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1st Bihar Published by: Updated Wed, 19 May 2021 08:12:12 AM IST
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SAHARSA : बिहार में कोरोना से मरने वालों के रिश्तेदारों की बेरुखी के कई किस्से देखने और सुनने को मिल रहे हैं. सहरसा जिले से एक भी ऐसा ही मामला सामने आया जहां कोरोना के खौफ से रिश्ते इतने बदल गए कि संक्रमित पति की मौत की जानकारी मिलने के बाद भी चार साल के बेटे के साथ मायके में रह रही पत्नी उसे देखने तक नहीं आई. इतना ही नहीं मृतक के शव का अंतिम संस्कार करने में भी काफी परेशानी आई.
घटना सोनबर्षा राज प्रखंड के बसनही थाना अंतर्गत रघुनाथपुर पंचायत के पामा गोदरामा गांव की है. मृतक कैलाश कामत का 25 वर्षीय पुत्र अमरीश कामत बताया जा रहा है. जानकारी के अनुसार, अमरीश की मौत बीते शनिवार की रात कोरोना संक्रमण से हो गई थी. मृतक के अंतिम संस्कार में प्रशासन व ग्रामीणों की मदद की बात तो दूर समाज के लोगों ने श्मशान घाट में शव को जलाने से मना कर दिया. गांव के लोगों ने पीड़ित परिवार को अंतिम संस्कार तक में अकेला छोड़ दिया.
आखिरकार घर के पीछे ही छोटी बहन ने मुखाग्नि की रस्म पूरी कर गड्ढा खोद शव को दफन कर दिया. घर में शव 24 घंटे से अधिक समय तक पड़ा रहा लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल में सरकारी व्यवस्था के नाम पर अंतिम संस्कार की जगह पीएचसी प्रशासन द्वारा मृतक के घर पहुंच कर परिजनों को सिर्फ एक अदद पीपीई किट उपलब्ध कराया गया.
बता दें कि अमरीश कामत दूसरे प्रदेश में मजदूरी करता था. लॉकडाउन से ठीक पहले वह घर आया और कोरोना संक्रमित हो गया. घर में खाने के लिए अन्न भी नहीं था. कई दिनों से चूल्हा भी नहीं जला. वह तीन भाई और तीन बहनों में सबसे बड़ा था. जब उसकी मौत हुई तो दोनों छोटे भाई घर से बाहर थे. तीन बहन में दो शादीशुदा हैं. ऐसे में छोटी बहन 7 वर्षीय राधा कुमारी द्वारा ही मुखाग्नि देकर उसे दफनाया गया.