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1st Bihar Published by: Updated Tue, 27 Apr 2021 10:32:39 PM IST
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PATNA : कोरोना से भीषणतम त्रासदी झेल रहे बिहार में राज्य सरकार के हवाई दावे हर रोज बेनकाब होते जा रहे हैं. भीषणतम प्रलय के बीच श्मशान में तब्दील होते जा रहे बिहार में सरकार ने कोरोना टेस्टिंग को ही रोक दिया है. ना आयेगी जांच औऱ ना ही बढ़ेगी कोरोना पीड़ितों की तादाद. सरकार की इंतहा देखिये, बिहार के सबसे बड़े जिलों में शामिल मधुबनी जिले में पिछले 13 दिनों से किसी की जांच रिपोर्ट ही नहीं आयी है. सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के ही विधायक ने सरकार की पोल खोल दी है.
पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा नाराज हुए
बीजेपी के वरीय नेता और मधुबनी जिले के झंझारपुर से विधायक नीतीश मिश्रा मंगलवार को अपने क्षेत्र में कोरोना की जांच औऱ इलाज की समीक्षा करने पहुंचे थे. उन्होंने मधुबनी जिले में कोरोना जांच की जानकारी ली तो हैरान करने वाला तथ्य सामने आया. पूरे मधुबनी जिले में 15 अप्रैल से RT-PCR जांच के लिए जो भी सैंपल भेजे गये उनमें से किसी की जांच रिपोर्ट 27 अप्रैल तक नहीं आयी है. यानि जिन्होंने भी सैंपल दिया वे 13 दिनों से अपनी जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.
सरकार के दावे बेनकाब
दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से लेकर भारत सरकार लगातार कहती रही है कि कोरोना से निपटने का सबसे पहला तरीका है सही तरीके से जांच. समय पर जांच कोरोना की रोकथाम में सबसे अहम रोल निभाता है. लेकिन अगर 13 दिनों तक जांच रिपोर्ट ही ना आये तो रोकथाम क्या होगी. ना ये पता चलेगा कि कौन पॉजिटिव है और ना ही उससे संक्रमण की चेन रोकने में सफलता मिल पायेगी.
वैसे ये समस्या सिर्फ मधुबनी जिले की नहीं है. राजधानी पटना में भी कोरोना की RT-PCR टेस्ट कराने वाले आम आदमी को कम से कम 6 दिन में रिपोर्ट मिल रही है. इस बीच कोरोना संक्रमित व्यक्ति कई लोगों में संक्रमण फैला चुका होता है. दुखद बात ये भी है कि जांच रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण कोरोना संक्रमित मरीज का सही से इलाज भी नहीं हो पाता.
जांच रिपोर्ट में देरी से ही हुई थी मेवालाल चौधरी की मौत
जेडीयू के विधायक औऱ नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेता मेवालाल चौधरी की कोरोना से मौत की कहानी भी सामने आ चुकी है. इतने कद्दावर व्यक्ति को भी कोरोना जांच के लिए सैंपल देने के 5 दिन बाद जांच रिपोर्ट मिली. इस बीच उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती गयी. जांच रिपोर्ट नहीं होने के कारण उन्हें पटना के IGIMS जैसे सरकारी संस्थान ने भर्ती करने तक से इंकार कर दिया था. आखिरकार उनकी मौत हो गयी.