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1st Bihar Published by: Updated Tue, 15 Jun 2021 04:59:03 PM IST
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PATNA: लोजपा में छिड़े घमासान पर आखिरकार चिराग पासवान के सब्र का बांध टूट गया. चिराग पासवान ने आज ट्वीटर पर लिखा कि उन्होंने पार्टी अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए कोशिशें की लेकिन असफल रहे. उन्होंने 29 मार्च को लिखे गये पत्र को भी सार्वजनिक कर दिया है. पारस को लिखे गये इस पत्र में सनसनीखेज बातें लिखी गयी हैं. पत्र के मुताबिक जब रामविलास पासवान आईसीयू में भर्ती थे तब भी पारस साजिश रच रहे थे. रामविलास पासवान के निधन के बाद श्राद्ध के लिए भी चिराग की मां को 25 लाख रूपये देने पड़े. पारस ने अपने पास से एक चवन्नी तक नहीं निकाली.
चिराग ने कहा-अब धोखा नहीं सहेंगे
चिराग पासवान ने ट्वीटर पर लिखा है कि पार्टी मां के समान है औऱ पारस को माँ के साथ धोखा नहीं करना चाहिए. लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है. पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों को वे धन्यवाद देते हैं. इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि वे एक पुराना पत्र साझा कर रहे हैं. ये पत्र 29 मार्च 2021 को लिखा गया है. चिराग का ये पत्र बता रहा है पासवान परिवार के भीतर कैसा खेल चल रहा था.
होली के दिन लिखा था पत्र
चिराग पासवान ने होली के दिन ये पत्र लिखा था. पत्र की शुरूआत में ही उन्होंने लिखा कि ये पहली होली है जब पापा ही नहीं बल्कि परिवार भी साथ नहीं है. चिराग ने लिखा कि पत्र लिखने के बजाय वे पारस से मिलकर बात करना चाहते थे लेकिन उन्होंने बात करने तक से इंकार कर दिया. पार्टी के नेता अब्दुल खालिक औऱ सूरजभान ने भी बीचबचाव करने की कोशिश की लेकिन पारस नहीं मानें. लिहाजा मजबूरी में पत्र लिखना पड रहा है.
रामचंद्र पासवान के निधन के बाद से बदले थे पारस
चिराग ने लिखा है कि रामचंद्र पासवान के निधन के बाद से ही पशुपति कुमार पारस बदल गये. रामचंद्र पासवान के निधन के बाद जब प्रिंस राज को सांसद बनाकर बिहार प्रदेश लोजपा का अध्यक्ष बनाया गया तो पारस ने उसका जमकर विरोध किया. पारस ने प्रिंस राज को औपचारिक बधायी तक नहीं दी. उसके बाद रामविलास पासवान ने खुद चिराग पासवान को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया तो पारस पांच मिनट के लिए बैठक में आये औऱ निकल गये. जिस दिन से रामविलास पासवान ने पार्टी की कमान चिराग पासवान को सौंपी उस दिन से पारस ने उनके घर पर आना जाना कम कर दिया.
कुर्सी के लिए पहले भी की थी नीतीश से सेटिंग
चिराग पासवान ने कहा कि 2017 में जब नीतीश कुमार एनडीए के साथ आय़े तो पशुपति पारस ने पहले से ही नीतीश कुमार से सेटिंग कर ली. रामविलास पासवान उस वक्त ये चाहते थे कि पार्टी के विधायक राजू तिवारी, राजकुमार साह या एमएलसी नूतन सिंह में से कोई एक मंत्री बने. लेकिन पारस ने नीतीश कुमार से पहले ही फोन पर बात कर खुद मंत्री बनने की सेटिंग कर ली थी. जब रामविलास पासवान के समक्ष पारस ने खुद मंत्री बनने की इच्छा जतायी तो रामविलास पासवान खामोश रह गये. चिराग ने अपने पत्र में लिखा है कि पारस कैसे बिहार सरकार में बढ़िया विभाग नहीं मिलने पर नाराज थे औऱ रामविलास पासवान ने खुद अमित शाह से बात कर पारस को किसी आय़ोग में एडजस्ट करने की सिफारिश की थी.
रामविलास ICU में थे तब भी हो रही थी साजिश
चिराग पासवान ने लिखा है कि कोरोना की पहली लहर के समय जब अनाज वितरण को लेकर नीतीश कुमार रामविलास पासवान पर हमला बोल रहे थे उस दौरान भी पारस चुपचाप बैठे थे. उसके बाद जब रामविलास पासवान की तबीयत बेहद खराब हुई तो उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों ने कहा कि उनका हार्ट ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा. आईसीयू में भर्ती रामविलास पासवान के पास ये खबरें पहुंच रही थी कि पारस पार्टी तोड़ने की साजिश रच रहे हैं. रामविलास पासवान ने आईसीयू से पारस को फोन कर कहा था कि ऐसी खबरों पर रोक लगायें.
रामविलास पासवान ने अकेले लड़ने को कहा था
चिराग पासवान ने पत्र में लिखा है कि रामविलास पासवान ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए नीतीश कुमार का साथ छोड़ने को कहा था लेकिन उस दौर में भी पारस साजिश रच रहे थे. जब लोजपा अकेले चुनाव मैदान में उतरी तो पारस नीतीश कुमार के पक्ष में सार्वजनिक बयान दे रहे थे. पूरे चुनाव में एक दफे भी उन्होंने न कहीं प्रचार किया औऱ ना ही कोई मदद की.
विधानसभा चुनाव में पांच टिकट लिये थे
चिराग ने अपने पत्र में लिखा है कि पशुपति पारस ने विधानसभा चुनाव में अपने लिए पांच सीटों पर टिकट मांगे थे, वे सिंबल उन्हें भिजवा दिये गये थे. लेकिन वे लालगंज सीट पर सीटिंग विधायक राजकुमार साह का टिकट काट कर किसी बिट्टू गुप्ता को टिकट देना चाहते थे. चिराग इसके लिए तैयार नहीं हुए. क्योंकि पार्टी पहले ही तय कर चुकी थी कि किसी सीटिंग विधायक का टिकट नहीं काटा जाये. पारस जगदीशपुर सीट पर भी अपने किसी आदमी को लड़वाना चाहते थे लेकिन चिराग नहीं माने थे. चिराग ने लिखा है कि सिर्फ दो सीटों के लिए पारस ने जो व्यवहार किया उससे वे टूट गये थे.
पासवान के श्राद्ध के लिए भी चिराग की मां ने दिये पैसे
चिराग ने अपने पत्र में लिखा है कि जब रामविलास पासवान का निधन हुआ तो उन्हें ये उम्मीद थी पारस उनके पापा की जगह ले लेंगे. लेकिन रामविलास पासवान के श्राद्ध के लिए भी चिराग की मां को अपने पास से 25 लाख रूपये देने पडे. चिराग ने लिखा कि उस दिन उन्हें अहसास हुआ कि वे अकेले रह गये हैं.
चिराग ने अपने पत्र में विस्तार से लिखा है कि कैसे पारस ने कभी पार्टी-संगठन के लिए कोई सलाह नहीं दी. उन्होंने लिखा है कि रामविलास पासवान की पत्नी रीना पासवान ने अपने सगे भाईयों से भी ज्यादा पारस को माना लेकिन उनका भी लिहाज नहीं रखा. चिराग ने होली के दिन लिखे पत्र में पारस से गुहार लगायी थी कि अगर उनकी गलती हैं पारस सजा दें लेकिन उनकी मम्मी औऱ परिवार को इसकी सजा नहीं दें. पार्टी औऱ परिवार के लिए वे वही जिम्मेवारी निभायें जो रामविलास पासवान निभाते थे.