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1st Bihar Published by: Updated Thu, 02 Dec 2021 08:10:10 AM IST
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PATNA: फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए प्रोन्नति पाने वाले जिले के 33 हेडमास्टर आज भी स्कूलों में उसी पद पर नौकरी कर रहे हैं. कई महीने पहले ही इनकी डिग्री अमान्य साबित हो चुकी है. वहीं काफी लंबा वक्त खींच जाने से सवाल उठने लगे थे कि आखिर विभाग ने अभी तक इन लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं की है. अब जाकर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बुधवार को कहा कि एक सप्ताह में इनलोगों को हटा दिया जाएगा.
बता दें 2020 के अंत में ही कुछ हेडमास्टर के खिलाफ शिकायत मिली थी कि वे लोग फर्जी डिग्री के आधार पर हेडमास्टर बनकर नौकरी कर रहे हैं. इसके बाद शिकायत के आधार पर मामले की जांच की गई, जिसमें यह शिकायत सही मिली. इसके बाद इन हेडमास्टर को उनका पक्ष रखने को कहा गया था, लेकिन ज्यादातर लोगों ने अपना पक्ष नहीं रखा. कुछ लोगों ने गलत तरीके से रखा.
गौरतलब है 2015 में ही जिले के करीब दौ सौ शिक्षकों को प्रोन्नति दी गई थी. इनमें से 33 टीचर की डिग्री पर सवाल उठाते हुए शिकायत की गई थी कि इन शिक्षकों ने दूसरे राज्यों के बिहार स्थित केंद्रों से पीजी कर उसकी गलत जानकारी विभाग को दी है और उसका फायदा उठाया है. इन हेडमास्टर की डिग्री सही नहीं है. दरअसल, सरकारी सेवा में कार्य करते हुए एवं बिहार राज्य के अंदर रहते हुए उन संस्थनों के फ्रेंचाइजी द्वारा दूरस्थ शिक्षा के जरिए से राज्य के बाहर के शिक्षण संस्थानों या यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है और इसे यूजीसी मान्यता नहीं देता है.
बता दें 2018 में भी इसी तरह से एक प्रोन्नति का मामला सामने आया, तब शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं दी गई. इसे लेकर प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष शेखर गुप्ता ने डीएम को शिकायत की थी इन शिक्षकों के साथ भेदभाव क्यों. इसपर तत्कालीन डीपीओ संजय कुमार ने यूजीसी के नियम का हवाला देते हुए इसे गलत बताया था और उस दौरान प्रोन्नति नहीं मिली.
वहीं भागलपुर के जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा, 'रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई. इस कारण यह टलता जा रहा था. एक सप्ताह में इसपर कार्रवाई करते हुए इनको पद से हटा दिया जायेगा. इन लोगों को प्रोन्नति तो मिली थी, लेकिन वित्तीय लाभ नहीं मिला था. इसलिए इनसे वेतन की वसूली तो नहीं की जायेगी.'