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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 28 Jul 2025 08:48:02 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव से पहले विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मतदाता सूची में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है जो कि 2005 के बाद पहली बार देखी जा रही है। निर्वाचन आयोग के अनुसार 24 जून को शुरू हुए SIR के दौरान 72.4 मिलियन गणना फॉर्म इकट्ठा हुए जो कि 24 जून को दर्ज 78.9 मिलियन मतदाताओं से 6.5 मिलियन (8%) कम है।
यह संख्या 2024 लोकसभा चुनाव (77.3 मिलियन) से 4.8 मिलियन (6.2%) और 2020 विधानसभा चुनाव (73.6 मिलियन) से 1.2 मिलियन (1.6%) कम है। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी और यह कमी बिहार के चुनावी इतिहास में दुर्लभ घटना होगी, क्योंकि 1977 के बाद से केवल 2005 में (फरवरी से अक्टूबर) मतदाताओं की संख्या में 2.5% की कमी (52.7 से 51.3 मिलियन) देखी गई थी।
ECI ने 24 जून 2025 को SIR शुरू किया, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना और अपात्र मतदाताओं (मृत, पलायन कर चुके या डुप्लिकेट) को हटाना था। SIR के तहत 2003 के बाद दर्ज मतदाताओं को नागरिकता और निवास का प्रमाण देना होगा, जिसमें 11 दस्तावेजों (जैसे जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, सरकारी आईडी) की सूची शामिल है, लेकिन इसमें आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को शामिल नहीं किया गया।
बिहार में उच्च पलायन दर (1.76 करोड़ लोग 2003-2024 में बाहर गए) और दस्तावेजों की कमी (2001-2005 में जन्मे केवल 2.8% लोगों के पास जन्म प्रमाणपत्र) ने इस प्रक्रिया को और जटिल बनाया। ECI के आंकड़ों के अनुसार 20 लाख मृत, 28 लाख स्थायी रूप से पलायन कर चुके, साथ ही 7 लाख डुप्लिकेट और 1 लाख अज्ञात मतदाताओं की भी पहचान हुई।
2005 में SIR (2003) के बाद फरवरी से अक्टूबर विधानसभा चुनाव के बीच मतदाताओं की संख्या में 2.5% कमी देखी गई थी जो उच्च प्रजनन दर वाले बिहार में आश्चर्यजनक थी। 2001-2011 के बीच बिहार की वयस्क आबादी 28.5% बढ़ी, लेकिन पलायन की दर (लगभग 75 लाख लोग बाहर) ने मतदाता सूची को प्रभावित किया। वर्तमान SIR में भी यही रुझान दिख रहा है, जहां 5.23 मिलियन मतदाता अपने पते पर नहीं मिले और 1.8 मिलियन मृत पाए गए। इसके अलावा नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ व्यक्तियों को भी मतदाता सूची में पाया गया, जिन्हें अंतिम सूची से हटाया जाएगा।
SIR को लेकर विपक्षी दलों (RJD, कांग्रेस, AIMIM) ने इसे "NRC का बैकडोर" करार देते हुए आलोचना की क्योंकि उनके अनुसार यह प्रक्रिया गरीब, अल्पसंख्यक और प्रवासी मजदूरों को मतदाता सूची से बाहर कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2025 को ECI को आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को प्रमाण के रूप में स्वीकार करने की सलाह दी, लेकिन ECI ने इसे गैर-बाध्यकारी बता दिया।
हालांकि 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावे और आपत्ति की अवधि में मतदाता अपनी स्थिति सुधार सकते हैं। ECI ने दावा किया कि 99.8% मतदाताओं को कवर किया गया है और 7.23 करोड़ फॉर्म प्राप्त हुए। यदि अंतिम सूची में कमी बरकरार रहती है तो यह बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर औसतन 5,000-6,000 मतदाताओं प्रति सीट की कमी का कारण बन सकती है जो कि करीबी मुकाबले में निर्णायक हो सकता है।