया है। भूमि सर्वेक्षण के दौरान इस प्रोजेक्ट के लिए मार्ग निर्धारण, भू-स्थिति, भूमि अधिग्रहण और निर्माण से जुड़ी सभी तकनीकी जानकारी जुटाई जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, जनवरी 2026 तक डीपीआर तैयार होने के बाद परियोजना की वास्तविक लागत, निर्माण की अवधि और स्टेशन की संख्या जैसे महत्वपूर्ण विवरण निश्चित किए जाएंगे।
इस परियोजना के तहत रक्सौल से काठमांडू के बीच कुल 13 स्टेशन होंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नेपाल की राजधानी तक यात्री और माल दोनों तरह की ट्रेन सेवाएं संचालित की जा सकें। वर्तमान में सड़क मार्ग से रक्सौल-काठमांडू की दूरी लगभग 136 किलोमीटर है, जिसे तय करने में पांच घंटे से अधिक समय लगता है। रेल मार्ग के बनने के बाद यह दूरी दो से तीन घंटे में पूरी की जा सकेगी, जिससे समय और परिवहन लागत दोनों की बचत होगी।
परियोजना का इतिहास और महत्व
रक्सौल-काठमांडू लिंक रेल लाइन की योजना को केंद्रीय सरकार ने 2021 में मंजूरी दी थी। इसके बाद विभिन्न चरणों में सर्वेक्षण और तकनीकी मूल्यांकन का काम किया गया। पूर्व मध्य रेलवे के कंस्ट्रक्शन विभाग को इस परियोजना की निगरानी और आवश्यक जानकारी प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई है।
दिल्ली से नेपाल तक सीधी ट्रेन सेवा शुरू करने की पहल 2022 में हुई थी। दिल्ली से रक्सौल तक रेलवे कनेक्शन पहले से ही मौजूद है। अब नई रक्सौल-काठमांडू लाइन के निर्माण से दिल्ली और काठमांडू के बीच रेल मार्ग सीधे जुड़ जाएगा। इससे न केवल यात्री और पर्यटकों को सुविधा होगी, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
अनुमानित लागत और आर्थिक प्रभाव
2023 में कराए गए पहले सर्वेक्षण के आधार पर अनुमान लगाया गया था कि इस लिंक रेल लाइन का निर्माण लगभग 25 हजार करोड़ रुपये की लागत में पूरा होगा। हालांकि, अंतिम डीपीआर तैयार होने के बाद परियोजना की वास्तविक लागत बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय रेलवे प्रोजेक्ट में निर्माण, भू-पूर्ति, विद्युतीकरण और स्टेशन निर्माण की लागत शामिल होती है, इसलिए अंतिम राशि सर्वेक्षण और डीपीआर के बाद स्पष्ट होगी।
इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि दिल्ली से नेपाल तक रेल मार्ग का निर्माण होने के बाद परिवहन की समयावधि कम होगी और लोगों को सुरक्षित, तेज और सुविधाजनक यात्रा का विकल्प मिलेगा। इसके अलावा, व्यापारियों के लिए भी यह रेल लिंक महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि माल ढुलाई की लागत और समय में कटौती होगी।
विद्युतीकरण और आधुनिक सुविधाएं
रक्सौल-काठमांडू रेल लाइन पूरी तरह से विद्युतीकृत होगी। इसका मतलब है कि ट्रेन सेवाएं पर्यावरण के अनुकूल होंगी और लंबी दूरी तय करने में समय की बचत होगी। विद्युतीकरण से ईंधन पर खर्च भी कम होगा और यह लाइन भविष्य में उच्च गति की ट्रेन सेवाओं के लिए भी तैयार रहेगी।
अधिकारियों ने बताया कि भूमि सर्वेक्षण के बाद डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया तेज होगी और टेंडर जारी होते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। इससे परियोजना का वास्तविक निर्माण कार्य जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व
रक्सौल-काठमांडू रेल लाइन न केवल बिहार और नेपाल को जोड़ती है, बल्कि यह भारत और नेपाल के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूती प्रदान करेगी। रेल मार्ग बनने के बाद पर्यटन बढ़ेगा, स्थानीय रोजगार सृजित होगा और नेपाल से जुड़े व्यापार में तेजी आएगी।
इस प्रकार, रक्सौल-काठमांडू लिंक रेल लाइन न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्व रखती है, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई संभावनाओं का द्वार खोलती है। नई दिल्ली से नेपाल की राजधानी तक सीधी ट्रेन सेवा शुरू होने पर दोनों देशों के बीच यातायात और संपर्क को नया आयाम मिलेगा।
कुल मिलाकर, रक्सौल-काठमांडू लिंक रेल लाइन परियोजना भारत और नेपाल के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। भूमि सर्वेक्षण का काम पूरा होने के बाद डीपीआर तैयार होगा और जनवरी 2026 में टेंडर प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इस परियोजना को जल्द ही जमीन पर लागू करने की दिशा में कदम बढ़ेंगे।