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भारत में गेहूं की कीमतों पर दबाव, उत्पादन लक्ष्य में असमंजस

भारत में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने के बावजूद कीमतों पर दबाव बना हुआ है। 2024-25 के रबी सीजन में 115 मिलियन टन गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जो अब तक का सबसे बड़ा उत्पादन लक्ष्य है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 24 Feb 2025 05:59:47 PM IST

wheat production

wheat production - फ़ोटो Social Media

इसके लिए इस बार 324.38 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई की गई है। लेकिन इस बेहतरीन शुरुआत के बावजूद, देश के गेहूं उत्पादन में बाधाएं भी आ सकती हैं और गेहूं की कीमतों को काबू में करना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। वर्तमान में गेहूं की बुआई की स्थिति उत्साहजनक है, लेकिन भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों, खासकर उत्तर प्रदेश में, तापमान में वृद्धि से पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है, जो गेहूं की फसल की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।

उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के स्तर को पार कर चुका है, जो गेहूं के पौधों की वृद्धि में रुकावट डाल सकता है। अगर यह स्थिति बनी रहती है, तो इससे उत्पादन में गिरावट आ सकती है और देश के 115 मिलियन टन उत्पादन लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो सकता है।

सरकार ने गेहूं की कीमतों पर काबू पाने के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत गेहूं की बिक्री बढ़ा दी है। हालांकि, इस कदम के बावजूद, गेहूं की कीमतें अब भी दबाव में हैं। वर्तमान में गेहूं की कीमतें 2,425 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर बनी हुई हैं। लेकिन, उत्पादन में वृद्धि और आने वाले समय में नई फसल की आवक से कीमतों में और गिरावट की संभावना जताई जा रही है।

सरकार ने इस दबाव को कम करने के लिए ओपन मार्केट में गेहूं की साप्ताहिक बिक्री 1.5 लाख टन से बढ़ाकर 4 लाख टन कर दी है। यह कदम सरकार द्वारा गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए उठाया गया है ताकि बाजार में कीमतों को स्थिर रखा जा सके।