बेलागंज में इकरा हसन की चुनावी सभा: राजद प्रत्याशी डॉ. विश्वनाथ के लिए मांगा वोट, तेजस्वी यादव भी रहे मौजूद Advani Birthday: पीएम मोदी ने भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी से की मुलाकात, जन्मदिन की दी शुभकामनाएं; कहा- उनका जीवन राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित Advani Birthday: पीएम मोदी ने भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी से की मुलाकात, जन्मदिन की दी शुभकामनाएं; कहा- उनका जीवन राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित वजीरगंज में बसपा के रोड शो में उमड़ी भारी भीड़, जनसैलाब को देख गदगद हो गये चिंटू भैया, बोले..बदलाव निश्चित Bihar Election 2025: चुनावी सभा में पवन सिंह के नहीं पहुंचने पर बवाल, नाराज समर्थकों ने तोड़ी कुर्सियां; विपक्ष पर साजिश का आरोप Bihar Election 2025: चुनावी सभा में पवन सिंह के नहीं पहुंचने पर बवाल, नाराज समर्थकों ने तोड़ी कुर्सियां; विपक्ष पर साजिश का आरोप विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला का उद्घाटन कल, देश-विदेश से सैलानियों का आना शुरू 'विश्व रेडियोलॉजी दिवस' पर हेल्थ इंस्टीट्यूट में आयोजित हुआ भव्य समारोह, विद्यार्थियों ने बनाई मनमोहक झांकियां 'विश्व रेडियोलॉजी दिवस' पर हेल्थ इंस्टीट्यूट में आयोजित हुआ भव्य समारोह, विद्यार्थियों ने बनाई मनमोहक झांकियां Bihar Election 2025: ‘वो खुद पागल हो चुका है, दूसरों को क्या पागल बनाएंगे’, खेसारी लाल यादव पर पवन सिंह का पलटवार
1st Bihar Published by: Updated Mon, 25 Jan 2021 09:49:40 PM IST
- फ़ोटो
DELHI : भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर की टोली में रंगमंच पर नाट्य कला का जादू बिखेरने वाले रामचंद्र मांझी की कला को 95 साल की उम्र में सम्मान मिला है. केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री देने का एलान किया है. वैसे भिखारी ठाकुर भी किसी दौर में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किये गये थे.
लौंडा नाच की परंपरा
छपरा के रामचंद्र मांझी भिखारी ठाकुर की मंडली में शामिल थे. उनके विश्व प्रसिद्ध नाटक विदेशिया में रामचंद्र मांझी वेश्या की भूमिका निभाते थे. उम्र के इस पड़ाव पर भी वे लौंडा नाच की कला को जिंदा रखने के लिए प्रयासरत रहते हैं. दो साल पहले उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार दिया गया था.. प्रसिद्ध नाटककार स्वर्गीय भिखारी ठाकुर की परंपरा को जीवित रखने वाले रामचंद्र मांझी उन कलाकारों की एक आस बनें है जो सूचना और प्रौद्योगिकी के इस युग में खोती जा रही विधाओं के संरक्षण में दिन रात कार्यरत हैं.
बिहार के इकलौते दलित रंगकर्मी
रामचंद्र मांझी अपने दौर में बिहार के इकलौते दलित रंगकर्मी रहे हैं. वैसे भी भिखारी ठाकुर अपने नाटकों में दलित पिछड़ों के दर्द को जिस अंदाज से शामिल करते थे वह मौजूदा समय में भी किसी नाटककार के लिए काफी मुश्किल काम है. ये भी जानना जरूरी है कि बिहार और उत्तर प्रदेश से जुड़े कलाकारों को मिलने वाले इस सर्वोच्च सम्मान में रामचंद्र पहले ऐसे कलाकार हैं जो दलित समाज से आते हैं. यह सम्मान उनकी लौंडा नाच परंपरा के साथ दलित समाज के कलाकारों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे कार्य को लेकर भी सकारात्मक सन्देश देता प्रतीत होता है. ये सच है कि मांझी के जमीनी कार्य का प्रतिफल उन्हें मिलने में थोड़ी देर हुई, लेकिन इससे जमीनी स्तर पर काम करने वाले लोक कलाकारों को बहुत बल मिलेगा.