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1st Bihar Published by: Updated Sun, 13 Jun 2021 07:01:11 PM IST
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PATNA : रविवार को एडवांटेज केयर वर्चुअल डायलॉग सीरीज में खेल पर कोरोना महामारी के पड़े असर पर चर्चा की गई. इस चर्चा में दिग्गज खिलाडियों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम में पूर्व क्रिकेट आलराउंडर इरफान पठान ने भी बीसीसीआई को कई सुझाव दिए. पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर और बीसीसीआई के पूर्व जीएम सैयद सबा करीम ने कहा कि सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिसपांसिबिलिटी ) का कुछ हिस्सा खेल पर खर्च करना अनिवार्य किया जाए. इससे खेल और खिलाड़ियों की स्थिति बेहतर होगी.
12 से एक बजे आयोजित इस चर्चा में सबा करीम ने कहा कि बहुत कम क्रिकेटरों को बीसीसीआई का कांट्रेक्ट मिल पाता है। ऐसे में बीसीसीआई को राज्य और जिला स्तर पर भी क्रिकेटरों के साथ कांट्रेक्ट करना चाहिए। इससे उनकी स्थिति बेहतर होगी और प्रोत्साहन मिलेगा। सबा ने कहा कि खेल और इससे जुड़े संगठनों से जुड़े लोगों को आगे आना चाहिए और खिलाड़ियों को परेशानी से निकालने में हाथ बंटाना चाहिए ताकि वो अनावश्यक परेशान न हो। क्योंकि कई खिलाड़ी खेल से मिलनेवाले राशि पर ही निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि युवा खिलाड़ियों के लिए महामारी ने काफी चुनौती पेश की है। खास कर अंडर-16 और 19 खेलनेवालों के लिए काफी परेशानी है। सबा ने एडवांटेज केयर के पहल की भी सराहना की।
अंडर-19 के करियर पर विचार करे बीसीसीआई - इरफान पठान
दिग्गज क्रिकेट ऑलराउंडर इरफान पठान ने परिचर्चा में कहा कि यह महामारी सुविधा भोगी लोगों के लिए अच्छा रहा। उन्हें अपने परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिला। लेकिन दूसरे लोगों, जिनके पास सुविधा नहीं है उन्हें जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इरफान ने कहा कि इस महामारी ने उभरते हुए खिलाड़ियों का करियर चैपट कर दिया। खासकर अंडर-19 क्रिकेटरों का तो करियर खत्म हो गया। उनके पास करियर में ब्रेक करने के लिए एक साल ही होता है। ऐसे मे बीसीसीआई को उनके लिए कुछ दूसरे विकल्पों पर विचार करना चाहिए। इरफान ने खिलाड़ियों के लिए संरक्षण की बात की। कहा कि यह उनके लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के जिंदगी का मकसद मैदान में खेलना होता है। यदि वह उनसे छीन जाए तो काफी दिक्कत होती है। हमें खिलाड़ियों को सहयोग और समर्थन देना चाहिए।
पूर्व के मैच का भूल जाता था - ईशान किशन
बिहार से आनेवाले उभरते क्रिकेटर ईशान किशन ने एक खिलाड़ी के रूप में खुद पर महामारी के पड़े प्रभाव के बारे में परिचर्चा में अपनी बात रखी। कहा कि लॉक डाउन की घोषणा के बाद उन्हें सबसे ज्यादा चिंता खुद के डाइट की हुई। खुद को कैसे फिट रखा जाए। इसमें उनके परिवारवालों ने काफी मदद की। ईशान ने कहा कि मैं जब मैच खेलने मैदान में उतरता हूं तो पिछले मैच के बारे में भूल जाता हूं। उन्होंने कहा कि किसी खिलाड़ी के लिए दो वर्ष बहुत होता है। हालांकि मेरे ख्याल से खेल में यह नहीं सोचना चाहिए कि आगे क्या होगा बल्कि वर्तमान पर फोकस करना चाहिए। क्योंकि क्या होगा जब सोचेंगे तो परेशानी होगी। इससे रिजल्ट प्रभावित होगा। इसलिए न्यूट्रल रहें और अपना होम वर्क जारी रखें। मेरे सबसे बड़े संरक्षक मेरे माता-पिता हैं।
ऑनलाइन देने लगी बॉस्केटबाल की ट्रेनिंग - आकांक्षा सिंह
परिचर्चा में भाग लेते हुए भारतीय बास्केटबॉल टीम की पूर्व कैप्टन आकांक्षा सिंह ने कहा कि महामारी के दौरान नए खिलाड़ियों के लिए प्रैक्टिस कराना चुनौती थी। ऐसे में हमने एक रास्ता निकाला और ऑनलाइन क्लास शुरू किया। बॉस्केटबाल जैसे फिजिकल खेल में ऑनलाइन क्लास थोड़ा अटपटा था। लेकिन इसका खिलाड़ियों पर काफी असर पड़ा। वो कम-से-कम खुद को व्यस्त रख पाएं। आकांक्षा ने कहा कि जैसे क्रिकेट का समर्थन मिलता है उसी तरह अन्य खेलों के खिलाड़ियों को भी समर्थन मिलना चाहिए। आकांक्षा ने कहा कि मेरा मानना है कि खिलाड़ियों को खुद भी फंड इकट्ठा करना चाहिए।
मनोवैज्ञानिकों का सहारा लिया - दीप्ति बोपायाहा
परिचर्चा में शिरकत कर रहीं गो स्पोट्र्स फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक दीप्ति बोपायाहा ने कहा कि उनके लिए महामारी बहुत बड़ी चुनौती बन कर आई है। उनके फाउंडेशन से 13 खिलाड़ियों पैरा ओलंपिक में भाग लेने के लिए तैयार हैं। इसी तरह 18 खिलाड़ी ओलंपिक में भाग लेंगे। ऐसे में चुनौती थी कि कैसे उनका प्रैक्टिश हो। ऐसे में हमने मनौवैज्ञानिकों का सहारा लिया।
मानसिक तंदुरुस्ती और खिलाड़ियों की वित्तीय स्थिति पर चर्चा हुई - सैयद सुल्तान अहमद
कार्यक्रम के मॉडरेटर व एलएक्सएल आइडियाज के एमडी व चीफ लर्नर सैयद सुल्तान अहमद ने कहा कि इस परिचर्चा में दो बातें निकल आई। पहला खिलाड़ियों का मानसिक स्वास्थ्य कैसे ठीक रहे और दूसरा, उनकी वित्तीय स्थिति कैसे बेहतर रहे।
EEMA द्वारा समर्थित
यह चर्चा इवेंट्स एंड एंटरटेनमेंट मैनेजमेंट एसोसिएशन (EEMA) द्वारा समर्थित है। इस एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेखक और निर्देशक रोशन अब्बास हैं। EEMA पंजीकृत कंपनियों, संस्थानों और पेशेवरों का एक स्वायत्त, गैर-लाभकारी निकाय है जो भारत के आयोजनों और अनुभवात्मक मार्केटिंग उद्योग के भीतर काम करता है।
पिछले रविवार को आयोजित कार्यक्रम काफी सफल हुआ था: खुर्शीद अहमद
एडवांटेज केयर के संस्थापक खुर्शीद अहमद ने बताया कि पिछले रविवार को भी इस तरह की चर्चा हुई थी, जो काफी सफल रहा। लोगों ने काफी सराहा। कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित किया गया था। जिसमें देश के नामचीन लोग हिस्सा लिए थे। 23 हजार लोग कार्यक्रम से सीधे जुड़े जबकि प्रिंट, इलेट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से 60 लाख लोेगों ने कार्यक्रम में हुई चर्चा के बारे में पढ़ा और जाना।
इसी वर्ष एडवांटेज केयर की स्थापना हुई है
एडवांटेज केयर की स्थापना एडवांटेज सपोर्ट के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी वर्तमान समस्या को देखते हुए इसी वर्ष किया गया है। एडवांटेज ग्रुप ने सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व) के लिए एडवांटेज सपोर्ट की स्थापना वर्ष 2007 में की थी। प्रसिद्ध सर्जन डॉ. ए.ए. हई एडवांटेज सपोर्ट के अध्यक्ष हैं। खुर्शीद अहमद एडवांटेज सपोर्ट के सचिव हैं। वहीं ट्रस्टी के रूप में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर सैयद सबा करीम, भारती भवन के प्रकाशक एवं वितरक संजीब बोस, शिक्षाविद प्रो. सैयद नफीस हैदर, वरिष्ठ पत्रकार संजय सलील, डॉ. रंजना कुमारी, चेयरपर्सन ऑफ वीमेन पावर कनेक्ट, शिक्षाविद सैयद सुल्तान अहमद, फैजान अहमद, डॉ. परवेज अख्तर, रिटायर्ड डीआईजी, ओवियन चेलवेन, राजीव रंजन और चंद्रमणि सिंह शामिल हैं।
एडवांटेज ग्रुप 29 साल पुरानी कंपनी है, जो पीआर, विज्ञापन, पब्लिक अफेयर, इवेंट्स, एक्टिवेशन आदि क्षेत्र में सक्रिय है। कोविड महामारी में एडवांटेज केयर ने काफी काम किया। कई लोगों को अस्पताल में बेड दिलवाने में मदद की, ऑक्सीजन की व्यवस्था की। दो एंबुलेंस भी मुफ्त में शहरवासियों को उपलब्ध कराया है, अब तक 20 लोगों ने इस सेवा का लाभ उठाया है। यही नहीं, एडवांटेज केयर अस्पताल में भर्ती मरीज के 6000 परिजनों एवं जरूरतमंदों को खाना खिला चुके हैं। एडवांटेज केयर लोगों को कोरोना टीकाकरण के लिए जागरूक बना रही है और अब तक 100 लोगों का टीकाकरण करवा चुकी है।