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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 15 Feb 2025 01:08:44 PM IST
Income Tax Act 2025 - फ़ोटो Social Media
नया टैक्स कानून भारत के टैक्स सिस्टम को मॉडर्न और अधिक कुशल बनाएगा। हालांकि, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स और शेयरों पर टैक्सेशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। नए कानून में कुल 2.56 लाख शब्द हैं, जो पुराने कानून (5 लाख शब्द) से 50% कम हैं। कानून की लंबाई कम होने के बावजूद इसकी मूल भावना बरकरार रखी गई है। पुराने कानून में 80 से अधिक बार संशोधन हो चुका था, लेकिन नए बिल में इसे सुव्यवस्थित किया गया है। डिजिटल अनुपालन (compliance) को प्राथमिकता दी गई है, जिससे टैक्स फाइलिंग, विवाद समाधान और असेसमेंट प्रक्रिया सरल होगी।
Capital Gain Tax में क्या बदलाव?
नया बिल Capital Gain Tax की संरचना को बरकरार रखता है, लेकिन सेक्शन्स को फिर से व्यवस्थित कर टैक्स नियमों को आसान बनाया गया है। इसमें Clause 67 कैपिटल गेन टैक्स की परिभाषा और चार्जेबिलिटी को स्पष्ट करता है। जबकि Clause 196 शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) पर टैक्स लागू करता है, जो 12 महीने के भीतर बेचे गए शेयरों, इक्विटी म्यूचुअल फंड या बिजनेस ट्रस्ट यूनिट्स पर लगेगा। वहीं Clause 197 लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) को परिभाषित करता है, लेकिन इसमें इक्विटी शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड को शामिल नहीं किया गया है। Clause 198 लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लागू करता है, जो 12 महीने से अधिक होल्ड किए गए इक्विटी शेयरों और म्यूचुअल फंड पर लागू होगा।
STCG और LTCG Tax Rate में बदलाव
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) में पहले 15% टैक्स लगता था, जिसे 20% कर दिया गया है। वहीं लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) में पहले 10% टैक्स था, अब इसे 12.5% कर दिया गया है। LTCG की टैक्स-फ्री लिमिट भी बढ़ाकर ₹1.25 लाख कर दी गई है, जो पहले ₹1 लाख थी। यानी, अब निवेशकों को अधिक टैक्स देना होगा, लेकिन LTCG की छूट की सीमा भी बढ़ा दी गई है।
Crypto Currency और Digital Assets पर टैक्सेशन
नया बिल वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) यानी क्रिप्टोकरेंसी को टैक्सेबल इनकम के रूप में परिभाषित करता है। पहले इस पर स्पष्टता नहीं थी, लेकिन अब इसे औपचारिक रूप से टैक्स के दायरे में लाया गया है।
Charitable Trusts के लिए नया नियम
चैरिटेबल ट्रस्ट्स पर टैक्सेशन के लिए एक नया समर्पित अध्याय (Chapter XVII-B) जोड़ा गया है। इसमें रजिस्ट्रेशन, टैक्स गणना, और एक्रेटेड टैक्स की प्रक्रियाओं को एक ही जगह समाहित किया गया है। 1961 के बाद 20 बार संशोधित हो चुके पुराने प्रावधानों को हटाकर, नया और स्पष्ट ढांचा तैयार किया गया है।