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Bihar Teacher News: शिक्षकों के बारे में ग्रामीणों से फीडबैक लें..नहीं सुधरें तो बर्खास्त करें, सवाल पर शिक्षा ACS एस. सिद्धार्थ ने क्या दिया जवाब...

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Sat, 21 Dec 2024 12:30:44 PM IST

Bihar Teacher News: शिक्षकों के बारे में ग्रामीणों से  फीडबैक लें..नहीं सुधरें तो बर्खास्त करें, सवाल पर शिक्षा ACS एस. सिद्धार्थ ने क्या दिया जवाब...

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Bihar Teacher News: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को एक प्रधान शिक्षक ने सलाह दी. अपर मुख्य सचिव से कहा कि शिक्षकों के बारे में ग्रामीणों से पीडबैक ली जाए,उस आधार पर आगे की कार्रवाई हो. सुधरने का एक-दो मौका दिया जाना चाहिए. अगर शिक्षक नहीं सुधरते हैं,कब उन्हें बर्खास्त किया जाय.

ग्रामीणों से फीडबैक लें, सुधार का अवसर दें, फिर बर्खास्त करें

शिक्षा की बात-हर शनिवार के 8 वें एपिसोड में अपर मुख्य सचिव एस.सिद्धार्थ ने अपनी बातें रखीं. जहानाबाद के मोदनगंज प्रखंड के एक स्कूल के प्रधानाध्यापक राकेश कुमार ने विद्यालय में सुधारात्मक निरीक्षण को लेकर सवाल किया. प्रधानाध्यापक ने सलाह दिया कि ग्रामीणों से शिक्षकों के बारे में फीडबैक लिया जाए. शिक्षकों को सुधारने का एक-दो मौका दिया जाना चाहिए . अवसर देने के बाद भी अगर सुधार नहीं होता है तो उन्हें बर्खास्तगी की तक की कार्रवाई की जाए .

जब तक समाज जागरूक नहीं होगा,सुधार नहीं हो सकता

प्रधानाध्यापक राकेश कुमार के इस सवाल पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने कहा कि विद्यालय में शिक्षा देने का दायित्व शिक्षकों का तो है ही, समाज की भी रिस्पांसिबिलिटी है. जब तक समाज जागरूक नहीं होगाा, तब तक शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता. शिक्षा में सुधार में अभिभावकों का महत्वपूर्ण योगदान है. पंचायती राज प्रतिनिधि हैं उनकी भी बड़ी भूमिका है . आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ-साथ पंचायत स्तर के जितने सरकारी तंत्र हैं वह विद्यालय पर नजर रखें. शिक्षक पढ़ा रहे हैं कि नहीं, मिड डे मील हो रहा है या नहीं, इस पर ध्यान रखें. विद्यालय के सभी कार्यों में बढ़ कर के योगदान दें. तभी सुधार हो सकता है. 

शिक्षा विभाग के एसीएस ने आगे कहा कि अगर लोग समझेंगे यह कार्य सिर्फ शिक्षकों का है, तब तो सुधार करना बहुत मुश्किल है. हमारा विचार है कि सभी स्टेक होल्डर्स को विद्यालय पर नजर रखनी चाहिए. सामाजिक दबाव से ही शिक्षा में सुधार होगा . उन्होंने आगे कहा कि आज मैं देख रहा था. सुबह-सुबह एक चाय दूकान पर चाय पी रहा था. चाय दुकान पर हमने एक बच्चे को देखा, तब हमने पूछा कि आप विद्यालय नहीं जाते हैं ? उसने जवाब दिया कि पहले निजी विद्यालय में जाते थे, लेकिन खर्चा लगता था.तब हमने पढ़ाई छोड़ दी. पिताजी झारखंड में मजदूरी करते हैं, मुझे चाय के दुकान पर भेज दिया है . ऐसे में समाज का दायित्व है कि गांव का बच्चा पढ़ रहा या नहीं, यह देखे. गांव एक यूनिट होता है. सबको एक दूसरे के बच्चों के बारे में जानकारी होती है. ऐसे में समाज का दायित्व है की हर बच्चा स्कूल में जाए.