Bihar News: बिहार की इस नदी पर 200 करोड़ की लगत से बनेगा पुल, इंजीनियरों की टीम ने किया सर्वे Mansoon in Bihar: बिहार में मानसून की एंट्री को लेकर आई गुड न्यूज, मौसम विभाग ने दिया नया अपडेट Mansoon in Bihar: बिहार में मानसून की एंट्री को लेकर आई गुड न्यूज, मौसम विभाग ने दिया नया अपडेट Bihar News: मुर्गी की हत्या के बाद रोते-बिलखते थाने पहुंची महिला, देवर सहित 3 पर FIR दर्ज BIHAR CRIME: जहानाबाद में दिनदहाड़े 2.80 लाख की लूट, बैंक से पैसे निकालने गई महिला को बनाया निशाना Bhojpur News: अजय सिंह ने जन्मदिन पर 18 गांवों के खिलाड़ियों के बीच खेल किट का किया वितरण, युवाओं में दिखा भारी उत्साह Bhojpur News: अजय सिंह ने जन्मदिन पर 18 गांवों के खिलाड़ियों के बीच खेल किट का किया वितरण, युवाओं में दिखा भारी उत्साह Life Style: बच्चों को जरूरत से ज्यादा मीठा खिलाना पड़ सकता है भारी, हो सकती है यह गंभीर समस्या पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट से मचा हड़कंप, 4 महिलाओं की दर्दनाक मौत, 6 की हालत गंभीर Viral Video: चलती बाइक पर रोमांस कपल को पड़ा भारी, पुलिस ने काट दिया भारी भरकम चालान; वीडियो वायरल
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 26 Apr 2025 03:11:09 PM IST
सफलता की कहानी - फ़ोटो google
Success Story: कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय के साथ किसी काम को किया जाए, तो उसे पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है। ऐसी ही कहानी 40 साल की निसा उन्नीराजन (Nisa Unnirajan) की है, जो अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से यह साबित कर दिया कि उम्र, विकलांगता या अन्य बाधाएं कभी भी सपने पूरा करने के रास्ते में नहीं आ सकतीं।
वहीं, निसा ने वर्ष 2024 में सातवें प्रयास में 1,000 वीं रैंक हासिल करने वाली निसा के लिए यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। यूपीएससी में 1000वीं रैंक हासिल करने वाली निसा ने अपनी सिविल सेवा का सफर 35 साल की उम्र में शुरू किया। इस उम्र में लोग यूपीएससी पास करके नौकरी कर रहे होते हैं या नौकरी छोड़ देते हैं, लेकिन उन्होंने इस उम्र में भी शानदार सफलता की कहानी लिख डाली हैं।
निसा ने घर पर अपनी दो छोटी बेटियों नंदना (11), थानवी (7) और पति अरुण के सपोर्ट से उन्होंने दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। उनके माता-पिता रिटायर्ड पुलिस कर्मचारी हैं, उन्होंने भी बेटी के सफल होने अपनी भूमिका निभाई है। बता दें कि, निसा को कई बार असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार निसा बताती हैं कि हर असफलता से मुझे कुछ नया सिखने को मिला है। हर बार उन्होंने अपनी रणनीति को बेहतर किया है। इस मानसिकता ने उन्हें बार-बार उठने और आगे बढ़ने का हौंसला दिया। निसा ने यूपीएससी में यह सफलता डिसेबिलिटी कैटेगरी में हासिल की हैं।
बता दें कि, निसा ने तिरुवनंतपुरम के एक निजी कोचिंग सेंटर से सिविल सेवा की तैयारी की। इसके साथ ही कोट्टायम के उप-कलेक्टर रंजीत से उन्हें जबरदस्त प्रेरणा मिली, जो खुद सुनने में विकलांग हैं। निसा ने बताया कि किसी ऐसे व्यक्ति की सफलता को देखकर जिन्होंने उसी चुनौती का सामना किया है, उनकी उम्मीदों को बहुत ही प्रभावित किया।
निसा बताती है कि उन्होंने अपनी दिनचर्या को प्रेरणादायक आत्मकथाओं, सफलता की कहानियों और प्रेरक वीडियो से भर लिया। उनका यह तरीका भले ही पारंपरिक नहीं था, लेकिन यह उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखता था और सफलता की ओर बढ़ने में मदद करता था।
निसा की सफलता ने यह साबित कर दिया कि कभी भी देर नहीं होती और कोई भी सपना बहुत बड़ा नहीं होता। आप किसी भी उम्र में शुरुआत कर सकते हैं, बस लगन और मेहनत कम नहीं होनी चाहिए। अब निसा आईएएस बनने के लिए तैयार हैं।