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CMIE की रिपोर्ट में खुलासा.. बिहार के शहरों में गांवों से ज्यादा बेरोजगारी, सामने आई ये वजह

1st Bihar Published by: Updated Wed, 02 Mar 2022 07:24:02 AM IST

 CMIE की रिपोर्ट में खुलासा.. बिहार के शहरों में गांवों से ज्यादा बेरोजगारी, सामने आई ये वजह

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PATNA : देश में बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। जनवरी की तुलना फ़रवरी में देश भर में रोजगार के अवसर कम हुए हैं। इसका असर बिहार पर भी पड़ा है। बिहार के शहरों में गांवों से ज्यादा बेरोजगारी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के फरवरी महीने के ताजा आंकड़ों से इसका खुलासा होता है। इसके मुताबिक बिहार के गांवों की बेरोजगारी दर 13.5 फीसदी है, जबकि शहरों में 17.1 फीसदी बेरोजगारी है। इसका मतलब है कि काम पाने के योग्य 100 लोगों में से 17.1 और हजार में से 171 लोगों को काम नहीं मिल रहा है। 


राहत की बात इतनी भर कि राज्य में यह वृद्धि बहुत अधिक नहीं है। जनवरी में यह 13.3 प्रतिशत थी। फरवरी में 14 प्रतिशत है। कोरोना काल में काम-धंधों के बंद होने के बाद बढ़ी बेरोजगारी बिहार में लगातार घट रही है। खासकर राज्य सरकार द्वारा संचरनागत परियोजनाओं में निवेश के कारण लोगों को काम मिलने में तेजी आ रही है। ग्रामीण इलाकों में मनरेगा जैसी योजनाओं के कारण खेती के साथ ही बाकी रोजगार भी लोगों को मिल रहा है।


रोजगार का संकट सिर्फ बिहार ही नहीं झेल रहा है। देशव्यापी असर के दायरे में लगभग सभी राज्य आ गए हैं। देश के अन्य राज्यों में दो महीने के भीतर सबसे अधिक बेरोजगारी राजस्थान में देखी गई। वहां यह जनवरी के 18 प्रतिशत के मुकाबले फरवरी में 32 प्रतिशत पर पहुंच गया। पड़ोसी राज्य झारखंड की स्थिति भी अच्छी नहीं कही जा सकती है। झारखंड में फरवरी में 15 प्रतिशत बेरोजगारी दर्ज की गई। यह जनवरी की तुलना में छह प्रतिशत अधिक है। बिहार की कुल बेरोजगारी 14% की तुलना में झारखंड में 15%, राजस्थान में 32.2% और हरियाणा में 31% है। शहरी बेरोजगारी भी बिहार के 17.1% की तुलना में हरियाणा में 22.1% और झारखंड में 18.7% है।


एक फर्क शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के रोजगार में आया है। जनवरी में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 5.84 प्रतिशत थी, फरवरी में 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गई। इन दो महीनों में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में कमी आई है। यह जनवरी के 8.6 प्रतिशत के मुकाबले फरवरी में 7.5 प्रतिशत पर टिकी रही। शायद इसलिए कि कोरोना की तीसरी लहर के कमजोर पडऩे के कारण शहरों में श्रम से जुड़ी गतिविधियां बढ़़ी। संकट के समय शहर छोड़ चुके लोग गांव चले आए थे।