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बिहार में फिर बनी NDA की सरकार, जानिए कब और कैसे लिखी गई नीतीश कुमार का मोदी के साथ आने की पटकथा

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 29 Jan 2024 08:24:58 AM IST

बिहार में फिर बनी NDA की सरकार, जानिए कब और कैसे लिखी गई नीतीश कुमार का मोदी के साथ आने की पटकथा

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PATNA : बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनी है। इस एनडीए सरकार में मुख्यमंत्री के चेहरे पर तो नीतीश कुमार ही हैं लेकिन उपमुख्यमंत्री के चेहरे बदल दिए गए हैं। इस बार उप मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा के फायर ब्रांड नेता सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा  को मनोनीत किया गया है। इन सब के बीच जो सबसे बड़ी और सबसे रोचक चीज चर्चा में बनी हुई है वह है कि- आखिर नीतीश कुमार के एनडीए में आने की पटकथा कैसे लिखी गई ? और इसको लेकर जब फर्स्ट बिहार की ने कुछ जदयू और भाजपा के सूत्रों से बातचीत की तो बड़ी जानकारी निकलकर सामने आई।

19 जून को पहली शुरुआत 

दरअसल, बिहार शुरू से ही देशभर की राजनीति का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां कब किस पल क्या हो जाए इसकी जानकारी बड़े-बड़े सियासी महकमा में भी नहीं रह पाती है। यहां की सियासत पल-पल रूप और रंग बदलती है। ऐसे में नीतीश कुमार के एनडीए में जाने की पटकथा की शुरुआत 19 जून 2023 को ही हो गई थी। जब नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने वाले एक जदयू नेता के करीबी के घर केंद्रीय एजेंसी की टीम पहुंची थी। इस दौरान यह कयास लगाया जा रहा था कि कहीं ना कहीं इसमें नीतीश कुमार के कारबी नेता  पर भी सवाल उठ सकते हैं। हालांकि, यहां जदयू उसे नेता के करीबी ने थोड़ी चालकी दिखाई और वैसा कुछ हाथ नहीं लगा जिससे समस्या अधिक उत्पन्न हो।

22 जून 2023 से शुरू हुआ खेल 

इसके कुछ दिन बाद 22 जून 2023 को नीतीश कुमार के सबसे करीबी माने जाने वाले और तथाकथित रूप से उनके विशेष  सलाहकार कहे जाने वाले एक नेता के रिश्तेदार के घर ईडी की टीम की दस्तक होती है। ईडी कीटीम को कई तरह के दस्तावेज हाथ लगते हैं इसके बाद मीडिया के साथ-साथ राजनीतिक घरानों में भी कई तरह की टिका टिप्पणी शुरू हो जाती है। इसको लेकर जब जदयू नेता से सवाल किया जाता है तो वह कहते हैं हमें उनसे कोई मतलब नहीं है वह क्या कर रहे हैं नहीं कर रहे हैं इसकी जानकारी उनके पास ही होगी। हालांकि, बाद में यह मामला किसी तरह ठंडा होता है।

नीतीश को मिला बड़ा झटका 

वहीं, इसके अगले दिन 23 जून को राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई जाती है। यह बैठक पटना में मुख्यमंत्री सचिवालय में आयोजित करवाई जाती है। जिसमें देशभर के तमाम विपक्षी दलों के नेता एक साथ एक मंच पर बैठते हैं और बातचीत होती है। इस दौरान मोदी सरकार को हराने का प्लान तैयार होता है। लेकिन इस बीच सबसे बड़ा झटका तब लगता है- जब नीतीश कुमार को इस विपक्षी गठबंधन में पीएम चेहरा ना बनाकर लालू यादव राहुल गांधी को पीएम चेहरा बनाने की बात कर डालते हैं।

लालू यादव इशारों ही इशारों में सोनिया गांधी से कहते हैं कि - अब राहुल की काफी उम्र हो गई है शादी करवाइए दूल्हा बनाइए हमलोग बारात जाने को तैयार हैं। इससे पहले मीडिया में यह चर्चा चल रही थी कि आखिर विपक्षी गठबंधन का दूल्हा कौन होगा और लालू यादव ने इशारों ही इशारों में यह बता दिया था कि दूल्हा कोई और नहीं बल्कि राहुल गांधी ही होंगे। इसके बाद नीतीश कुमार को कहीं ना कहीं एक बड़ा झटका लगा। हालांकि नीतीश कुमार यह लगातार कहते रहे उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है। लेकिन इसके  जदयू के नेता यह नारा लगाते रहे कि- हमारा पीएम कैसा हो नीतीश कुमार जैसा हो

18 महीने बाद एक मीटिंग और तय हो गया फार्मूला 

वहीं, इसके बाद अगले कुछ महीने सब चीज समान चलती है और फिर सितंबर का महीना आता है। राजधानी दिल्ली में g20 का सम्मेलन करवाया जाता है और इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली पहुंचते हैं। यह पहली दफा होता है जब 18 महीने बाद यानी राजद के साथ  गठबंधन में जाने के बाद नीतीश कुमार की पीएम मोदी से मुलाकात होती है। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि इस दौरान नीतीश कुमार और पीएम मोदी की लगभग अलग से 10 मिनट की बातचीत होती है और सभी पटकथा यही लिख दी जाती है।

छुट्टी के दिन बड़ा गिफ्ट 

एक प्रमुख मीडिया एजेंसी के अनुसार यह खबरें बाहर आती है कि रविवार को भी प्रधानमंत्री कार्यालय खुलता है और केंद्र के तरफ से बिहार सरकार को विशेष उपहार दिया जाता है। इसको लेकर जब भाजपा सूत्रों से जानकारी ली जाती है तो यह बताया जाता है उनके तरफ से की रविवार का दिन होने के बाद भी नीतीश कुमार और पीएम मोदी में बातचीत होती है नीतीश कुमार अपनी समस्याओं को उनसे बताते हैं और वह कहते हैं कि वह राजद के साथ सही फील नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद उन्हें कहा जाता है कि आप वक्त का इंतजार कीजिए सही वक्त आने पर आपको माकूल जवाब दिया जाएगा। तब तक आप अपने काम में रफ्तार लाइए और कुछ ऐसा कीजिए जिससे आपकी चर्चा होने लगे।

ऐसे में नीतीश कुमार कहते हैं इसको लेकर उन्हें केंद्र से मदद की जरूरत है। इसके बाद उसी दिन प्रधानमंत्री कार्यालय के तरफ से बिहार सरकार को बड़ी मदद दी जाती है। इस भी देखने वाली और सोचने वाली बात यह है कि रविवार का दिन होने के बावजूद प्रधानमंत्री कार्यालय के तरफ से बिहार सरकार को मदद पहुंचाई जाती है। नीतीश कुमार वहां से वापस आने के कुछ महीने के बाद बिहार में शिक्षकों की बड़े पैमाने पर भर्ती शुरू होती है और इस बीच सबसे बड़ी चर्चा यह होती है कि राज्य के नियोजित शिक्षक कर्मी को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा।

इसके  कुछ दिनों तक तो चीज समान चलती है।इसके बाद तेजस्वी इस काम के लिए खुद का क्रेडिट लेना शुरू कर देते हैं और फिर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच मनमुटाव देखने को मिलता है। सरकारी कार्यक्रम से तेजस्वी यादव दूरी बनाना शुरू कर देते हैं। इस बीच पटना में इंडस्ट्रियल मीट आयोजित करवाई जाती है और इस इंडस्ट्रियल मीट में अदानी जैसे बड़े ग्रुप के मेंबर पटना आते हैं और बिहार में अपना उद्योग लगाने की बात कह जाते हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह होती है कि इस मीटिंग में कहीं भी तेजस्वी यादव नजर नहीं आते हैं जबकि इससे पहले तेजस्वी यादव के आने को लेकर बड़े-बड़े बैनर पोस्टर राजधानी पटना में लगाए जाते हैं।

मंदिर और मंत्रियों की कार्यशैली 

उधर, राजद के नेता लगातार धर्म, मंदिर , भगवान राम को लेकर तरह-तरह की बातें करते रहते हैं और विभागों में भी कई तरह की गड़बड़ियों की खबर सामने आते रहती है। इसमें मामला ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़ा होता है और अधिकारियों के साथ तू - तू - मैं - का भी होता है। जिसको लेकर नीतीश कुमार मंत्री और अधिकारी दोनों को बुलाते भी हैं और चीजों को सामान करने की कोशिश भी करते हैं लेकिन जब चीज समान नहीं होती है तो नीतीश कुमार भी सब चीजों को यूं ही छोड़ देते हैं।

तुरूप का इक्का और खेल खत्म 

इसके बाद देश में राम मंदिर की चर्चा होती है और विपक्षी दलों के तरफ से इसका विरोध शुरू किया जाता है लेकिन इस दौरान देखने वाली बात यह होती है कि जदयू के किसी भी नेता के तरफ से इसको लेकर विरोध नहीं किया जाता है और कहा जाता है कि अगर उन्हें आमंत्रित किया जाएगा तो वह जरूर शामिल होंगे। 22 जनवरी को मंदिर का उद्घाटन होता है चीजें  सब कुछ सामान चल रही होती है। तभी पीएम मोदी एक तुरूप का इक्का डालते हैं और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का घोषणा कर डालते हैं यहां से नीतीश के एनडीए में वापसी का तय और राजद के साथ रिश्ता खत्म हो जाता  है और नई सरकार के गठन की कवायद शुरू हो जाती है। इस बीच राजद सुप्रीमो के बेटी के तरफ से कुछ विवादित ट्वीट किए जाते हैं उससे पहले नीतीश कुमार के तरफ से परिवारवाद को लेकर गहरा तंज किया जाता है और आखिरकार 28 जून 2024 को एक बार फिर से बिहार में एनडीए की सरकार बनती है और नीतीश कुमार नवमी बार सीएम पद की शपथ लेते हैं। इसके बाद अब यह देखना होगा कि आखिरकार नीतीश कुमार की एनडीए के साथ या दोस्ती कितनी गहरी होती है और कितनी लंबी होती है।