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सरकारी बैंकों में 20% तक हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

भारत सरकार ने आगामी चार वर्षों में सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 20% तक घटाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह फैसला SEBI के नियमों के तहत लिया गया है, जिसके अनुसार सभी लिस्टेड कंपनियों को 25% सार्वजनिक हिस्सेदारी बनाए रखनी होती है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 26 Feb 2025 04:46:19 PM IST

UCO-Bank Government Bank

UCO-Bank Government Bank - फ़ोटो Social Media

भारत सरकार 5 प्रमुख सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाएगी। इन बैंकों में सरकार की वर्तमान हिस्सेदारी और बिक्री की योजना कुछ इस प्रकार है:

  1. UCO Bank – सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 95.39%, हिस्सेदारी में 20.39% की कटौती
  2. Indian Overseas Bank – सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 96.38%, हिस्सेदारी में 21.38% की कटौती
  3. Central Bank of India – सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 93.08%, हिस्सेदारी में 18.08% की कटौती
  4. Punjab & Sind Bank – सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 98.25%, हिस्सेदारी में 23.25% की कटौती
  5. Bank of Maharashtra – सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 86.46%, हिस्सेदारी में 11.46% की कटौती

यह कदम SEBI के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में उठाया जा रहा है, जिसमें सभी लिस्टेड कंपनियों के लिए 25% सार्वजनिक हिस्सेदारी का प्रावधान है। सरकारी बैंकों के मामले में, अगस्त 2026 तक सरकार को अपनी हिस्सेदारी को इस स्तर तक लाना होगा। इसके साथ ही, सरकार का उद्देश्य बैंकों को अधिक निजी निवेशकों के लिए आकर्षक बनाना और बैंकिंग सेक्टर में सुधार लाना है।

इसके अतिरिक्त, सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त फंड की आवश्यकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार के पास ₹43,000 करोड़ से अधिक की अतिरिक्त हिस्सेदारी है, जिसे सेकेंडरी मार्केट के जरिए बेचा जा सकता है। इस हिस्सेदारी बिक्री से सरकारी खजाने में substantial रकम आएगी, जो कि भविष्य में अन्य सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में उपयोग की जा सकेगी।

सरकार इस हिस्सेदारी बिक्री के लिए दो प्रमुख तरीकों का इस्तेमाल करेगी:

  1. ऑफ़र फॉर सेल (OFS) – इसमें सरकार सीधे अपनी हिस्सेदारी बेचकर फंड जुटाएगी। यह तरीका सबसे सरल और शीघ्र है।
  2. क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) – इसके तहत नए शेयर जारी किए जाएंगे, जिससे बैंकों को अतिरिक्त पूंजी प्राप्त होगी।

हालांकि, सरकार का मुख्य ध्यान ऑफ़र फॉर सेल पर होगा, क्योंकि इससे तत्काल ज्यादा फंड प्राप्त किया जा सकेगा।