Bihar News: बिहार के दो थानेदारों को SSP ने किया लाइन हाजिर, सरकारी काम में लापरवाही पड़ी भारी Bihar News: बिहार के दो थानेदारों को SSP ने किया लाइन हाजिर, सरकारी काम में लापरवाही पड़ी भारी Bihar Police Alert: स्वतंत्रता दिवस और चेहल्लुम को लेकर बिहार में हाई अलर्ट, पुलिस मुख्यालय ने जिलों को जारी किए निर्देश Bihar Police Alert: स्वतंत्रता दिवस और चेहल्लुम को लेकर बिहार में हाई अलर्ट, पुलिस मुख्यालय ने जिलों को जारी किए निर्देश Bihar Crime News: बिहार में बैंक के 251 खातों से 5.58 करोड़ की साइबर ठगी, ईओयू ने दर्ज किया केस Bihar Crime News: बिहार में बैंक के 251 खातों से 5.58 करोड़ की साइबर ठगी, ईओयू ने दर्ज किया केस Bihar Crime News: बिहार के इस जिले में बड़े सेक्स रैकेट का खुलासा, तीन नाबालिग लड़कियां बरामद; भारी मात्रा में मिलीं गर्भ निरोधक गोलियां Bihar Crime News: बिहार के इस जिले में बड़े सेक्स रैकेट का खुलासा, तीन नाबालिग लड़कियां बरामद; भारी मात्रा में मिलीं गर्भ निरोधक गोलियां Bihar Election 2025: कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक की तारीख तय, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के साथ होगी चर्चा Bihar Election 2025: कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक की तारीख तय, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के साथ होगी चर्चा
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 30 Mar 2025 01:38:31 PM IST
सफलता की कहानी - फ़ोटो google
Success Story: कहते हैं कि पैसा बड़ी चीज नहीं होती है। अगर आपके पास सरस्वती हो यानी कि आपमें टैलेंट है, तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। इसके अलावा, अगर आप दूसरों की भलाई के लिए कुछ बड़ा करने का ख्वाब देखते हैं, तो सफलता आपके कदमों में होगी। ऐसा ही कुछ कर दिखाया चंडीगढ़ के मोहित निझावन ने।
मोहित निझावन चंडीगढ़ के रहने वाले हैं और उनकी शिक्षा भी यहीं हुई है। वह साइंस के छात्र रहे हैं और इसके बाद उन्होंने फार्मा कंपनी में 22 साल तक काम किया। इस दौरान उनका सालाना पैकेज 90 लाख रुपये था। लेकिन 2020 में, मोहित ने यह आरामदायक नौकरी छोड़कर माइक्रोग्रीन्स उगाने का साहसिक कदम उठाया। उन्होंने अपनी शुरुआत घर के दूसरे फ्लोर से की थी, और आज वह 500 वर्ग गज के क्षेत्र में माइक्रोग्रीन्स की खेती कर रहे हैं, जहां उनके पास 70 से अधिक पौधों की वैरायटी है।
माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग: एक नई शुरुआत
माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसमें न तो खेत की जरूरत होती है और न ही जमीन की। आप घर के किसी भी कमरे में इसे उगा सकते हैं। इसमें सबसे पहले बीज को पानी में भिगोकर एक कंटेनर या बेकिंग डिश में रखकर अंकुरित होने के लिए कुछ दिन तक रखते हैं। उसके बाद, 2-3 सप्ताह में यह माइक्रोग्रीन्स कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसमें मिट्टी, कोको कॉयर, या पीट मॉस का मिश्रण आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
व्यापार का बढ़ता कदम
मोहित द्वारा उगाई गई चेरी टोमेटो, माइक्रोग्रीन्स की अन्य वैरायटी के साथ चंडीगढ़, दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव और मुंबई के बड़े होटल्स और रेस्टोरेंट्स में इस्तेमाल की जा रही है। बगैर किसी बड़े खेत के, बगैर जमीन के, मोहित ने इस कारोबार को शुरू किया और अब वह सालाना 1.44 करोड़ रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। इसके साथ ही, मोहित ने माइक्रोग्रीन्स को घर-घर पहुंचाने का काम भी शुरू किया है।
नौकरी छोड़कर माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग का सफर
मोहित ने फार्मा सेक्टर में काम करते हुए देखा कि कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके इलाज की लागत भी बहुत अधिक थी। अपने परिवार के कुछ सदस्यों को इस बीमारी से जूझते हुए देख उन्होंने महसूस किया कि खराब खानपान और जीवनशैली इसके मुख्य कारण हैं। फिर उन्होंने 2020 में अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने घर की छत पर माइक्रोग्रीन्स उगाना शुरू कर दिया। शुरुआती दिनों में परिवार के कुछ सदस्य इससे खुश नहीं थे, लेकिन मोहित ने हार नहीं मानी। इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की कंपनी बनाई, जो अब किसानों को माइक्रोग्रीन्स की ट्रेनिंग भी देती है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही है।
बीमारियों का कारण जीवनशैली और खानपान
मोहित ने इस बारे में बातचीत करते हुए कहा, "मैंने मुंबई से चंडीगढ़ के बीच लगातार यात्रा करते हुए मेट्रोपॉलिटन लाइफ के दौरान कई स्वास्थ्य समस्याएं देखीं। कैंसर, हाइपरटेंशन, डायबिटीज जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। इन समस्याओं का मुख्य कारण हमारी जीवनशैली और खानपान है। घर में आने वाली सब्जियां लंबा सफर तय करके आती हैं, जिससे उनका न्यूट्रिशन घट जाता है।"
पार्टनर से धोखा और नए संघर्ष की शुरुआत
मोहित ने बताया कि माइक्रोग्रीन्स के बिजनेस में एक साल बाद उनके पार्टनर ने धोखा दिया। यह एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन उन्होंने इसे आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से पार किया। आज उनकी कंपनी उत्तर भारत के अलावा मुंबई में भी काम कर रही है, और उनकी टीम में 90 लोग काम कर रहे हैं।
डॉक्टर दोस्तों से मिली मदद और आगे बढ़ने की प्रेरणा
मोहित के अनुसार, बिजनेस में धोखा खाने के बाद उनका मनोबल गिर गया था, लेकिन उनके कुछ डॉक्टर दोस्तों ने उनकी मदद की। एक डॉक्टर ने अपने मरीज को मोहित द्वारा उगाए गए माइक्रोग्रीन्स खाने का सुझाव दिया, और उस व्यक्ति की सेहत में सुधार आया। इस घटना ने मोहित का हौसला बढ़ाया, और वह माइक्रोग्रीन्स पर काम करना जारी रखे।
किसानों को दी ट्रेनिंग और घर पर माइक्रोग्रीन्स उगाने की सलाह
मोहित ने बताया कि अब तक वह 3000 से अधिक किसानों को माइक्रोग्रीन्स उगाने की ट्रेनिंग दे चुके हैं। माइक्रोग्रीन्स को घर पर उगाना बेहद आसान है, और यह एक हफ्ते में तैयार हो जाते हैं। जब ये पौधे चार उंगलियों के बराबर हो जाते हैं, तो उन्हें काटकर खाना चाहिए, क्योंकि इस समय इन पौधों में पूरा न्यूट्रिशन होता है, जो शरीर की समस्याओं को समय रहते ठीक कर सकता है।
कस्टमाइज्ड माइक्रोग्रीन्स प्लान
मोहित की कंपनी एक वेबसाइट भी संचालित करती है, जो ग्राहकों की स्वास्थ्य समस्याओं के अनुसार माइक्रोग्रीन्स का कस्टमाइज्ड प्लान बनाती है। इसके तहत, विशेष समस्याओं वाले मरीजों के लिए उनके घर में माइक्रो प्लांट्स डिलीवर किए जाते हैं। इससे ग्राहकों को ताजे और पोषक तत्वों से भरपूर माइक्रोग्रीन्स का लाभ मिल रहा है, और डिमांड लगातार बढ़ रही है।
मोहित निझावन की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर मेहनत, संघर्ष और सही उद्देश्य के साथ काम किया जाए, तो किसी भी मुश्किल से पार पाया जा सकता है। वह न केवल खुद आगे बढ़े, बल्कि अन्य किसानों और लोगों को भी अपने प्रयासों से फायदा पहुंचा रहे हैं। माइक्रोग्रीन्स के कारोबार ने उन्हें न केवल एक प्रॉफिटेबल कंपनी बनाने में मदद की, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का भी एक बड़ा माध्यम प्रदान किया है।