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Temperature rise :बिहार में बढ़ता तापमान: गेहूं की फसल पर खतरा, किसानों के लिए चेतावनी

Temperature rise :भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बिहार सहित देश के कई हिस्सों में तापमान में तेज वृद्धि की चेतावनी दी है। मार्च के अंत तक अधिकतम तापमान 32-34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जिससे गेहूं और जौ की फसलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 26 Mar 2025 03:07:01 PM IST

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प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google

Temperature rise : भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आने वाले तीन से चार दिनों में देशभर में अधिकतम तापमान में 2-4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि की संभावना जताई है, जबकि उत्तर-पश्चिम भारत में यह बढ़ोतरी 5 डिग्री तक पहुंच सकती है। बिहार में भी मार्च के अंतिम सप्ताह में तापमान में तेज उछाल की आशंका है, जिससे गेहूं और जौ जैसी फसलों को नुकसान हो सकता है।

हाल ही में हुई बारिश के बाद अब बिहार में गर्मी बढ़ने लगी है। मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के अनुसार, आने वाले दिनों में आसमान साफ रहेगा, जिससे दिन का तापमान तेजी से बढ़ सकता है। पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर होने और पछुआ हवाओं के प्रभाव के कारण राज्य में गर्मी तेज महसूस होने की संभावना है । हालांकि, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती गतिविधियां बनी हुई हैं, लेकिन इनका बिहार के मौसम पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

बढ़ते तापमान का गेहूं की फसल पर असर

मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक, 25 मार्च तक बिहार में अधिकतम तापमान 32 से 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। पछुआ हवाओं की वजह से गर्मी ज्यादा महसूस होगी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि तापमान सामान्य से अधिक बढ़ता है, तो खासतौर पर देर से बोई गई गेहूं की फसल प्रभावित होगी।

कृषि विज्ञान केंद्र, पूर्वी चंपारण के प्रमुख डॉ. आर.पी. सिंह के अनुसार, गेहूं के परागण के समय तापमान 30 डिग्री से अधिक नहीं होना चाहिए, क्योंकि ज्यादा गर्मी से दाने सही से नहीं बनते और फसल की गुणवत्ता खराब होती है। बढ़ते तापमान से मिट्टी की नमी तेजी से खत्म होती है, जिससे सिंचाई की जरूरत बढ़ जाती है।

उत्पादन पर गिरावट का खतरा        

डॉ. सिंह ने बताया कि ज्यादा गर्मी से गेहूं और जौ की फसल को भारी नुकसान हो सकता है। उच्च तापमान के कारण गेहूं के दाने सिकुड़ जाते हैं, जिससे उत्पादन में गिरावट आती है। पराग और पुंकेसर निष्क्रिय होने से परागण प्रभावित होता है, जिससे भ्रूण का विकास रुक जाता है और दानों की संख्या कम हो जाती है। इसके अलावा, अत्यधिक गर्मी से दानों का भराव प्रभावित होता है और उनका वजन भी घट जाता है।

बढ़ते तापमान से बचाव के उपाय

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे हल्की सिंचाई करके बढ़ते तापमान के दुष्प्रभाव को कम करें। खासतौर पर देर से बोई गई फसल में पोटेशियम नाइट्रेट (13:0:45), चिलेटेड जिंक और चिलेटेड मैगनीज का छिड़काव फायदेमंद साबित हो सकता है। यदि तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाए, तो फसल को भारी नुकसान होने की आशंका होती है। इसलिए, समय पर सिंचाई और आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाकर किसानों को अपनी फसल को बचाने के उपाय करने चाहिए।