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Success story: लाखों की नौकरी छोड़ युवक ने उगाई यह फसल, अब पैसों की हो रही खूब बरसात

Success story: जहां चाह है, वही राह है.. इस कहावत को रायबरेली के एक युवक ने अपनी मेहनत के बदौलत सच कर दिखाया है। मल्टीनेशन कंपनी में लाखों का जॉब छोड़कर आनंद ने 3 एकड़ में फसल लगाया और आज लाखों रुपये कमा रहे हैं। जाने आनंद मिश्रा की सफलता की कहानी...

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 01 Mar 2025 07:43:33 PM IST

Success story

हौसलों को मिली उड़ान - फ़ोटो google

Success story: आज हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के रहने वाले आनंद मिश्रा की सफलता की..जिन्होंने अपना बिजनेस खड़ा कर न केवल लाखों के मालिक हैं, बल्कि अपनी मेहनत के बदौलत बागवानी के क्षेत्र में नई मिसाल भी कायम की है। रायबरेली के डीह थाना क्षेत्र के कचनावां गावं निवासी आनंद बिहार में मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर तैनात थे। 2014 में 6 लाख की पैकेज वाली नौकरी छोड़ वो अपने गांव वापस आ गए थे। 


अपने गांव आने के बाद आनंद ने धान, गेहूं और मकई की पारंपरिक खेती करनी शुरू की लेकिन उन्हें इस खेती में उम्मीद के अनुसार मुनाफा नहीं हुआ। जिससे वह काफी मायूस हो गये लेकिन उन्होंने अपनी कोशिश जारी रखी। इसके बाद आनंद ने रायबरेली के दरियापुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क किया। जहां उन्हें कृषि विशेषज्ञों ने बागवानी करने की सलाह दी। विशेषज्ञों के सलाह से उन्होंने 3 एकड़ जमीं में नीम्बू और अमरूद की खेती शुरू की। जिससे अब वे लाखों की कमाई कर रहे हैं। वो सात साल से बागवानी की खेती कर रहे हैं।


आनंद मिश्रा अब न केवल नीम्बू की खेती करते हैं, बल्कि आंवला, कटहल, अंजीर, स्टार फ्रूट्स, करौंदा, अनार, मौसंबी और चीकू जैसे कई के अन्य फलों की भी खेती करते हैं. उनके बागान में नीम्बू की आधा दर्जन से अधिक उन्नत प्रजातियां उगाई जाती है, जिसमें एनआरसी-8, कागजी, प्रमालिनी, साईं सरबती, कागजी रसभरी, मैक्सिकन, बालाजी और कोलकत्ता पत्ती शामिल हैं। 


आनंद अपने बागवानी के बारे में बताया कि एक एकड़ फसल तैयार करने में लगभग 40 से 50 हजार रुपये खर्च होते है लेकिन इससे सालाना लाखों की आमदनी होती है, जब इसकी खेती शुरू की तब शुरुआत में यह सफ़र आसान नहीं था लेकिन उन्होंने खूब मेहनत की और इसी का परिणाम है कि वो सफल रहे। उन्होंने बताया कि उनके बगवानी से ऐसी पहचान मिली कि लेमन मैंन के नाम से लोग उन्हें जानते हैं। 


आनंद कहते है कि भले ही कठिन परिश्रम करनी पड़ी लेकिन आज मैं किसी के अधीन काम नहीं करता। खेती कर वो खुद मालिक बन गये हैं और नौकरी से कई गुना अधिक की कमाई वो कर रहे हैं। आनंद की कहानी से यही सिख मिलती है कि कड़ी मेहनत और लगन कुछ भी संभव है। कल तक प्राइवेट नौकरी करने वाला आनंद आज खुद दूसरे लोगों को रोजगार दे रहे हैं।