BIHAR: बड़हरा के तुर्की गांव में महिला चौपाल का आयोजन, सोनाली सिंह ने कहा..'अब बदलाव महिलाओं की ताकत से होगा' Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक्टिव हुआ पटना जिला प्रशासन, इस दिन से शुरू होगा हथियारों का वेरिफिकेशन Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक्टिव हुआ पटना जिला प्रशासन, इस दिन से शुरू होगा हथियारों का वेरिफिकेशन Viral Video: वायरल वीडियो कांड में BJP बड़ा एक्शन, पार्टी से निकाले गए बब्बन सिंह रघुवंशी; डांसर के साथ पार कर गए थे सारी हदें Viral Video: वायरल वीडियो कांड में BJP बड़ा एक्शन, पार्टी से निकाले गए बब्बन सिंह रघुवंशी; डांसर के साथ पार कर गए थे सारी हदें Life Style: ये तीन फूड्स खाए तो पड़ सकते हैं लेने के देने, शरीर के लिए हैं काफी खतरनाक; जानिए... DARBHANGA: राहुल गांधी पर 2 केस दर्ज, 20 नामजद कांग्रेस नेता और 100 अज्ञात के खिलाफ भी प्राथमिकी Bihar News: डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने की हाई लेबल मीटिंग, अधिकारियों को दिए यह निर्देश Bihar News: डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने की हाई लेबल मीटिंग, अधिकारियों को दिए यह निर्देश Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज, BLA प्रशिक्षण का तीसरा चरण सम्पन्न
1st Bihar Published by: Updated Fri, 01 May 2020 08:47:04 AM IST
- फ़ोटो
PATNA : कोरोना ने किसानों की तकलीफ को और बढ़ा दिया है. वंचित समाज पार्टी के नेता और चुनाव अभियान समिति के प्रमुख ललित मोहन सिंह ने कहा कि किसानों के बही खाते में नफा-नुकसान का कोई कॉलम ही नहीं होता, आखिरकार ऑडिट करने कौन आएगा, उसके खाते में एक ही कॉलम है घाटे वाला क्योंकि उसके उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य, तय करने वाले कभी खेतों की मेड़ों पर नहीं घूमे. ऐसे अधिकारी इसका मूल्य तय करते हैं जिन्हें न तो खेत से मतलब है और न ही उन्होंने किसानों की परेशानी और दर्द को सामने से देखा है.
उन्होंने कहा कि बिहार में, बहुतायत में, संतोष धन पाया जाता है, कोई किसान खुदकुशी नहीं करता, वह जानता है कि जो होता है अच्छा होता है. दिनकर की कविता की पंक्तियां को अपना भाग्य समझता है ,“सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें आगे क्या होता है।“ और “होहियें वही जे राम रुचि राखा।“ जैसी पंक्तियों को अपनी जीवन का आधार मानता है.
सरकारी खरीद तो यहां एक मज़ाक बन कर रह गई है. जो भी अधिकारी को खरीदने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है वह मिल मालिकों से तथा पैक्स के सभापति की मिली भगत में कम-से-कम 3.00 से लेकर 3.50 प्रति किलो ग्राम या 300/- से 350/- प्रति क्विंटल चाहिए चाहिए. जिस फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1500/- प्रति क्विंटल रखा गया हो उस फसल का 20 से 25% तो सरकार के अधिकारियों को जाता है. और किसानों को तत्तकाल भुगतान के विपरीत कई महीने बाद पैसे मिलते हैं. किसानों की मजबूरी और मजबूती भी यही है कि हम हर साल उपजायेंगे और हर बार मुस्कराहट के साथ घाटा सहेंगे क्योंकि यही हमारा भाग्य है, यह ही हमारी नियति और यही हमारा प्रारब्ध.हम हैं तो खुदा भी है नहीं तो इबादत करेगा कौन?