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‘मरा समझकर कर दिया था दाह संस्कार’, अब कोर्ट में जिंदा लौटा भोला कुमार!

मामला सिर्फ चौंकाने वाला ही नहीं, बल्कि कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है। "मृतक" युवक कोर्ट में दस्तावेज़ों के साथ हाज़िर हुआ और खुद को जीवित साबित किया, जिससे पूरे सिस्टम में हड़कंप मच गया।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 17 Apr 2025 09:15:07 PM IST

BIHAR

दरभंगा केस में नया मोड़ - फ़ोटो GOOGLE

DARBHANGA: दरभंगा जिले से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने प्रशासन से लेकर आम जनता तक को सोचने पर मजबूर कर दिया है। जिस युवक को मृत मानकर उसका अंतिम संस्कार किया जा चुका था, वही युवक अचानक जिंदा लौट आया। 


मामला सिर्फ चौंकाने वाला ही नहीं, बल्कि कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है। "मृतक" युवक कोर्ट में दस्तावेज़ों के साथ हाज़िर हुआ और खुद को जीवित साबित किया, जिससे पूरे सिस्टम में हड़कंप मच गया। इस रहस्यमयी घटनाक्रम ने एक बार फिर पहचान, प्रक्रिया और न्याय से जुड़े कई अहम मुद्दों को उजागर कर दिया है।


बिहार के दरभंगा जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक शख्स खुद को जिन्दा साबित करने के लिए दस्तावेज के साथ दरभंगा व्यवहार न्यायालय पहुंच गया। इस बात की जानकारी मिलते ही न्यालय परिसर सहित प्रशासनिक महकमें में हलचल तेज हो गई। जिसके बाद वकील की मदद से शख्स को जज के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिसके बाद जीवित भोला को उसके माता पिता को सौंप देने का आदेश पारित किया है। हद तो तब हो गई, जब परिजनों में मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर मृतक के नाम पर कल्याण विभाग के द्वारा 4 लाख 25 हजार रुपये का निकासी कर ली है। 


दरअसल, मब्बी थाना क्षेत्र के सिमरा नेहालपुर गांव के भोला कुमार राम 8 फरवरी को लापता हुआ था। तथा 26 फरवरी को बेता थाना क्षेत्र के रेलवे लाइन किनारे एक युवक जख्मी हालत में मिला था। जिसकी मौत 29 फरवरी को हो गई। जिसके बाद परिजन ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सड़क जाम कर हंगामा करते हुए शव का अंतिम संस्कार किया। इस मामलें में गुरुवार को एक नाटकीय मोड़ सामने आई है। मब्बी थाना कांड संख्या -22/ 25 का सूचक जगदेव राम का पुत्र धीरज कुमार ने अपने कथित मृतक भाई को साथ लेकर बिशेष न्यायाधीश एससी/एसटी‌ की अदालत में आवेदन समर्पित किया कि उसका भाई भोला कुमार राम जिन्दा है। जिसे पुलिस ने मृत घोषित कर दिया था।


वहीं उन्होंने कहा कि 28 फरवरी 2025 को पुलिस ने उसे फोन कर डीएमसीएच बुलाया और चेहरा विकृत अज्ञात शव को मुझसे जबरन पहचान कराया। वही पुलिस ने 1 मार्च 2025 को 25 साल के एक युवक की लाश सुपूर्द कर दिया। जबकि सूचक के भाई की उम्र 16-17 वर्ष है। सूचक ने अपने आवेदन में अंकित किया है कि उसके मोबाईल पर ह्वाट्सएप कॉल आया कि तुम्हारा भाई नेपाल में है। उक्त पते पर नेपाल के इण्डस्ट्रीज मिर्चाईया कटारी चौक गया, जहाँ उसे भाई भोला जीवित मिला और बताया कि 2-3 अज्ञात लोगों ने उसका अपहरण कर लिया था और उसे कमरे में बंद करके रखा गया था।  


वही स्पेशल जज शैलेंद्र कुमार ने 183 बीएन एस एस के तहत बयान दर्ज करने के लिए सीजेएम को निर्देशित किया। जहां उसका बयान दर्ज किया गया। कुमार की अदालत ने जीवित भोला को उचित पहचान पर उसके माता पिता को सौंप देने का आदेश पारित किया है।


यहां बड़ा सवाल यह है कि आखिर अल्ललपट्टी रेलवे गुमती के निकट मिले अज्ञात जख्मी, जिसकी मौत इलाज के दौरान अस्पताल में हो गई, तथा उसका दाह संस्कार भी कर दिया गया। वह कौन था? यह यक्ष प्रश्न बन गया है। जिसकी गुत्थी सुलझाना पुलिस के लिए चुनौती बन गई है। वहीं भोला कुमार राम की हत्या के अभियोग में काराधीन राहूल कुमार की न्यायिक अभिरक्षा में कैद अवधि के एवज में कैसे न्याय मिलेगी। चुकि कथित मृतक को जीवित रुप में प्राथमिकी के सुचक ने कोर्ट में प्रस्तुत कर हत्या की इस कहानी को स्वंय झुठला दिया है। इसके अतिरिक्त राज्य कोष से कथित मृतक की हत्या के ऐवज में मिले 4 लाख 25 हजार रुपये का क्या होगा। इस घटना ने पूरे तंत्र को सकते में डाल दिया है।