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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 12 May 2025 06:07:12 PM IST
सफलता की कहानी - फ़ोटो GOOGLE
Success Story: अगर मेहनत लगन से मेहनत किया जाए तो राग जरुर लता है, ऐसे में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2024 में इस बार हिंदी माध्यम से तैयारी करने वाले 40 उम्मीदवारों ने सफलता का परचम लहराया है। इन सभी में सबसे बड़ा नाम अंकिता कांति का है, जिन्होंने ऑल इंडिया रैंक 137 प्राप्त कर हिंदी माध्यम की टॉपर बनने का गौरव हासिल किया है।
अंकिता की सफलता इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि टॉप 136 रैंक तक के सभी उम्मीदवार अंग्रेजी माध्यम से हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि अगर मेहनत और लगन सच्ची हो, तो भाषा या संसाधनों की कमी बाधा नहीं बन सकती।
देहरादून की रहने वाली अंकिता का बचपन संघर्षों से भरा रहा। उनके पिता देवेश्वर कांति एक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी में कार्यरत हैं और बैंकों में कैश ट्रांसपोर्ट करने वाले वाहन में गार्ड की नौकरी करते हैं। उनकी मां ऊषा कांति एक गृहिणी हैं। तीन बहनों में सबसे बड़ी अंकिता ने न सिर्फ घर की जिम्मेदारियां निभाईं, बल्कि यूपीएससी जैसी देश की सबसे कठिन परीक्षा पास कर अपने परिवार और शहर का नाम रोशन किया।
अंकिता ने 10वीं कक्षा देहरादून के दून मॉर्डन स्कूल, तुंतोवाला से पूरी की। 12वीं की परीक्षा 2018 में संजय पब्लिक स्कूल, कारबारी से 96.4% अंकों के साथ पास की और उत्तराखंड में चौथा स्थान प्राप्त किया। उन्होंने डीबीएस कॉलेज से B.Sc और DAV कॉलेज से M.Sc (फिजिक्स) की पढ़ाई पूरी की। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी उन्होंने नोएडा में रहकर की और हिंदी माध्यम में ही इंटरव्यू दिया।
अंकिता की सफलता के पीछे उनके परिवार का योगदान भी अहम रहा। आर्थिक रूप से सीमित संसाधनों के बावजूद उनके परिवार ने शिक्षा को प्राथमिकता दी। उनकी छोटी बहन अंजलि कांति पहले ही बैंकिंग सेवा में चयनित हो चुकी हैं, जबकि सबसे छोटी बहन अनुष्का कांति भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटी हुई हैं।
एक मॉक इंटरव्यू में अंकिता ने बताया कि उनकी पहली प्राथमिकता भारतीय विदेश सेवा (IFS) में जाना है। उनका सपना है कि वे भारत का प्रतिनिधित्व वैश्विक मंच पर करें।
इस बार यूपीएससी परीक्षा में 40 हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों ने सफलता पाई है, जो पिछले वर्ष (2023) की तुलना में दो कम हैं। वर्ष 2022 में यह संख्या 54 थी। अंकिता के बाद हिंदी माध्यम से दूसरा सर्वोच्च स्थान पाने वाले उम्मीदवार हैं रवि राज, जिन्होंने 182वीं रैंक हासिल की है।
दृष्टि IAS के संस्थापक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि हिंदी माध्यम के छात्रों की सफलता यह दर्शाती है कि भाषा अब सफलता की राह में दीवार नहीं रही। उन्होंने कहा, “अंकिता जैसी छात्राएं यह साबित कर रही हैं कि मेहनत, दृष्टिकोण और सही मार्गदर्शन से भाषा की सीमाएं टूट रही हैं। हिंदी माध्यम के छात्रों को अब आत्मविश्वास से आगे बढ़ना चाहिए।”
अंकिता कांति की यह सफलता उन हजारों हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए प्रेरणा है जो मानते हैं कि सिविल सेवा परीक्षा में अंग्रेजी माध्यम ही सफलता की कुंजी है। अंकिता ने यह मिथक तोड़कर दिखा दिया कि सपनों को सच करने के लिए सिर्फ समर्पण, आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है – भाषा नहीं।