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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 16 Jun 2025 03:06:24 PM IST
लाइफ स्टाइल - फ़ोटो GOOGLE
Life Style: बच्चों को मीठा खाना बेहद पसंद होता है। चाहे चॉकलेट हो, टॉफी हो, पेस्ट्री या मिठाइयां बच्चे अक्सर इन्हें बड़े चाव से खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज़रूरत से ज़्यादा शुगरी चीजें बच्चों की सेहत पर गंभीर असर डाल सकती हैं? नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिसर्च के अनुसार, बचपन में अत्यधिक चीनी का सेवन न सिर्फ़ कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है, बल्कि भविष्य में स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर डाल सकता है।
कैंडी, पेस्ट्री, मिठाइयाँ और कोल्ड ड्रिंक्स, ये सभी चीजें कैलोरी में हाई लेकिन पोषण में लो होती हैं। रोजाना इनका सेवन बच्चों के वजन में तेजी से वृद्धि कर सकता है, जिससे मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज, और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। WHO के अनुसार, भारत सहित कई देशों में बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है, और इसका एक बड़ा कारण चीनी का अत्यधिक सेवन है।
चीनी, मुंह में मौजूद बैक्टीरिया की पसंदीदा खुराक है। ये बैक्टीरिया चीनी को तोड़कर एसिड बनाते हैं, जो दांतों के इनेमल को कमजोर कर देते हैं। इससे कैविटी, दांतों की सड़न, और मुंह की बदबू जैसी समस्याएं होती हैं। बच्चों में ये समस्या खासतौर पर ज्यादा देखी जाती है क्योंकि वे ब्रशिंग की आदत को गंभीरता से नहीं लेते।
मीठा खाने के बाद बच्चों की एनर्जी अचानक बढ़ जाती है, लेकिन थोड़ी ही देर में यह गिर भी जाती है। इस कारण से बच्चे चिड़चिड़े, गुस्सैल और अकेडमिक फोकस में कमजोर हो सकते हैं। लगातार ऐसा होने पर यह उनके मूड पैटर्न और एकाग्रता क्षमता को प्रभावित करता है।
बचपन से अत्यधिक चीनी के सेवन की आदत बच्चों को लाइफस्टाइल डिसऑर्डर की ओर ले जाती है। इनमें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, फैटी लिवर, और किडनी संबंधी समस्याएं भी शामिल हैं। इसलिए समय रहते खान-पान की आदतों में सुधार बेहद ज़रूरी है।
चीनी शरीर में इंफ्लेमेशन (सूजन) को बढ़ाती है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कमजोर हो सकती है। इससे बच्चे बार-बार बीमार पड़ सकते हैं, जैसे कि सर्दी-खांसी, वायरल, और त्वचा संक्रमण। कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि अत्यधिक चीनी शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की कार्यक्षमता को भी प्रभावित करती है।
बचाव के उपाय क्या हैं?
प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से बच्चों को दूर रखें।
घर का बना मीठा जैसे गुड़, खजूर, शहद सीमित मात्रा में दें।
बच्चों को फल, सूखे मेवे, और दूध जैसे प्राकृतिक विकल्पों की ओर प्रेरित करें।
चीनी के विकल्प जैसे स्टीविया या jaggery का प्रयोग करें (लेकिन सीमित मात्रा में)।
बच्चों को ब्रशिंग और डेंटल हाइजीन की सही आदतें सिखाएं।
मीठी चीजें बच्चों को भले ही पसंद हों, लेकिन उनका अत्यधिक सेवन बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि अभिभावक सजग रहें, बच्चों की डाइट को संतुलित बनाएं, और उन्हें स्वस्थ आदतों की ओर प्रेरित करें।