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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 18 Mar 2025 04:49:07 PM IST
सफलता की कहानी - फ़ोटो google
Success Story: कहते है न कि उम्मीद पर दुनिया कायम है उसी उम्मीद के साथ एक बस ड्राइवर की बेटी ने भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक, यूपीएससी परीक्षा पास कर अधिकारी बन गयी है। आज हम आपको बताएंगे आईएएस प्रीति हुड्डा की, जिन्होंने तमाम मुश्किलों और आर्थिक तंगी के बावजूद अपने सपने को साकार किया और आईएएस अधिकारी बन गयी है।
दरअसल प्रीति हुड्डा हरियाणा के बहादुरगढ़ की निवासी हैं। उनके पिता दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC) में बस ड्राइवर थे। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था, लेकिन प्रीति ने कभी हार नहीं मानी और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ती रही। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी हिंदी माध्यम से करने का फैसला किया और हिंदी को ही वैकल्पिक विषय के रूप में चुना।
प्रीति शुरू से ही पढ़ने में तेज-तरार छात्रा थीं। उन्होंने 10वीं में 77% और 12वीं में 87% अंक हासिल किए थे। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनके माता-पिता चाहते थे कि वह आगे की पढ़ाई छोड़कर शादी कर लें, लेकिन प्रीति ने अपने सपनों से समझौता नहीं किया और दिल्ली के लक्ष्मीबाई कॉलेज से हिंदी विषय में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से हिंदी में पीएचडी की पढ़ाई की।
दिलचस्प बात यह है कि प्रीति को शुरू में सरकारी सेवा में जाने की कोई खास रुचि नहीं थी, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वह एक आईएएस अधिकारी बनें। जब प्रीति ने JNU में दाखिला लिया, तब उन्हें पहली बार यूपीएससी परीक्षा के बारे में ठीक से जानकारी मिली। एम.फिल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।
प्रीति पहले प्रयास में असफल रहीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। प्रीति ने फिर से परीक्षा दी और आखिरकार 2017 में 288वीं ऑल इंडिया रैंक (AIR) हासिल कर आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए एक अलग और अनोखे तरीके अपनाई। उनका मानना है कि लंबे समय तक बिना रुके 10 घंटे पढ़ाई करने से ज्यादा जरूरी यह है कि सही रणनीति और सोच-समझ के साथ पढ़ाई की जाए।
उन्होंने बताया कि पढ़ाई के दौरान मानसिक शांति और जीवन में मनोरंजन भी बहुत आवश्यक है, वरना पढ़ाई बोझ लगने लगती है। प्रीति आगे बताती है कि, किताबों का ढेर लगाने के बजाय, सिलेबस को ध्यान से समझकर उस पर फोकस करना जरुरी होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि समय-समय पर रिवीजन जरूर करना चाहिए।
आईएएस प्रीति हुड्डा की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो किसी भी परिस्थिति को बदला जा सकता है। कठिनाइयों से घबराने के बजाय, हमें अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए।