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1st Bihar Published by: Updated Fri, 19 Mar 2021 07:14:07 AM IST
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PATNA : बिहार में नीतीश कुमार की तरफ से लागू किए गए शराबबंदी कानून के फेल होने के पीछे समय-समय पर पुलिस को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। लगातार यह सवाल खड़े होते रहे हैं कि आखिर पुलिस की मुस्तैदी के बावजूद बिहार में शराब की होम डिलीवरी कैसे हो रही है लेकिन अब पटना हाईकोर्ट ने पुलिस और शराब माफिया में मिलीभगत की आशंका जताई है। शराबबंदी को लेकर तमाम गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार पुलिस वालों पर अब हाईकोर्ट ने भी उंगली उठा दी है।
दरअसल यह मामला नियमित जमानत के बगैर शराब के एक धंधेबाज को पुलिस कस्टडी से छूटने के है। पटना हाईकोर्ट ने निर्धारित समय के अंदर आरोप पत्र दाखिल नहीं करने की वजह से शराब के साथ पकड़े गए आरोपी की जमानत अर्जी का लाभ मिलने को लेकर आश्चर्य जताया है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि कहीं पुलिस और शराब माफिया में मिलीभगत नहीं? कोर्ट ने 8 अप्रैल को मुजफ्फरपुर के एसएसपी को हाजिर होने का निर्देश भी दिया है। मुजफ्फरपुर एसएसपी को कोर्ट में बताना होगा कि आखिर किस कारण से इस मामले में अनुसंधान पूरा नहीं हो पाया।
दरअसल मुजफ्फरपुर में लगभग साढ़े चार सौ लीटर शराब बरामदगी के मामले में अभियुक्त जितेंद्र यादव को पुलिस ने पकड़ा था। मुजफ्फरपुर के कांटी थाना में साल 2019 में मामला दर्ज हुआ था। इस घटना में अभियुक्त के पोल्ट्री फॉर्म से 466 लीटर विदेशी शराब पकड़ी गई थी। अभियुक्त की तरफ से अपने बचाव के लिए पहले मुजफ्फरपुर जिला न्यायालय में जमानत की अर्जी दायर की गई वहां उसे जमानत नहीं मिली तो 23 दिसंबर को पटना हाई कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की। जमानत पर तत्काल सुनवाई संभव नहीं थी वहीं पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल नहीं किया और इसका लाभ अभियुक्त को मिल गया। हाईकोर्ट ने कहा है कि शराब माफिया और पुलिस की मिलीभगत से ही शराबबंदी कानून का पालन नहीं हो पा रहा है। न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार की एकलपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए बिहार के डीजीपी कार्यालय से भी जवाब मांगा है और साथ ही साथ एसएसपी को तलब किया है।