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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 12 Jun 2025 11:48:40 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार के जिला मुख्यालय स्थित चकिया रोड से एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें बीएएमएस चिकित्सक डॉ. कंचन कुमारी एक महिला का सिजेरियन ऑपरेशन करती हुई नजर आ रही हैं। वीडियो में देखा गया कि ऑपरेशन के दौरान चिकित्सक के भांजे द्वारा उसका रील बनाया जा रहा है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
वीडियो में कई नियमों और मानकों की खुलेआम अनदेखी दिखाई गई है। डॉ. कंचन ने ऑपरेशन के दौरान एप्रन तो पहना हुआ है, लेकिन उनके और अन्य सहयोगी कर्मियों ने न तो मास्क पहना है और न ही सर्जिकल कैप लगाया है, जो संक्रमण नियंत्रण की बुनियादी प्रक्रियाओं का उल्लंघन है। हैरानी की बात यह है कि यह सब ऑपरेशन थिएटर में हो रहा है, जहां सुरक्षा और संक्रमण नियंत्रण की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि चिकित्सक का भांजा ऑपरेशन के दौरान मोबाइल से रील बनाता नजर आता है और कैमरे के सामने यह कहता भी सुना जाता है कि “मेरी मामी जितना भी सिजेरियन करती है, उसमें बेटा ही पैदा होता है।” इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी न सिर्फ चिकित्सा पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाती है, बल्कि लिंग आधारित भ्रांतियों और सामाजिक पूर्वाग्रह को भी बढ़ावा देती है।
हालांकि, वायरल हो रहे इस वीडियो की स्वतंत्र पुष्टि फस्ट बिहार झारखंड नहीं करता, लेकिन यदि यह वीडियो वास्तविक पाया गया, तो यह मामला न केवल चिकित्सकीय लापरवाही का गंभीर उदाहरण होगा, बल्कि यह स्वास्थ्य मानकों की सीधी अवहेलना भी मानी जाएगी। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद पूरे जिले में चिकित्सा व्यवस्था की गुणवत्ता और निगरानी पर सवाल उठने लगे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस मामले की तत्काल जांच होनी चाहिए और यदि दोष सिद्ध होता है, तो चिकित्सक एवं उसके सहयोगियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। यह मामला मेडिकल एथिक्स, रोगी की गोपनीयता, और स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है, जिससे लोगों के बीच सरकारी व निजी स्वास्थ्य सेवाओं की साख पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।