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Cancer causing food: रोज़मर्रा का ये खाना बन रहा है कैंसर मरीजों की मौत की वजह ,रिसर्च में खुलासा!

Cancer causing food: कोलन कैंसर, जिसे कोलोरेक्टल कैंसर भी कहा जाता है, बड़ी आंत में होने वाला एक खतरनाक लेकिन समय पर पहचान लिया जाए तो इलाज योग्य कैंसर है। यह आमतौर पर पॉलीप्स नामक छोटी ग्रोथ से शुरू होता है, जो धीरे-धीरे कैंसर का रूप ले सकती है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 19 Apr 2025 06:34:22 PM IST

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प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google

Cancer causing food: एक नई स्टडी ने कोलन कैंसर (Stages I–III Colorectal Cancer) से जूझ रहे मरीजों के लिए एक अहम चेतावनी दी है। इस रिसर्च में खुलासा हुआ है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का अधिक सेवन उनकी मृत्यु दर को बढ़ा सकता है। अध्ययन के अनुसार, इन मरीजों के आहार में शामिल अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की मुख्य श्रेणियां कुछ इस प्रकार थीं;

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड ब्रेड और ब्रेकफास्ट फूड्स  27%, फैट्स, कंडिमेंट्स और सॉस 24%, पैकेज्ड मिठाइयाँ 17%, शुगर या कृत्रिम मिठास वाले पेय पदार्थ 9%, एनिमल प्रोटीन-आधारित रेडी-टू-ईट फूड्स  5%,पैकेज्ड नमकीन स्नैक्स  4%, फ्लेवर युक्त योगर्ट/डेयरी उत्पाद 4%, रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-हीट मिक्स्ड डिशेज़ 3%, अन्य  6%.

कोलन कैंसर क्या है? जानिए इसके लक्षण और कारण

कोलन कैंसर,(colon cancer) जिसे बृहदान्त्र कैंसर या कोलोरेक्टल कैंसर भी कहा जाता है, बड़ी आंत में उत्पन्न होने वाला एक गंभीर रोग है। यह कैंसर आमतौर पर आंत की अंदरूनी परत में मौजूद छोटे-छोटे उभारों (पॉलीप्स) से शुरू होता है, जो समय के साथ कैंसर में बदल सकते हैं। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह आंत की दीवारों, लिम्फ नोड्स और शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है।


कोलन कैंसर के मुख्य लक्षण: 

 मल में खून आना, पेट में लगातार दर्द या ऐंठन, मल त्याग की आदतों में बदलाव (जैसे बार-बार दस्त या कब्ज), अत्यधिक थकान या कमजोरी महसूस होना, बिना किसी वजह के अचानक वजन कम होना|

कोलन कैंसर के प्रमुख कारण:

आनुवंशिकता: परिवार में कोलन कैंसर का इतिहास होना, उम्र: विशेष रूप से 50 वर्ष से अधिक आयु वालों में जोखिम ज्यादा होता है, खानपान: उच्च वसा और कम फाइबर युक्त आहार, धूम्रपान और शराब: इनकी अधिकता भी खतरे को बढ़ा सकती है


क्या है अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड?

ये ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं जिन्हें स्वाद, रंग, बनावट और शेल्फ-लाइफ बढ़ाने के लिए गहराई से प्रोसेस किया जाता है। इनमें परिरक्षक, कृत्रिम रंग, स्वाद, मिठास और अन्य रसायन होते हैं जो प्राकृतिक पोषण को कम कर देते हैं। स्टडी में पाया गया कि जो मरीज अधिक मात्रा में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कर रहे थे, उनमें मृत्यु दर ज्यादा थी, जबकि जिनका खानपान प्राकृतिक और संतुलित था, उनकी रिकवरी और जीवित रहने की संभावना बेहतर रही।


विशेषज्ञों की राय:

डॉक्टरों और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि कैंसर से जूझ रहे मरीजों को अपने आहार में ताजे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और घर का बना खाना शामिल करना चाहिए और प्रोसेस्ड व रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों से दूरी बनानी चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की इस चेतावनी को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। यह स्टडी न सिर्फ कैंसर मरीजों बल्कि आम लोगों के लिए भी एक सबक है कि खानपान में सावधानी बरतना कितना जरूरी है।


"स्वस्थ जीवन के लिए सरल भोजन चुनें, प्रोसेस्ड से रहें दूर।"