BIHAR: अश्विनी हत्याकांड का मुख्य आरोपी गिरफ्तार, घटना के दो महीने बाद पुलिस ने दबोचा बेगूसराय में बाढ़ का कहर: 12 घंटे में 7 की मौत, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप BIHAR: गंगा नदी में 100 KM बहकर बचा शख्स, बेंगलुरु से आने के बाद पटना में लगाई थी छलांग Bihar News: बिहार में पानी में डूबने से दो सगी बहनों की मौत, छोटी सी गलती और चली गई जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 20 May 2025 01:15:59 PM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Supreme Court On Civil Judge: सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई 2025 को सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की भर्ती के लिए महत्वपूर्ण फैसले सुनाया है। जिसमें अब न्यूनतम 3 साल की कानूनी प्रैक्टिस को अनिवार्य कर दिया गया है और नए लॉ ग्रेजुएट्स की सीधी भर्ती को रद्द कर दिया गया। यह फैसला ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई, जस्टिस ए.जी. मसीह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की तीन जजों की पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कहा है कि बिना प्रैक्टिस के लॉ ग्रेजुएट्स की नियुक्ति से निचली अदालतों में कई समस्याएं पैदा हुई हैं, जैसा कि विभिन्न हाईकोर्ट्स के हलफनामों से स्पष्ट है। यह नियम भविष्य की भर्तियों पर लागू होगा, न कि पहले से चल रही प्रक्रियाओं पर।
क्यों जरूरी 3 साल की प्रैक्टिस?
CJI गवई ने फैसले में कहा कि न्यायिक सेवाओं में प्रवेश स्तर पर सिविल जज की भूमिका अत्यंत जटिल है, जहां जजों को जीवन, स्वतंत्रता, और संपत्ति जैसे संवेदनशील मामलों पर तत्काल निर्णय लेने पड़ते हैं। यह जिम्मेदारी केवल किताबी ज्ञान से पूरी नहीं हो सकती। कोर्ट ने माना कि न्यूनतम 3 साल की प्रैक्टिस से उम्मीदवारों को कोर्टरूम की कार्यप्रणाली, बार-बेंच इंटरैक्शन, और कानूनी प्रक्रियाओं का व्यावहारिक अनुभव मिलता है, जो एक सक्षम जज बनने के लिए आवश्यक है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रैक्टिस की अवधि प्रोविजनल बार एनरोलमेंट की तारीख से गिनी जाएगी, क्योंकि ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन (AIBE) अलग-अलग समय पर आयोजित होता है।
सुप्रीम कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां और निर्देश
1. 3 साल की प्रैक्टिस अनिवार्य: सभी राज्यों को अपने नियमों में संशोधन कर यह सुनिश्चित करना होगा कि सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की परीक्षा के लिए उम्मीदवार के पास कम से कम 3 साल का प्रैक्टिस अनुभव हो। इसकी पुष्टि 10 साल के अनुभव वाले वकील के प्रमाणपत्र से होगी।
2. लॉ क्लर्क का अनुभव मान्य: जजों के लॉ क्लर्क के रूप में काम करने का अनुभव भी प्रैक्टिस की अवधि में गिना जाएगा।
3. प्रशिक्षण अनिवार्य: नए भर्ती किए गए जजों को नियुक्ति से पहले कम से कम एक साल का प्रशिक्षण लेना होगा।
4. विभागीय कोटा और पदोन्नति: सुप्रीम कोर्ट ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के लिए 25% विभागीय कोटा बहाल किया, जो सीमित प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए जूनियर जजों की पदोन्नति के लिए आरक्षित होगा। साथ ही, 10% त्वरित पदोन्नति का प्रावधान भी लागू किया गया।
5. चल रही भर्तियों पर प्रभाव: जिन भर्ती प्रक्रियाओं को इस मामले के लंबित रहने के कारण रोका गया था (जैसे गुजरात, कर्नाटक, और छत्तीसगढ़ में), उन्हें अब संशोधित नियमों के अनुसार आगे बढ़ाया जाएगा।
बता दें कि, 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन मामले में शेट्टी कमीशन की सिफारिशों के आधार पर 3 साल की प्रैक्टिस की अनिवार्यता को हटा दिया था, ताकि नए लॉ ग्रेजुएट्स न्यायिक सेवाओं में आकर्षित हों। हालांकि, CJI गवई ने कहा कि 2002 के बाद की स्थिति बदल चुकी है। अब न्यायिक सेवाओं की सेवा शर्तें इतनी आकर्षक हैं कि 3 साल की प्रैक्टिस वाला वकील भी इन पदों के लिए आवेदन करने को तैयार है।