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अब बच्चों पर आय़ी आफत: नयी बीमारी MES-C के शिकार बनने लगे बिहार के मासूम, अब तक 7 की पहचान

1st Bihar Published by: Updated Mon, 31 May 2021 08:16:25 AM IST

अब बच्चों पर आय़ी आफत: नयी बीमारी MES-C के शिकार बनने लगे बिहार के मासूम, अब तक 7 की पहचान

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PATNA : घातक बीमारी कोरोना के कारण अब बच्चों पर नयी आफत आयी है. ब्लैक, व्हाइट औऱ येलो फंगस के बाद बच्चों में नयी बीमारी फैलने लगी है. डॉक्टरों ने इसकी पहचान  एमआइएस-सी (मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन) के तौर पर की है. बिहार में इस नयी बीमारी ने दस्तक दे दी है. पटना में अब तक 7 बच्चों में ये लक्षण पाये जा चुके हैं. 


कोरोना संक्रमण के कारण फैली बीमारी

पटना के अस्पतालों में अब तक इस बीमारी से ग्रसित 7 बच्चे भर्ती हो चुके हैं. डॉक्टर बता रहे हैं कि इस बीमारी के शिकार वे बच्चे हो रहे हैं जो कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमित हुए हैं या फिर उनके परिवार के दूसरे लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं. एमआईएस-सी के शिकार बनने का खतरा 12 साल तक की उम्र वाले बच्चों में सबसे ज्यादा होता है. हालांकि 18 साल तक के बच्चों को ये बीमारी हो सकती है.


क्या हैं इस बीमारी के लक्षण

डॉक्टरों के मुताबिक अगर किसी बच्चे में ये सब लक्षण हैं तो वह MIS-C से ग्रसित हो सकता है. 

-किसी बच्चे को तीन दिन या उससे ज्यादा समय से बुखार है

-उसके पटे में दर्द है, डायरिया या फिर भी उल्टी हो रही है

-शरीर पर चकत्ते पड गये हैं औऱ हाथ पैर ठंढा रह रहा है

-सीने में दर्द है, सांस लेनेमें तकलीफ हो रही है या दिल की धड़कने तेज हो रही हैं

-चेहरा, होंठ या नाखुन नीला पड गया है

बच्चों में फैल रही इस बीमारी को कुछ ब्लड टेस्ट के जरिये पता लगाया जा सकता है. डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए लगभग एक प्रतिशत बच्चों के इस बीमारी का शिकार बनने का खतरा होता है. कोरोना के कारण जिस बच्चे में ज्यादा एंटीबॉडी बन जाती है उसे ही ये खतरा होता है. ज्यादा एंडीबॉडी के कारण लीवर, हार्ट, किडनी जैसे कई अंग प्रभावित होते हैं जिससे बच्चे इस नयी बीमारी के शिकार बनते हैं. 


डॉक्टरों के मुताबिक इस बीमारी से बचने का एकमात्र रास्ता यही है कि बच्चों को कोरोना संक्रमण से मुक्त रखने की कोशिश की जाये. अगर कोई बच्चा कोरोना संक्रमित हो गया तो संक्रमण से ठीक होने के बाद भी उसकी जांच करायी जाये. सही तरीके से इलाज औऱ डॉक्टर से सलाह ली जाये तो बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है.