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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 10 May 2025 12:36:04 PM IST
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Civil Defence Volunteer: भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव और बदलते मौसमीय खतरों के बीच बिहार सरकार ने एक चौंकाने वाला कदम उठाया है। राज्यभर में सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की भर्ती तेज़ी से की जा रही है। सरकार का कहना है कि यह कदम आपदा प्रबंधन को सशक्त करने के लिए उठाया गया है| जानिए इसकी इतिहास ?
प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग ने नागरिक सुरक्षा कोर में नए वॉलंटियर्स की नियुक्ति शुरू कर दी है। चयनित युवाओं को ₹750 प्रतिदिन मानदेय के साथ राहत, बचाव और जनजागरूकता कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। वॉलंटियर्स की नई भर्ती की घोषणा ने एक बार फिर इस संस्था के ऐतिहासिक महत्व को चर्चा में ला दिया है। जहां एक ओर यह युवाओं को रोजगार और सेवा का अवसर देता है, वहीं दूसरी ओर यह भारत के नागरिक सुरक्षा इतिहास की जड़ों से भी जुड़ा है, जो द्वितीय विश्व युद्ध तक फैला हुआ है।
इतिहास से वर्तमान तक:
भारत में सिविल डिफेंस की नींव 1939 में ब्रिटिश शासन के दौरान डाली गई थी, जब द्वितीय विश्व युद्ध के समय नागरिकों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाए गए। स्वतंत्रता के बाद 1955 में "सिविल डिफेंस एक्ट" पारित कर इसे संवैधानिक दर्जा दिया गया। भारत-चीन (1962), भारत-पाक युद्ध (1965, 1971) जैसे कठिन समयों में सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स ने नागरिकों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई थी।
बदलता स्वरूप:
अब सिविल डिफेंस केवल युद्ध तक सीमित नहीं है। बिहार में बाढ़, भूकंप और अन्य आपदाओं के दौरान ये वॉलंटियर्स राहत और बचाव कार्यों में सक्रिय रहते हैं। इसके तहत उन्हें प्राथमिक चिकित्सा, अग्निशमन सहायता, सुरक्षित निकासी और आपदा से जुड़ी तकनीकी ट्रेनिंग साथ साथ कैसे ओने अपने आसपास के लोगों की सुरक्षा करनी है ये बताई जाती है।
नई पहल:
राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन को मजबूत करने के उद्देश्य से प्रत्येक जिले में नागरिक सुरक्षा कोर का विस्तार करने का निर्णय लिया है। चयनित वॉलंटियर्स को ₹750 प्रतिदिन मानदेय दिया जाएगा। आवेदन के लिए इच्छुक युवा जिला पदाधिकारी या नजदीकी नागरिक सुरक्षा कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। सामाजिक वैज्ञानिकों का मानना है कि यह न केवल युवाओं को राष्ट्रसेवा की ओर प्रेरित करेगा, बल्कि आपदा के समय प्रशासन को स्थानीय स्तर पर मजबूत समर्थन भी प्रदान करेगा।
सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की यह परंपरा आज भी जीवित है, और बदलते समय के साथ यह और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है। ऐसे में बिहार सरकार का यह कदम न केवल सुरक्षा बल्कि युवाओं के भविष्य की दिशा में भी एक सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है।
क्या काम करेंगे ये वॉलंटियर?
ये वॉलंटियर आपदा के समय जिला प्रशासन के साथ मिलकर राहत एवं बचाव कार्यों में मदद करेंगे। साथ ही, मॉक ड्रिल के जरिए जन-जागरूकता अभियान भी चलाएंगे। इन्हें ट्रेनिंग देकर हर प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया जाएगा।