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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 03 Sep 2025 02:29:08 PM IST
लाइफ स्टाइल - फ़ोटो GOOGLE
Life Style: मोतियाबिंद (Cataract) एक आम नेत्र रोग है, जिसमें आंखों के लेंस पर धुंधलापन आ जाता है, जिससे व्यक्ति की देखने की क्षमता प्रभावित होती है। यह बीमारी सामान्यत वृद्धावस्था में देखी जाती है, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी पहचान बच्चों में भी हो रही है, जो एक चिंताजनक स्थिति है। अगर बच्चों में समय पर इसका पता न चले और इलाज न हो, तो उनकी दृष्टि पर स्थायी नुकसान हो सकता है।
कुछ बच्चे आंखों में धुंधले लेंस के साथ जन्म लेते हैं। यह आमतौर पर अनुवांशिक कारणों, गर्भावस्था के दौरान मां को हुए संक्रमण (जैसे रूबेला), या रेडिएशन एक्सपोजर की वजह से होता है। बच्चों को खेलते समय आंख में चोट लग सकती है, जिससे लेंस प्रभावित होकर धुंधला हो जाता है और मोतियाबिंद की स्थिति बन सकती है।
गैलेक्टोसीमिया और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी कुछ चयापचयी बीमारियां भी आंखों के लेंस पर असर डालती हैं और मोतियाबिंद उत्पन्न कर सकती हैं। लंबे समय तक स्टेरॉयड या अन्य कुछ दवाओं के उपयोग से भी बच्चों में मोतियाबिंद विकसित हो सकता है। यदि बच्चों की आंखों में संक्रमण हो जाए और समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह लेंस को क्षति पहुंचाकर मोतियाबिंद की वजह बन सकता है।
लक्षण जो माता-पिता को सतर्क कर सकते हैं
बच्चे का नजर कमजोर होना
आंखों में लगातार पानी आना
आंखों का लाल होना
आंखों में सफेद या धुंधला लेंस नजर आना
आंखों में असामान्य हरकत या झपकना
जैसे ही ये लक्षण नजर आएं, तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
बच्चों में मोतियाबिंद का इलाज आमतौर पर सर्जरी से किया जाता है। इसमें धुंधले लेंस को निकालकर कृत्रिम लेंस (IOL – Intraocular Lens) लगाया जाता है। जितनी जल्दी सर्जरी की जाती है, दृष्टि सुधार की संभावना उतनी ही अधिक होती है। इसके बाद बच्चों को विजुअल थैरेपी और नियमित फॉलोअप की जरूरत होती है।
बचाव के उपाय
गर्भवती महिलाओं की नियमित स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण
बच्चों की आंखों को चोट से बचाना
संक्रमण का समय पर उपचार
जन्म के तुरंत बाद और फिर समय-समय पर नेत्र जांच करवाना
एम्स, नई दिल्ली के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश सिन्हा के अनुसार, “बच्चों में मोतियाबिंद को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। यदि प्रारंभिक अवस्था में ही इसका पता चल जाए और इलाज शुरू हो जाए, तो बच्चों की दृष्टि पूरी तरह से सामान्य रह सकती है। यह बीमारी पूरी तरह से इलाज योग्य है, बशर्ते समय पर चिकित्सकीय हस्तक्षेप किया जाए।”
बच्चों में मोतियाबिंद को हल्के में न लें। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों की आंखों में किसी भी असामान्य लक्षण को देखकर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। समय पर निदान और उचित इलाज से बच्चों की आंखों की रोशनी बचाई जा सकती है।