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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 16 Jun 2023 06:33:36 PM IST
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PATNA: हाई कोर्ट का फर्जी चीफ जस्टिस बनकर पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को कॉल करने वाले टाइल्स व्यवसायी अभिषेक अग्रवाल ने फिर नया कारनामा कर दिया है. तत्कालीन डीजीपी एसके सिंघल से उसने गया के निलंबित एसपी आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज केस खत्म करा लिया था. फिलहाल बेऊर जेल में बंद अभिषेक अग्रवाल जेल से ही बड़े कांड को अंजाम दे रहा है. उसने दिल्ली में तैनात दो आईएएस अधिकारियों को फोन कर धमकाया है. इससे पहले वह बेऊर जेल से ही जेल के अधीक्षक और जेल प्रभारी को फोन कर धमका चुका है.
अब खबर मिल रही है कि जालसाज अभिषेक अग्रवाल ने जेल में रहते हुए दिल्ली में तैनात दो आईएएस अधिकारियों को धमकाया है. उसने खुद को एक केंद्रीय मंत्री का पीएस बताकर दिल्ली में तैनात अधिकारियों को फोन किया और अपना काम करने को कहा. आईएएस अधिकारियों को शक हुआ तो उन्होंने दिल्ली पुलिस से संपर्क साधा. तब पता चला कि पटना के बेऊर जेल से अधिकारियों को कॉल आ रहा था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज किया है. दिल्ली पुलिस की टीम अभिषेक अग्रवाल से पूछताछ करने और उसे दिल्ली ले जाने के लिए पटना पहुंची है.
जेल अधिकारियों को भी धमकाया
इससे पहले ये खुलासा हुआ कि बेऊर जेल में बंद अभिषेक अग्रवाल ने उसी जेल के अधीक्षक और जेल प्रभारी को भी फर्जी एडीजी बन धमकाया था. अभिषेक अग्रवाल ने अपने सहयोगी मोहम्मद राजा के साथ मिलकर जेल में बेरोकटोक मोबाइल का इस्तेमाल कर फर्जीवाड़े की दुकान चला रहा है. उसने अपने मोबाइल से एडीजी बनकर जेल अधीक्षक को ही धमका दिया. पटना पुलिस के मुताबिक अभिषेक अग्रवाल ने अपने फोन से जेल अधीक्षक और जेल प्रभारी को एडीजी बनकर फोन किया. उसने फोन पर जेल में बंद अभिषेक अग्रवाल और मोहम्मद राजा को विशेष सुविधा देने का आदेश दे दिया. इतना ही नहीं जेल में बंद कुछ कैदियों पर कार्रवाई करने का भी आदेश दिया. अभिषेक अग्रवाल ने कहा कि अगर जेल अधीक्षक ने आदेश नहीं माना तो उन्हें ट्रांसफर या सस्पेंड भी किया जा सकता है. निलंबित करने की धमकी भी दी. सबसे बड़ी बात है कि अभिषेक जब हाई सिक्योरिटी में रखा गया है तो उसके पास मोबाइल कैसे पहुंचा?
मामला 11 जून का है, कई दिनों तक जेल प्रशासन ने इसे दबा कर रखा. 11 जून को बेऊर जेल प्रभारी के मोबाइल पर एक व्हाट्सएप कॉल आया. व्हाट्सएप की डीपी में एडीजी की तस्वीर लगी थी. एडीजी का फोटो देखकर जेल प्रभारी ने जय हिंद कहा. इसके बाद उधर से आदेश दिया गया कि अभिषेक अग्रवाल और मो. राजा को खास सुविधा देना है. अगर मेरी बात को नहीं मानोगे तो निलंबित करवा देंगे. पूर्व जेलर को भी हमने ही निलंबित करवाया था.
एडीजी के कॉल से सकते में पड़े जेल प्रभारी ने जेल अधीक्षक को फोन करके सारी जानकारी दी. फिर जेल अधीक्षक भी हैरान रह गये. जेल अधीक्षक ने कहा कि उन्हें भी इसी नंबर से कॉल आता है. जेल अधीक्षक ने पटना पुलिस के एक अधिकारी को वह मोबाइल नंबर देकर जांच करायी तो पता चला कि उसका लोकेशन बेऊर जेल ही है. फिर छानबीन की गई तो पता चला कि यह नंबर अभिषेक अग्रवाल के पास है. इसके बाद पुलिस ने जेल में छापेमारी कर अभिषेक अग्रवाल के पास से मोबाइल के साथ दो सिम कार्ड बरामद किया.
जेल से जालसाजी का कारोबार
अभिषेक अग्रवाल पिछले कई महीनों से बेऊर जेल में बंद है. सवाल ये है कि हाई सेक्योरिटी वाली जेल में उसके पास मोबाइल कैसे आ गया. वह अंदर रहकर भी जालसाजी का कारोबार धड़ल्ले से चला रहा था. उसने कई लोगों को बड़े अधिकारियों के नाम पर कॉल करके लाखों रुपये मंगवाए. हद तो ये कि वह बड़े अधिकारी के नाम पर कॉल कर जेल अधीक्षक से पहले भी कई कैदियों का सेल ट्रांसफर करा चुका है. इसके एवज में उसने कैदियों से पैसे लिए. जेल अधीक्षक को अभिषेक पिछले सवा महीने से अक्सर बडा अधिकारी बन कर कॉल कर रहा था और बडे अधिकारी के रौब में अधीक्षक सारा आदेश पूरा कर रहे थे. लेकिन जब उसने खुद अपनी पैरवी की तो फर्जीवाड़ा सामने आया.
अब नया कारनामा सामने आया है कि अभिषेक अग्रवाल ने दिल्ली के दो आईएएस अधिकारियों को ही हड़काया है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि उसके पास मोबाइल कहां से आया. जेल प्रशासन कह रहा है कि इसकी छानबीन की जा रही है. जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार ने बताया कि अभिषेक का नंबर कक्षपाल उदय प्रताप के मोबाइल में मिला है. उदय सहित कुल आठ कक्षपालों से स्पष्टीकरण मांगी गई है. बताया जा रहा है कि अभिषेक ने जेल में ही एक कैदी से मोबाइल को खरीदा था.