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1st Bihar Published by: Updated Fri, 11 Mar 2022 12:27:04 PM IST
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BIHTA : बिहटा के अमहारा स्थित नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में विश्व किडनी दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज प्रबंध निदेशक कृष्ण मुरारी सिंह, रजिस्ट्रार पवन सिंह, प्रचार्य डॉ अरबिंद प्रसाद, आईजीएमएस नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट के एचओडी डॉ ओम कुमार, आईजीएमएस के प्रोफेसर डॉ अमरेश कृष्णा, डॉ स्वर्णिमा सिंह, डॉ फरीद आलम, डॉ अर्कपाल बनर्जी ने संयुक्त रूप से दीपप्रज्वलन कर किया। जिसका थीम था किडनी हेल्थ फॉर ऑल।
वही इस मौके पर एनएसएमसीएच के प्रबंध निदेशक कृष्ण मुरारी सिंह ने बताया कि प्रारंभिक क्रोनिक किडनी डिजिज में अक्सर लक्षण दिखाई नहीं देते। किसी भी लक्षण का अनुभव करने से पहले, व्यक्ति 90 प्रतिशत तक गुर्दे की कार्यप्रणाली खो सकता है। सांस लेने में दिक्कत होना, खून में कमी, यूरीन में झाग आना, उच्च रक्तचाप, जी मचलाना या कम भूख लगने जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। मरीज को लंबे समय तक यूरीन में इंफेक्शन होने पर उसकी किडनी खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। उच्च रक्तचाप एवं डायबिटीज किडनी के सबसे बड़े दुश्मन हैआईजीएमएस नेफ्रोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट के एचओडी डॉ ओम कुमार ने मरीज़ों और उनके साथ आये परिवार के लोगों को किडनी और उससे जुड़ी बीमारियों की जानकारी दी। उन्होंने लोगों को बीमारियों से बचने के तरीकों के बारे में भी बताया।
उन्होंने कहा कि एक अच्छी जीवनशैली का अनुसरण करते हुए किडनी को स्वस्थ रखा जा सकता है। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम, बेवजह दवाइयों के सेवन से बचना, हाई बीपी और डायबिटीज कंट्रोल, वजन को नियंत्रित रखना और धूम्रपान न करना महत्वपूर्ण बताया। वही प्रचार्य डॉ अरबिंद प्रसाद ने कहा कि देश में हर साल लाखों लोग गुर्दा रोग से पीड़ित मिल रहे हैं। इन मरीजों को समय पर जांच और इलाज न मिले तो स्थिति क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) की ओर बढ़ती है। किडनी की कार्यशैली ठप होने से पहले परंपरागत चिकित्सा के जरिए इसे बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में करीब एक करोड़ लोग हर साल किडनी से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त मिल रहे हैं। इसमें आधुनिक जीवनशैली का एक बड़ा और गंभीर योगदान है। खाद्य पदार्थों को लेकर लोगों को सचेत रहना बहुत जरूरी है।
वही डॉ स्वर्णिमा सिंह ने कही की महिलाओं में किडनी इनफेक्शन की संभावना अधिक होती है अतः उन्हे ज्यादा सावधानी बरतनें की जरूरत है। उन्होंनें महिलाओं में होने वाली ल्यूपस नेफ्रोपैथी की जानकारी देते हुये इसके उपायों की जानकारी दी। वही आईजीएमएस के प्रोफेसर डॉ अमरेश कृष्णा ने गुर्दा रोग से ग्रसित रोगियों के खानपान पर विशेष जानकारी देते बताया कि गुर्दा रोगियों को प्रोटीन, सोडियम, फास्फोरस और पोटेशियम युक्त भोजन नहीं लेना चाहिये अथवा भोजन में इन तत्वों की मात्रा, तरल पदार्थ, पानी चिकित्सक और आहार विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार लेनी चाहिये। ऐसे मरीजों को पत्तीदार सब्जियों, खटटे फल, नींबू से भी परहेज पखना चाहिये क्योंकि इनमें पाटेशियम की मात्रा अधिक होती है। डायलिसिस के मरीजों भोजन में अन्य परहेज के साथ हाई प्रोटीन पदार्थो का समावेश होना चाहिये।