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Goods and Services Tax: GST का नया बदलाव कल से होगा लागू, जानें पूरी जानकारी

Goods and Services Tax: जीएसटी काउंसिल की हाल ही में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू किए गए हैं, जिससे भारत का टैक्स सिस्टम पहले से कहीं अधिक आसान, पारदर्शी और व्यापारिक दृष्टि से अनुकूल बन गया है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 21 Sep 2025 03:32:25 PM IST

Goods and Services Tax

- फ़ोटो GOOGLE

Goods and Services Tax:  जीएसटी काउंसिल की हाल ही में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू किए गए हैं, जिससे भारत का टैक्स सिस्टम पहले से कहीं अधिक आसान, पारदर्शी और व्यापारिक दृष्टि से अनुकूल बन गया है। इन सुधारों के साथ ही कई जरूरी वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कमी आने की भी उम्मीद जताई जा रही है।


यह ध्यान रखना जरूरी है कि विश्व में सबसे पहले जीएसटी को 1954 में फ्रांस ने लागू किया था, और आज यह कर प्रणाली लगभग 160 से अधिक देशों में अपनाई जा चुकी है। भारत में जीएसटी को आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया था, लेकिन इसके प्रस्ताव और तैयारी की प्रक्रिया काफी पहले से शुरू हुई थी।


साल 2000 की शुरुआत में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जीएसटी का प्रस्ताव पेश किया गया था। इसके बाद एक समिति का गठन किया गया, जिसने इस क्रांतिकारी टैक्स सिस्टम का खाका तैयार किया। लगभग 16-17 वर्षों की लंबी प्रक्रिया और चर्चा के बाद, संसद ने वर्ष 2016 में इस विधेयक को पारित किया। तत्पश्चात् जीएसटी काउंसिल का गठन किया गया, जो राज्यों और केंद्र सरकार के बीच समन्वय करता है। इस काउंसिल के माध्यम से ही समय-समय पर टैक्स दरों और नियमों में संशोधन होता रहता है।


भारत में जीएसटी लागू होने का मकसद देश भर में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों जैसे वैट (VAT), सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, और कस्टम ड्यूटी को एकीकृत करके ‘वन नेशन, वन टैक्स’ का सिद्धांत लागू करना था। इससे न केवल कराधान प्रणाली को सरल बनाना था, बल्कि उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर टैक्स का बोझ भी कम करना था।


पहले भारत में चार स्तरों पर टैक्स दरें थीं, 5%, 12%, 18%, और 28%  जिन्हें हाल ही में हुए सुधारों के तहत दो मुख्य स्तरों में बदलकर 5% और 18% कर दिया गया है। इससे कर दरों की जटिलता कम हुई है और विभिन्न उद्योगों व वस्तुओं के लिए टैक्स स्लैब अधिक स्पष्ट हुए हैं।


इसके अलावा, जीएसटी एक पूरी तरह डिजिटल और ऑनलाइन आधारित प्रणाली है, जो टैक्स चोरी को रोकने में काफी प्रभावी साबित हुई है। इसकी वजह से कर संग्रह में वृद्धि हुई है और सरकार को राजस्व का स्थिर और पारदर्शी स्रोत मिला है। इसके तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की व्यवस्था भी है, जिससे व्यापारियों को अपने खर्चों पर पहले से दिया गया टैक्स वापस मिलता है, और दोहरी कराधान से बचा जा सकता है।


हाल के वर्षों में सरकार ने छोटे और मध्यम उद्यमों को टैक्स प्रणाली से जोड़ने के लिए कई राहत और छूट भी दी हैं, जैसे कि छोटे व्यापारियों के लिए आसान रिटर्न फाइलिंग विकल्प, ट्रांजैक्शन लिमिट में छूट, और कंपोजिशन स्कीम। इससे छोटे कारोबारियों को भी जीएसटी प्रणाली के तहत आना आसान हुआ है।


इसके अलावा, समय-समय पर विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर कर दरों में छूट या बदलाव की भी घोषणा की जाती है ताकि आम जनता पर इसका प्रभाव न्यूनतम रहे और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले। जैसे कि हाल ही में कई आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी की कटौती के दायरे में लाया गया है।


कुल मिलाकर, जीएसटी ने भारत के अप्रत्यक्ष कराधान प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया है। यह न केवल कराधान को सरल और प्रभावी बनाता है, बल्कि देश में कारोबार करने का माहौल भी बेहतर करता है, जिससे आर्थिक वृद्धि को बल मिलता है। आगे भी जीएसटी काउंसिल समय-समय पर नए सुधार लाकर इस प्रणाली को और अधिक बेहतर बनाने का प्रयास करती रहेगी।